Chhattisgarh DEO News: सचिव स्कूल शिक्षा के आदेश का डीईओ ने बना डाला मजाक, हाई कोर्ट की अवलेहना करते प्राचार्य पद पर व्याख्याताओ ने कर लिया कार्यभार ग्रहण...
Chhattisgarh DEO News: छत्तीसगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारियों ने अपने ही सचिव के आदेश की धज्जियां उड़ा डाली। प्राचार्यों के प्रमोशन आदेश में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया था कि ये पदोन्नति हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी। उसके बाद काउंसलिंग के जरिये डीपीआई पोस्टिंग करेंगे। मगर कई लेक्चरर चंद घंटे का भी इंतजार नहीं कर सके और प्राचार्य पद पर ज्वाईनिंग देकर पावती प्राप्त कर ली। बता दें, 30 अप्रैल को शाम छह बजे प्रमोशन आदेश जारी हुआ था और अगले दिन 1 मई को दोपहर हाई कोर्ट ने इस पर न केवल रोक लगा दी बल्कि प्रमोशन करने पर अवमानना नोटिस भी जारी कर दी। मगर होशियारचंद व्याख्याताओं ने जिला शिक्षा अधिकारी से मिलकर तब तक ज्वाइनिंग दे दिया था। एक तरह से ये हाई कोर्ट की अवेहलना भी हुआ। प्रमोशन आदेश में साफ लिखा था कि ये आदेश हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगा तो फिर इन डीईओ और व्याख्याताओं से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें इतना भी समझ नहीं है।

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Chhattisgarh DEO News: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के खटराल और शातिर अधिकारियों की करस्तानी किसी से छिपी नहीं है, पैसा कमाने के लिए यह गलत काम तो करते ही है कई बार ऐसे काम भी करते है कि प्रश्न खड़ा हो जाता है कि स्कूल शिक्षा विभाग में बैठे ये लाखों की सैलरी लेने वाले अधिकारी क्या सच में इसके योग्य भी है।
प्राचार्य प्रमोशन को ही ले लीजिए, राज्य कार्यालय से प्राचार्य प्रमोशन का 30 अप्रैल को आदेश जारी हुआ और आदेश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण दिनांक से इन्हें प्राचार्य पद का वेतनमान प्रदाय किया जाएगा साथ ही आदेश के अंत में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि उपरोक्त आदेश न्यायालय में लंबित याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा और उपरोक्त प्राचार्य की पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से अलग से की जाएगी। यानी सामान्य भाषा में समझे तो इस आदेश का तात्पर्य सिर्फ इतना था की इतने व्याख्याताओ का प्राचार्य पद पर प्रमोशन होगा और इस वरिष्ठता क्रम से होगा क्योंकि न तो उन्हें तत्काल वेतनमान देने का प्रावधान आदेश में है न पदस्थापना देने का।
इधर अगले दिन दोपहर में ही कोर्ट ने न केवल स्कूल शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के इस कार्यवाही को लेकर फटकार लगाई बल्कि इस प्रमोशन पर स्टे भी लगा दिया। कोर्ट इस आदेश जारी करने की कार्रवाई से खिन्न भी नजर आया । इधर कई जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों और प्राचार्य ने उससे भी बड़ी गलती यह कर दी कि कुछ व्याख्याताओ को प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण कर दिया जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है और जिसके चलते स्कूल शिक्षा विभाग की खिल्ली उड़ रही है।
बिलासपुर के बाद रायगढ़ में भी वही तमाशा
सबसे पहले बिलासपुर जिले के उन्नत शिक्षा अध्ययन संस्थान का आदेश वायरल हुआ जिसके अनुसार संस्था में सौरभ सक्सेना ने प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण किया और बकायदा महाविद्यालय से उन्हें इसकी पावती दी गई। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का आदेश सार्वजनिक हुआ जिसके अनुसार विधि प्रकोष्ठ में कार्यरत व्याख्याता संजय कुमार दुबे ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया। जानकारी यह भी मिल रही कि केवल संजय दुबे ही नहीं बल्कि तीन और व्याख्याताओ ने इसी प्रकार कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है।
इसी प्रकार बलरामपुर रामानुजगंज जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गैना ने वहां कार्यरत व्याख्याता श्याम किशोर जायसवाल को प्राचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण कराकर इसकी सूचना जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी है। व्याख्याताओ का कार्यभार ग्रहण करने का कृत्य तो समझ में आता है क्योंकि भविष्य में वह इसी आदेश को लेकर न्यायालय भी जा सकते हैं लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर , उन्नत शिक्षा अध्ययन संस्थान बिलासपुर और प्राचार्य गैना, जिला रामानुजगंज के अधिकारी कर्मचारी की हरकत समझ से परे है ।
7 को सुनवाई में घिर सकती है स्कूल शिक्षा विभाग
प्रमोशन मामले में पिछले सुनवाई में जजों ने आदेश जारी करने को लेकर फटकार लगाई थी और आदेश पर स्टे दिया था। क्योंकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से खड़े हुए वकीलों ने जजों को इस बात की जानकारी दी थी कि न्यायालय द्वारा रोक लगाने के बावजूद विभाग में आदेश जारी कर दिया। अब 7 तारीख को होने वाली अगली पेशी में वकील इस बात को फिर से न्यायालय के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं कि न केवल आदेश जारी किया गया है बल्कि कई व्याख्याताओ को नियम विरुद्ध कार्यभार भी ग्रहण कर दिया गया है। जबकि आदेश के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान था ही नहीं और बाद में यही व्याख्याता न्यायालय पहुंचकर कार्यभार ग्रहण दिनांक से वेतमान और वरिष्ठता की मांग करेंगे।
सोना साहू का ऐसा ही प्रकरण
कुछ इसी तरह की गलती विभाग के अधिकारियों के द्वारा सोना साहू के प्रकरण में भी की गई क्योंकि इससे पहले ऐसे सैकड़ो प्रकरण न्यायालय से खारिज हो चुके थे लेकिन सोना साहू के प्रकरण में निचले स्तर के अधिकारियों की लापरवाही के चलते न केवल सोना साहू ने डबल बेंच से जीत हासिल कर ली बल्कि जनपद पंचायत को उन्हें राशि भुगतान भी करना पड़ा। सिर्फ विभाग द्वारा अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखे जाने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई। अब एक बार फिर स्कूल शिक्षा विभाग के लोगों से इसी तरह की चूक हो रही है जिसका बड़ा खामियाजा विभाग को फिर से उठाना पड़ सकता है...यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो।