Begin typing your search above and press return to search.

Chhattisgarh 6th Student Suicide: झंकझोरने वाली खबर: गेम खेलने मोबाइल न देने पर छठवीं के छात्र ने की खुदकुशी...

CG: छठवीं कक्षा के बच्चे ने मोबाइल नहीं मिलने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बच्चों को मोबाइल गेम खेलने की आदत थी। चचेरे भाई के द्वारा मोबाइल देने से मना करने पर बच्चों ने आत्मघाती कदम उठा लिया।

Chhattisgarh 6th Student Suicide: झंकझोरने वाली खबर: गेम खेलने मोबाइल न देने पर छठवीं के छात्र ने की खुदकुशी...
X
By Radhakishan Sharma

Chhattisgarh 6th Student Suicide: एमसीबी। छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले में मोबाइल की लगे छठवीं कक्षा के 12 वर्षीय छात्रा की जान ले ली। नाबालिक छात्रा को मोबाइल में गेम खेलने की लत थी। इसने एडिक्शन का रूप ले लिया था। बच्चे को मोबाइल नहीं मिला तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी।

मनेंद्रगढ़ के आमखेरवा केंवट मोहल्ले में रहने वाले 12 वर्षीय छात्र आकाश लकड़ा ने मोबाइल नहीं मिलने पर फांसी लगाकर जान दे दी। आकाश 12वीं कक्षा का छात्र था। उसके पिता विजय लकड़ा मजदूरी करते हैं। उसकी मां भी मजदूरी करती हैं। आकाश से छोटी एक बहन है जो पढ़ाई कर रही है। आकाश को मोबाइल पर गेम खेलने की लत लग गई थी। जब स्कूल की छुट्टियां नहीं हुई थी तब भी वह स्कूल से लौटकर पढ़ाई की बजाय घंटों मोबाइल में गेम खेलता था। परिवार के लोगों के द्वारा पढ़ाई के लिए समझाइश देने पर वह नहीं मानता था और जिद कर मोबाइल ले लेता था।

वर्तमान में स्कूल में गर्मी की छुट्टियां लग गई है। छुट्टियों में आकाश परिवार में किसी ने किसी से मोबाइल मांग कर गेम खेलता रहता था। घर वालों के द्वारा मोबाइल नहीं मिलने पर आकाश मोहल्ले में ही रहने वाले अपने चाचा के घर गया और चचेरे भाई विक्रम से मोबाइल मांगने की जिद कर रहा था। चचेरे भाई विक्रम के द्वारा मोबाइल नहीं देने पर वह गुस्से में वापस घर आया और फांसी लगाकर जान दे दी।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घरवालों से पूछताछ की। घर वालों ने पुलिस को मोबाइल नहीं मिलने पर आत्महत्या करने की बात बताई। घर वालों के अनुसार मोबाइल के लिए आकाश जिद तो करता था पर मोबाइल नहीं मिलने पर जान देने जैसा बड़ा कदम उठा लेगा यह उन्हें नहीं पता था। घटना के बाद परिजनों का रो–रो कर बुरा हाल है।

मोबाइल नहीं मिलने पर पेशेंस खो रहे बच्चे,हो रहे आक्रमक

पिछले कुछ समय के घटनाओं को देख तो छोटे बच्चों की दीवानगी मोबाइल के प्रति इस कदर बढ़ी है कि मोबाइल नहीं मिलने पर वह घर वालों से झगड़े पर उतारू हो जाते है और आत्मघाती कदम भी उठा लेते है। पहले बच्चों के छोटे रहने के दौरान उनके माता-पिता ही उन्हें व्यस्त रहने पर बिजी रखने के लिए मोबाइल देते हैं जो बाद में गलत फैसला साबित होता है।

ज्यादा मोबाइल देखने से बच्चों में पेशेंस की कमी हो जाती है और वे बाहर भी किसी से घुल मिल नहीं पाते। मोबाइल से उनकी आंखों पर प्रभाव तो पड़ता ही है। साथ ही उनका मानसिक विकास भी अवरूद्ध हो जाता है।

Next Story