Chhattisgarh Teacher Posting Scam: हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक न इधर के रहे, न उधर के...पेंडुलम जैसी स्थिति हो गई...
Chhattisgarh Teacher Posting Scam : रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के सबसे बड़े ट्रांसफर घोटाले में राज्य सरकार ने कमिश्नरों की जांच रिपोर्ट के बाद शिक्षकों का ट्रांसफर निरस्त कर दिया था। स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश में स्पष्ट किया था कि सभी शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त किया जाता है और वे अगर 10 दिन के भीतर पूर्व में जहां पोस्टिंग हुई थी, वहां ज्वाईन नहीं करेंगे तो उनका प्रमोशन निरस्त समझा जाएगा।
राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दो दर्जन से अधिक शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर पोस्टिंग निरस्त न करने की मांग की है। कल लंबी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इन शिक्षकों के मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। चूकि राज्य सरकार पोस्टिंग निरस्त के साथ ही उन्हें एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया है। उनके सर्विस बुक में भी रिलीव कर दिया गया है। सो, वे अब उस स्कूल में रहे नहीं। और हाई कोर्ट के फैसले की उम्मीद में शिक्षकों ने पूर्व के स्कूलों में ज्वाईन किया नहीं। 4 सितंबर को निरस्तीकरण का आदेश निकला था। इस डेट से ज्वाईन करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था। याने 13 सितंबर तक उन्हें ज्वाईन करना था। शिक्षकों ने सोचा था कि 12 सितंबर तक अगर हाई कोर्ट से कुछ नहीं हुआ तो 13 सितंबर को ज्वाईन कर लेंगे। मगर इससे पहले हाई कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे दिया। याने याचिका लगाने वाले शिक्षकों की स्थिति फिलहाल पेंडुलम जैसी हो गई है। चूकि सरकार का जवाब तीन हफ्ते बाद आना है। सो मानकर चला जाए कि ये मामला अक्टूबर तक जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नो वर्क, नो सेलरी के आधार पर शिक्षकों को सितंबर का वेतन भी लटक जाएगा।
इस मामले में सरकार की तरफ से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा खुद कोर्ट में खड़े हुए। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कोर्ट को बताया कि सरकार ने संभाग के सबसे बड़े अधिकारी याने कमिश्नर की रिपोर्ट पर कार्रवाई की है। कमिश्नरों की रिपोर्ट में माना गया है कि पैसे देकर शिक्षकों ने अपने घर के नजदीकी स्कूलों में ट्रांसफर करा लिया। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार ने न तो उनका प्रमोशन निरस्त किया है और न ही पूर्व में जहां पोस्टिंग हुई थी, उसे निरस्त किया है। निरस्त सिर्फ उसे किया गया है, जिसमें व्यापक गड़बड़िया की गई।
ज्ञातव्य है, हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक बिरादरी में यह भ्रम फैलाया जा रहा कि हाई कोर्ट ने इस पर याचिका लगाने वाले शिक्षकों कोस्टे दे दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग के विधि सेल देखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों को राहत तब मिलती जब वे कार्यमुक्त नहीं हुए होते। स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में बड़ी चतुराई से पोस्टिंग निरस्त करने के साथ ही 4 सितंबर के डेट से एकतरफा रिलीव करने का आर्डर जारी कर दिया था। उसके बाद उनके सर्विस बुक में भी उसका उल्लेख कर दिया गया।