CG Teachers Update: 5781 स्कूलों में शिक्षक नहीं, शहरों में 13 हजार से ज्यादा सरप्लस टीचर बिना काम कुर्सी तोड़ रहे...
CG Teachers Update: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की तस्वीर देखकर मन उदास हो जाता है। एक तरफ 5781 स्कूलों में या तो कोई शिक्षक नहीं है या फिर सिर्फ एक टीचर के भरोसे सारी पढ़ाई चल रही है।

CG Teachers Update: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों की तस्वीर देखकर मन उदास हो जाता है। एक तरफ 5781 स्कूलों में या तो कोई शिक्षक नहीं है या फिर सिर्फ एक टीचर के भरोसे सारी पढ़ाई चल रही है। दूसरी तरफ, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे शहरों के स्कूलों में 13 हजार से ज्यादा सरप्लस शिक्षक रसूख और जुगाड़ के दम पर डटे हुए हैं। विष्णु देव सरकार ने इस अन्याय को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण की योजना बनाई थी, लेकिन सियासी दबाव और शिक्षक संगठनों के विरोध ने इसे ठप कर दिया। नतीजा? गाँवों के हजारों बच्चे शिक्षक के बिना पढ़ाई से वंचित हैं। बहरहाल, 25 सालों से अंधेर नगरी.... वाली स्थिति को विष्णु देव सरकार अब बदलने जा रही है...
रायपुर. 5781 स्कूलों का दर्द... न टीचर, न तालीम.
छत्तीसगढ़ में 5484 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है। 152 प्राइमरी स्कूलों में तो एक भी टीचर नहीं। मिडिल स्कूलों की हालत और खराब है। 231 मिडिल स्कूलों में एक टीचर 8वीं तक की पढ़ाई संभाल रहा है, जबकि 45 मिडिल स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं। सोचिए, जब एक शिक्षक या शून्य शिक्षक की स्थिति हो, तो बच्चे क्या सीख पाएंगे? ये बच्चे छत्तीसगढ़ का भविष्य हैं, लेकिन इनका हाल किसी को नहीं दिखता।
शहरों में शिक्षकों की भरमार, गाँवों में खाली स्कूल
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जैसे शहरों में शिक्षकों की बाढ़ आई हुई है। कई स्कूलों में 10 बच्चे भी नहीं, लेकिन 5-7 शिक्षक तैनात हैं। आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
प्राइमरी स्कूल: रायपुर में 424, बिलासपुर में 264, बस्तर में 425 सरप्लस शिक्षक।
मिडिल स्कूल: दुर्ग में 303, बस्तर में 303, सरगुजा में 285 अतिशेष शिक्षक।
ये शिक्षक सालों से एक ही स्कूल में जमे हैं, क्योंकि उनके पास पैसा और पहुंच है। उधर, गाँवों के स्कूलों में बच्चे शिक्षक के इंतजार में दिन गिन रहे हैं।
युक्तियुक्तकरण का सपना क्यों टूटा?
स्कूल शिक्षा विभाग ने सिंगल टीचर और शिक्षकविहीन स्कूलों की समस्या खत्म करने के लिए युक्तियुक्तकरण का रास्ता चुना। योजना थी कि 16 सितंबर तक स्कूलों और 3 अक्टूबर तक शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण हो जाएगा। इससे 7300 पहले से सरप्लस शिक्षकों के साथ 6000 और अतिशेष शिक्षक निकल रहे थे। नवंबर तक हर स्कूल में शिक्षक होने की उम्मीद थी।
लेकिन सियासत और संगठनों ने इस योजना को पलीता लगा दिया, बीजेपी विधायकों और नेताओं ने विरोध किया। प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर योजना रद्द करने को कहा।
कांग्रेस: विपक्ष ने भी तल्ख तेवर दिखाए।
शिक्षक संगठन: हड़ताल की धमकी दी।
आखिरकार, स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण पर रोक लगा दी।
बच्चों का कसूर क्या?
युक्तियुक्तकरण रुकने से सबसे ज्यादा नुकसान गाँवों के उन 5781 स्कूलों के बच्चों को हुआ, जहां शिक्षक नहीं हैं। ये बच्चे ज्यादातर गरीब परिवारों से हैं, जो दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं। नेताओं और शिक्षकों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते, शायद इसलिए इन बच्चों की तकलीफ उनकी नजरों से ओझल है। सवाल यह है कि इन मासूमों का कसूर क्या है?
रास्ता क्या है?
युक्तियुक्तकरण को लागू करें: सरप्लस शिक्षकों को गाँवों के स्कूलों में भेजा जाए।
पारदर्शिता: शिक्षकों की तैनाती में जुगाड़ और रसूख का खेल बंद हो।
जिम्मेदारी: नेताओं और शिक्षक संगठनों को बच्चों के भविष्य की चिंता करनी होगी।
सवाल जो गूंज रहा है
जब शहरों के स्कूलों में शिक्षकों की भीड़ है और गाँवों के स्कूल खाली पड़े हैं, तो क्या यह बच्चों के साथ नाइंसाफी नहीं? छत्तीसगढ़ के नौनिहालों का भविष्य बचाने के लिए अब कब कदम उठेगा?