CG Yuktiyuktkaran: आमने-सामनेः सहायक संचालक ने लिखा युक्तियुक्तकरण में कोई गड़बड़ी नहीं, शिक्षक नेता बोले, गलत निकला तो नौकरी से इस्तीफा दे दूंगा
CG Yuktiyuktkaran: 21 शिक्षक संगठनों का साझा मंच बनाना कोई काम नहीं आया। स्कूल शिक्षा विभाग ने 10 हजार से अधिक स्कूलों का युक्तियुक्तकरण के साथ ही 13 हजार से अधिक शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर डाला। अलबत्ता, इसमें बड़े स्तर पर खेल भी हुआ। अतिशेष सूची में नाम रखने और काटने के नाम पर शिक्षा अधिकारियों ने जमकर गोते लगाए। बहरहाल, स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर दावा कर रहे हैं कि कोई युक्तियुक्तकरण में कोई चूक नहीं हुई है, उधर सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पाण्डेय ने चुनौती दे दी है...मैं अगर गलत होउंगा तो नौकरी से इस्तीफा दे दूंगा।

CG Yuktiyuktkaran: बिलासपुर। युक्तियुक्तकरण के मुद्दे पर हुई गड़बड़ी को लेकर अधिकारी और शिक्षक नेता अब आमने-सामने हैं। बिलासपुर के कर्मचारियों के एक बड़े ग्रुप में बिलासपुर जिला स्तरीय काउंसलिंग के प्रभारी रहे सहायक संचालक अजय कौशिक ने पोस्ट लिखकर दावा किया कि बिलासपुर में किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार या गड़बड़ी नहीं हुई है और यदि हुई है तो दस्तावेजों के साथ लोग उनके समक्ष प्रस्तुत करें, वह कार्रवाई की गारंटी लेते हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि ऐसी खबरों को अनावश्यक हवा न दें और इसी अंतिम लाइन को पर ग्रुप में मौजूद सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप पांडे ने लिखा कि सर, बिलासपुर में ढेरों गलतियां हुई है और जानबूझकर की गई है यह एकदम सही बात है। मैं सार्वजनिक रूप से कह रहा हूं। सोमवार को पूरे दस्तावेजों के साथ मै आपके पास आता हूं, विश्वास है आप धैर्य से सुनेंगे और न्याय करेंगे।
कम से कम 5 मामलों की गारंटी तो मैं दे रहा हूं जिसमें सीधे तौर पर राज्य कार्यालय के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी को अगर साबित न कर सका तो दे दूंगा नौकरी से इस्तीफा।
जाहिर है, युक्तियुक्तकरण में पूरे छत्तीसगढ़ में व्यापक गड़बड़ियां हुईं हैं। सारंगढ़ में तो सारा लिमिटेशन लांघ दिया अधिकारियों ने। कई इलाकों में बीईओ, डीईओ और ज्वाइंट डायरेक्टरों ने अतिशेष सूची में नाम जोड़ने और काटने के नाम पर बड़ा खेला कर दिया। हालांकि, स्कूल शिक्षा विभाग ने 13 हजार अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्टिंग कर दिया मगर नीचे के अधिकारियों पर कंट्रोल न होने की वजह से युक्तियुक्तकरण में भारी भ्रष्टाचार हुआ। डीपीआई को इसकी भनक मिली तो उन्होने अधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में बीईओ, डीईओ और जेडी को जमकर लताड लगाई बल्कि नौ सूत्रीय कड़े निर्देश जारी किए। मगर तब तक कई जिलों मेंं बडा खेला हो चुका था।