Chhattisgarh Teacher News: छत्तीसगढ़ के 4 लाख शिक्षकों, कर्मचारियों का मजाक उड़ाने वाला रहा केंद्रीय मंत्री का PA, सालों से स्कूल नहीं, BEO आफिस में रहा अटैच...
Chhattisgarh Teacher News: स्कूल को चिड़ियाघर और शिक्षक को नौकर करार देने वाले हेडमास्टर ज्ञानसिंह धु्रव ने की असलीयत अब सामने आने लगी है। ज्ञान सिंह की पत्नी शिक्षिका है और वह खुद केंद्रीय राज्य मंत्री का पीए रह चुका है। हर्बल लाइफ के धंधे में उसने इतना पैसा कमा लिया कि उसे छत्तीसगढ़ के चार लाख शिक्षकों और कर्मचारियों की भावनाओं का भी खयाल नहीं रहा। प्रदेश के 45 हजार सरकारी स्कूलों को उसने चिड़ियाघर बता दिया। अब उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी है।
Chhattisgarh Teacher: रायपुर। आधुनिक युग में सरकारी नौकरी सामाज में प्रतिष्ठा की बात होती है। उस पर शिक्षक की नौकरी तो और भी सम्मानित माना जाता है। मगर छत्तीसगढ़ के हेडमास्टर ज्ञान सिंह ध्रुव ने शिक्षक की नौकरी और स्कूल ही नहीं बल्कि प्रदेश के चार लाख कर्मचारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।
अपने इस्तीफे में उसने लिखा कि 20 साल के शिक्षक की नौकरी में मेरे परिवार का लेवल वही का वही है, इसलिए मैं अब नौकर माइंडसेट से नहीं, मालिक माइंडसेट से जीना चाहता हूं। यही नहीं, उसने स्कूल को चिड़ियाघर बताते हुए लिखा कि वह अब इससे बाहर निकलना चाहता है।
जबकि, एनपीजी न्यूज ने उसकी कलई खोल दी। उसके सोशल मीडिया पेज से पता चला कि खुद का 20 साल से सरकारी नौकर बताने वाला ज्ञान सिंह नौकरी में रहते हुए 40 लाख की बीएमडब्लू कार खरीद ली है। पिछले दिवाली में उसने कार की बुकिंग की। और अब कार खरीदकर उसे फेसबुक पर अपलोड किया है।
पत्नी शिक्षिका
शिक्षक की नौकरी को नौकर बताने वाले ज्ञान सिंह की पत्नी अभी भी शिक्षिका की नौकरी कर रही है। इसके बाद भी इस्तीफे में ऐसी ओछी कमेंट लिखते हुए जरा सी भी ध्यान नहीं आया कि चार लाख शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ उसकी पत्नी भी सरकारी नौकरी में है। जाहिर है, धन का अहंकार मति भ्रष्ट कर देता है।
केंद्रीय मंत्री का पीए
नौकरी से त्यागपत्र देने वाला ज्ञान सिंह पूर्व संसदीय सचिव तोखन साहू का पीए रह चुका है। तोखन अब केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। तोखन 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे, उसमें भी लोगों का कहना है कि तोखन के पीए रहते उसने लोरमी इलाके के लोगों को नाराज कर दिया था।
लंबे समय से अटैचमेंट में
ज्ञान सिंह लंबे समय से अटैचमेंट में रहा है। लोरमी के प्रायमरी स्कूल परसवारा में उसने कुछ ही दिन काम किया। बाद में तीन-पांच करके बीईओ ऑफिस में अटैचमेंट करा लिया। फिर संसदीय सचिव का पीए बन गया। याने जो स्कूल में पढ़ाया नहीं, वह स्कूल और शिक्षकों का मजाक उड़ रहा है।
शिक्षकों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के परसवारा प्रायमरी स्कूल के हेड मास्टर ने जो पत्र लिखा, वह बेहद आपत्तिजनक था। शिक्षक बिरादरी इसे शिक्षकों का अपमान बता रहे हैं।
शिक्षकों ने कहा, धनबइहा
हेडमास्टर की त्यागपत्र की अमर्यादित भाषा ने शिक्षकों को गुस्से में भर दिया है। शिक्षकों ने सोशल मीडिया में लिखा है कि इंर्मानदारी से काम करे, वह नौकर और जो बच्चों के भविष्य के साथ मजाक करें...कर्तव्यों के प्रति निष्क्रिय रहे, साइड बिजनेस करे, उसका प्रचार-प्रसार करे, वह मालिक। खिलखिलाते बच्चों का स्कूल चि़ड़याघर और हमारे बच्चे पशु-पक्षी। छत्तीसगढ़ी में ऐस लोगों को धनबइहा कहा जाता है।
