CG Yuktiyuktkaran News: जेडी, DEO और BEO की कार्यक्षमता की खुल गई पोल, पैसे के आगे DPI की चेतावनी बेअसर रही, ऐसे अफसरों से कैसे उठेगा शिक्षा का स्तर...
CG Yuktiyuktkaran News: शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में दो-एक जिलों को छोड़ दें, तो कोई जिला नहीं बचा, जहां बीईओ, डीईओ और जेडी ने अतिशेष के नाम पर खुरापात नहीं किया। या तो पैसे लेकर खेल किया गया या फिर उनकी अक्षमता की वजह से मामला पेचीदा हो गया। इस पूरे युक्तियुक्तकरण में स्कूल शिक्षा विभाग के मैदानी अफसरों ने डीपीआई की बार-बार चेतावनी की परवाह न करते हुआ खुला-खेल फरुखाबादी की तरह अतिशेष सूची से बाहर रखने के नाम पर लूट-खसोट मचा दी।

CG Yuktiyuktkaran News: रायपुर। युक्तियुक्तकरण ने स्कूल शिक्षा विभाग के जेडी, डीईओ और बीईओ की कार्यक्षमता की पोल खोलकर रख दी है। जुगाड़ तंत्र के भरोसे प्रभारवाद के चारपाई पर बैठे अधिकारियों की क्षमता को सिर्फ इसी बात से जांच लीजिए की प्रदेश का कोई एक ऐसा जिला नहीं है जहां से विवाद निकलकर सामने ना आया हो और पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई हो रही हो। हर जिले से गलत अतिशेष सूची तैयार करने, स्कूल का नाम छुपाने, सीनियर के ऊपर जूनियर को तरजीह देने जैसी शिकायतें आम है और कंप्यूटर युग में अधिकारियों का काम देखकर ऐसा लग रहा है मानो अभी भी पुरातन काल में जी रहे हो। महीने भर से अधिक का समय मिलने, प्रदेश में संकुल प्राचार्य की व्यवस्था होने और 5000 से अधिक केवल संकुल समन्वयक होने के बाद भी कई जिले के अधिकारी अभी तक पूरी जानकारी तक नहीं जुटा सके हैं ।
डीपीआई को गंभीरता से नहीं ले रहे अधिकारी
युक्तियुक्तकरण के मसले पर लेनदेन समेत कई प्रकार की शिकायतों के सामने आते ही डीपीआई ने स्वयं स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के ग्रुप में सख्त चेतावनी दी थी और कहा था कि अगर किसी भी प्रकार की शिकायत मिली तो उसे मैं पर्सनली मॉनिटर करूंगा लेकिन जिस प्रकार सारंगढ़ का मामला निकलकर सामने आया और अन्य जिलों से भी शिकायतों का दौर शुरू हुआ और डीपीआई ने किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कि उसे लेकर अधिकारियों के हौसले बुलंद हो गए। उन्होंने महज एक सप्ताह में जो खेल खेला है वह स्कूल को शिक्षा विभाग को हिला दिया। स्वयं एनपीजी के पास शिक्षकों ने सबूत के साथ शिकायत की है और प्रथम दृष्टया यह साफ दिखाई पड़ता है अधिकारियों ने व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार का खेल खेल दिया है। यह सीधे तौर पर डीपीआई को चुनौती है जिन्होंने सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
दरअसल, डीपीआई चाहते हैं की किसी भी हाल में युक्तियुक्तकरण समय पर समाप्त हो जाए और कार्रवाई करके वह प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहते थे। लेकिन अधिकारियों ने इसे कुछ और ही समझ लिया और उसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के वह तमाम दलाल सक्रिय हो गए, जो पहले भी ट्रांसफर और प्रमोशन के खेल में लंबा पैसा कमा चुके हैं। अधिकारियों से मिलीभगत करके उन्होंने पूरे स्कूल शिक्षा विभाग के नियम कानून को धत्ता बताते हुए अतिशेष सूची तैयार करवा दी स्वाभाविक है कि एसडीएम को और कलेक्टर को ऐसे मामले आसानी से समझ में नहीं आते हैं। क्योंकि नियमों के कई पेंच है लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे प्रथम दृष्टया ही समझ सकते हैं लेकिन जब पूरा खेल ही डीईओ, बीईओ खेल रहे हैं तो फिर पारदर्शिता की उम्मीद ही कैसे की जा सकती है ।
सिस्टम पर भरोसा कैसे?
युक्तियुक्तकरण के मसले को लेकर शिक्षक मुखर हैं और पूरे सबूत के साथ शिकायत कर रहे हैं। लेकिन जहां जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पावती तक नहीं दी जा रही है वही कलेक्टर कार्यालय के पास आवेदन को देखने का किसी के पास समय नहीं है। कुल मिलाकर आम शिक्षकों के बीच यह चर्चा आम है की सरकार की तरफ से अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट है और इसी के तहत अधिकारी पूरा खेल खेल रहे हैं। ऐसे में यह सरकार की उस साख पर चुनौती है जिसके तहत पारदर्शिता का दावा किया जाता है और यदि युक्तियुक्तकरण समाप्त होने के बाद भी आ रही शिकायतों पर कार्रवाई का हंटर नहीं चलाया गया तो स्कूल शिक्षा विभाग में और अराजकता आएगी।
