CG Yuktiyuktkaran: कलेक्टरों को फंसाएंगे, सरकार की होगी बदनामी! युक्तियुक्तकरण के नाम पर DEO, JD ने शुरू किया अतिशेष, काउंसलिंग और निलंबन बहाली का खेला...
CG Yuktiyuktkaran: छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के लिए बनी समिति का अध्यक्ष कलेक्टरों को बनाया है। मगर सूबे के डीईओ और जेडी ने जिस तरह अतिशेष और काउंसलिंग के नाम पर खेला शुरू किया है, वह कलेक्टरों की समझ से बाहर की बात है। जेडी और डीईओ मिलकर शिक्षकों को अतिशेष कर रहे हैं और अतिशेष वालों को गैर अतिशेष की लिस्ट में डालने मोटी रकम ली जा रही है। इसी तरह सस्पेंड शिक्षकों को बुला-बुलाकर उन स्कूलों में बहाल किया जा रहा, जहां शिक्षकों की कमी है। ताकि, वे अतिशेष से बच जाएंगे। इसके लिए दो-से-तीन लाख रेट तय कर दिया गया है। जाहिर है, आखिर में इसका ठीकरा कलेक्टरों के सिर फूटेगा और सरकार की बदनामी होगी। क्योंकि, डीपीआई, कलेक्टर लाख लाठी पटकते रह जाएं, जेडी, डीईओ बंद कमरे की काउंसलिंग में ऐसा तिकड़म लगाते हैं कि न बेचारा आवेदक शिक्षक समझ पाता और उपर के अधिकारी कभी समझ पाएंगे।

CG Yuktiyuktkaran: रायपुर। हालांकि, मुंगेली कलेक्टर कुंदन कुमार डीईओ, बीईओ के खेल को समझ गए, इसलिए व्हाट्सएप गु्रप में मैसेज डालकर कठोर चेतावनी दी कि गड़बड़ियों की सूचना मुझे मिल गई है...संभल जाओ, वरना विभागीय जांच बाद में होगी, पहले आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा। जानकारों का कहना है कि कलेक्टर द्वारा इस लहजे में चेतावनी देने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी इतने खटराल हो चुके हैं कि उन्हें किसी धमकी की परवाह नहीं होती। उन्हें मालूम है कि पिछली सरकार में सहायक शिक्षक प्रमोशन घोटाले में 100 करोड़ से अधिक का खेल हुआ, उसमें प्रदेश के पांच में से चार ज्वाइंट डायरेक्टर सस्पेंड हो गए। मगर उसके बाद सबके सब बहाल कर दिए गए।
शिक्षा विभाग के अधिकारी किसी भी मौके को छोड़ते नहीं है। फिर मामला चाहे ट्रांसफर का हो , प्रमोशन का हो या युक्तियुक्तकरण का, सब में अपनी जेबे भरने का रास्ता अधिकारी ढूंढ ही लेते हैं। शिक्षक और शिक्षक नेताओं का तो स्पष्ट कहना है कि अधिकारी युक्तियुक्तकरण की योजना ही भ्रष्टाचार करने के लिए लेकर आए हैं और अब उनकी बात सही होते हुए दिखाई दे रही है।
कई जिलों से ऐसी बातें निकाल कर सामने आ रही है कि जानबूझकर अतिशेष सूची से शिक्षको को बाहर और अंदर करने का खेल चल रहा है।
कुछ जिलों में निलंबित सहायक शिक्षकों, शिक्षकों से तीन-तीन लाख रुपए लेकर जिन स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली है, वहां उन्हें बहाल कर पोस्ट किया जा रहा है। निलंबित शिक्षक, सहायक शिक्षकों से इसके लिए दलालों द्वारा संपर्क कर उन्हें प्रलोभन दिया जा रहा कि तुम्हारी बहाली भी हो जाएगी, और आप अतिशेष में आने से बच जाओगे, क्योंकि आपको खतरेरहित स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा।
जबकि नया सत्र शुरू होने में अभी भी 20 दिन से अधिक बचे हुए हैं। दरअसल, गर्मी की छुट्टियों में यह शिक्षक चुपचाप जाकर ज्वाइन कर लेते और हंगामा नहीं मचता इसलिए ग्रीष्मकालीन अवकाश के बीच में इन्हें बहाली किया गया था। अब अविभाजित बिलासपुर के कभी हिस्से रहे और वर्तमान में पड़ोसी जिले मुंगेली में युक्तियुक्तकरण के नाम पर चल खेल की भनक कलेक्टर को लग गई है इसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप में ही कड़ा मैसेज लिखकर बीईओ, बीआरसी, डीईओ जैसे अधिकारियों को इस बात की साफ चेतावनी दे दी है की जो खेल आप लोगों के द्वारा खेला जा रहा है उसकी सूचना मुझे मिल चुकी है, इसके बाद तुमलोग समझ लेना।
अधिकारियों के हौसले हैं बुलंद
युक्तियुक्तकरण के फैसले से भले ही शिक्षकों में नाराजगी हो लेकिन बीईओ, डीईओ जैसे अधिकारियों के चेहरे पर खुशी है और ठीक जिला पंचायत में शिक्षाकर्मी भर्ती की तर्ज पर खेल शुरू हो गया है। इनके दलाल शिक्षकों तक यह खबर पहुंचा रहे हैं कि इतनी धनराशि दोगे तो आपका नाम अतिशेष सूची से बाहर कर दिया जाएगा और उसके लिए व्यवस्था बनाई जाएगी। डरे सहमे शिक्षक खुद भी अधिकारियों के दलालों से संपर्क कर रहे हैं और ग्रीष्मकालीन छुट्टियां में भी कार्यालय गुलजार है।
अगर सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया तो यह मनकर चलिए की पदोन्नति संशोधन से भी बड़ा घोटाला युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग के बाद निकाल कर सामने आएगा, जिसकी शुरुआत हो चुकी है।
काउंसलिंग के नाम पर भी डीईओ और जेडी ऑफिसों में बड़े स्तर पर खेल करने की तैयारी की जा रही हैं। अभी हाल में बिलासपुर जेडी ऑफिस ने प्रमोशन में इसी काउंसलिंग के खेल को अंजाम देकर बड़ी संख्या में शिक्षकों को इधर-से-उधर ट्रांसफर कर दिया। दरअसल, काउंसलिंग बंद कमरे में एक-एक शिक्षक की होती है। अगर सबके सामने खाली स्कूलों का नाम डिस्प्ले कर काउंसलिंग की जाती तो वहां मौजूद शिक्षकों को स्कूलों की स्थिति मालूम रहती। बंद कमरे में एक शिक्षक को बुलाया जाता है फिर खाली स्कूल को बता दिया जाता है, वहां सीट भर गई है, आप कोई और चुनो। मजबूरी में शिक्षक दूरस्थ स्कूलों का चयन करता है। और बाद में शहर से लगे स्कूलों की सीटों को पैसा लेकर बेच दिया जाता है।