शिक्षकों ने हेड मास्टर की भाषा पर सख्त आपत्ति जताई है। एक तो उसने शिक्षा विभाग और पूरे शिक्षकें को कलंकित कर दिया। छत्तीसगढ़ में करीब पौने दो लाख शिक्षक हैं...तो क्या वे सभी नौकर हुए। फिर स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है...उसी स्कूल से शिक्षकों को समाज में अलग मान-सम्मान मिलता है...उसे हेड मास्टर चिड़ियाघर बता रहा है।
कई शिक्षकों ने हेड मास्टर ज्ञान सिंह के खिलाफ शिक्षा सचिव से कार्रवाई की की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब नौकरी में रहते हुए 40 लाख का बीएमडब्लू खरीद लिया था, तब अपने को नौकर बता अपने शिक्षक साथियों पर वह तंज कस रहा है।
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षक पढ़ाई-लिखाई को तिलांजलि देकर हर्बल लाइफ का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सबसे पहले इसकी शुरूआत शशि कुमार बैरागी ने की। बैरागी इस धंधे से इतना पैसा कमा किलया कि उसने 2021 में स्कूल की नौकरी छोड़ दी। अपने फेसबुक पेज से वह बाकी शिक्षकों को ऐसा प्रोत्साहित कर रहा कि दूसरे शिक्षक भी झांसे में आते चले जा रहे हैं।
बैरागी ने तीन साल में क्रेटा, बीएमडब्लू से अब मर्सिडीज कार ले ली है। उसका फेसबुक पेज विदेश यात्राओं से अटा पड़ा है। विदेशों की उसकी मौज-मस्ती वाली जिंदगी देखकर कई शिक्षकों को लग रहा कि हर्बल लाइफ का काम ज्यादा बेटर है। इसका नतीजा हुआ कि छत्तीसगढ़ में शिक्षक लगातार हर्बल लाइफ के कारोबार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। कई शिक्षकों ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर बैरागी के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग किए हैं।
2 जनवरी की डेट में भेजे अपने त्यागपत्र में ज्ञान सिंह ने लिखा कि वह 20 साल से वह नौकर माइंडसेट से काम कर रहा है, मगर उसका परिवार वहीं का वहीं रह गया। अब वह मालिक के माइंडसेट से काम करना चाह रहा है। इसलिए वह चिड़ियाघर से निकलना चाहता है। सोशल मीडिया में शिक्षकों ने इस पर सख्त आपत्ति जताई है। एक तो उसने शिक्षा विभाग और पूरे शिक्षकें को कलंकित कर दिया। छत्तीसगढ़ में करीब पौने दो लाख शिक्षक हैं...तो क्या वे सभी नौकर हुए। फिर स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है...उसी स्कूल से शिक्षकों को समाज में अलग मान-सम्मान मिलता है...उसे हेड मास्टर चिड़ियाघर बता रहा है। कई शिक्षकों ने हेड मास्टर ज्ञान सिंह के खिलाफ शिक्षा सचिव से कार्रवाई की की मांग की है। लोगों का कहना है कि जब नौकरी में रहते हुए 40 लाख का बीएमडब्लू खरीद लिया था, तब अपने को नौकर बता अपने शिक्षक साथियों पर वह तंज कस रहा है। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षक पढ़ाई-लिखाई को तिलांजलि देकर हर्बल लाइफ का काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सबसे पहले इसकी शुरूआत शशि कुमार बैरागी ने की। बैरागी इस धंधे से इतना पैसा कमा किलया कि उसने 2021 में स्कूल की नौकरी छोड़ दी। अपने फेसबुक पेज से वह बाकी शिक्षकों को ऐसा प्रोत्साहित कर रहा कि दूसरे शिक्षक भी झांसे में आते चले जा रहे हैं। बैरागी ने तीन साल में क्रेटा, बीएमडब्लू से अब मर्सिडीज कार ले ली है। उसका फेसबुक पेज विदेश यात्राओं से अटा पड़ा है। विदेशों की उसकी मौज-मस्ती वाली जिंदगी देखकर कई शिक्षकों को लग रहा कि हर्बल लाइफ का काम ज्यादा बेटर है। इसका नतीजा हुआ कि छत्तीसगढ़ में शिक्षक लगातार हर्बल लाइफ के कारोबार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। |