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CG Teacher Yuktiyuktkaran:...तो 35 हजार शिक्षक अतिशेष, 20 हजार प्राईमरी स्कूल हो जाएंगे सिंगल टीचर के भरोसे, शिक्षक संघ ने अफसरों से पूछे तीखे सवाल...

CG Teacher Yuktiyuktkaran: स्कूल शिक्षा विभाग स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके विरोध में शिक्षक संगठनों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। कल मंत्रालय में अफसरों को इस संबंध में ज्ञापन दिया जाएगा। उधर, युक्यिक्तकरण को औचित्यहीन करार देते हुए शिक्षक नेताओं ने कहा है कि जिस तरह इसे अंजाम दिया जा रहा, उससे प्रदेश में 35 हजार शिक्षक सरप्लस हो जाएंगे और तुगलकी निर्णय से 20 हजार प्राईमरी स्कूल सिंगल टीचर वाले केटेगरी में आ जाएंगे।

CG Teacher Yuktiyuktkaran:...तो 35 हजार शिक्षक अतिशेष, 20 हजार प्राईमरी स्कूल हो जाएंगे सिंगल टीचर के भरोसे, शिक्षक संघ ने अफसरों से पूछे तीखे सवाल...
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By Gopal Rao

CG Teacher Yuktiyuktkaran: रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में स्कूलों व शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु जो मापदंड रखकर यह प्रक्रिया की जा रही है और विभाग द्वारा इसके समर्थन में बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, उसको लेकर छग शालेय शिक्षक संघ ने कुछ प्रश्न पूछे हैं और उन विभागीय दावों की पोल खोलने का प्रयास किया है। आइये जानते है वो कौन सी बातें है जिससे इस युक्तियुक्तकरण के द्वारा किये जा रहे शिक्षा की गुणवत्ता व शिक्षको की कमी की पूर्ति के दावे धराशायी हो जाते हैं।

छग शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे और प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि विभाग के आंकड़ों की बाजीगरी करके, कागजी दावे करके और कुतर्क करके युक्तियुक्तकरण के वर्तमान निर्देशों को जायज ठहराने और समाज, पालक, शिक्षक व बच्चों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।

सुलगते सवाल...

1ः शिक्षा विभाग यह क्यों नहीं बताता कि स्थानांतरण पर रोक लगे होने पर भी हजारों शिक्षकों के मनचाहा स्थानांतरण कैसे हो जाता है? इनके लिए पद रिक्त होने का अभिमत कैसे मिल जाता है जबकि वहां पद रिक्त होते ही नहीं हैं।

2ः विभाग राष्ट्रीय स्तर पर छात्र शिक्षक अनुपात में छ ग को अन्य राज्यों से आगे होने का ढोल तो पीट रही है लेकिन शैक्षिक उपलब्धि और परीक्षा परिणामों में छ ग की अंतिम 05 से 10 स्थान में होना नहीं बताती। विभाग यह नहीं बताता कि राष्ट्रीय औसत से अधिक शिक्षक होने के बावजूद विद्यालय शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय कैसे हो जाते हैं?

3ः विभाग यह नहीं बताता कि कैसे नवनियुक्त, पदोन्नत व प्रतिनियुक्त कर्मचारी मनपसंद स्थानों पर पहुंच जाते हैं और पदस्थापना से अन्यत्र स्थानों से वेतन प्राप्त करते हैं।

विभाग के पास विभाग को बेपटरी करने वालों तथा विभाग में निरंकुशता करने वालों के युक्तियुक्तकरण करने की न तो नीति बनती न ही विभाग की इच्छा शक्ति दिखती।

विभाग,लोगों को यह तो बताना चाहता है कि युक्तियुक्तकरण करके लगभग 7000 एकल शिक्षकीय व शिक्षक विहीन प्राथमिक शालाओं में एक सहायक शिक्षक उपलब्ध करवा देंगे लेकिन यह छुपा रहे हैं कि इससे राज्य के 60 से कम दर्ज संख्या वाले लगभग 20000 प्राथमिक शालाएं सदैव के लिए व्यावहारिक रूप से एकल शिक्षकीय हो जाएंगे। क्योंकि इन शालाओं में एक प्रधान पाठक और एक सहायक शिक्षक पदस्थ होंगे जिनमें से एक शिक्षक शासकीय कार्य (लगभग 30 प्रकार), अवकाश, स्थानांतरण, पदोन्नति या किसी अन्य कारण से प्रायः शाला से बाहर होते हैं तो वह शाला एकल शिक्षकीय ही होगी। ऐसी स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता तो दूर बच्चों की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाएगा।

विभाग की असल मंशा क्या है?-

पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षक भर्ती व पदोन्नति की पदस्थापना के समय विभाग ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम को देखा तक नहीं जिसकी अब दुहाई दे रहे हैं। तभी तो शिक्षा के अधिकार अधिनियम तथा राज्य के भर्ती पदोन्नति नियम में विषयवार शिक्षक का प्रावधान होने के बावजूद भर्ती पदोन्नति नियम में विषय को बाध्यता को विलोपित कर दिया और पद रिक्तता को भी नजरंदाज कर मनचाहे पदस्थापना की गई। अब विषय के आधार पर युक्तियुक्तकरण करने और 105 से कम दर्ज संख्या वाले लगभग 7000 पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक शिक्षक कम करने जा रहे हैं।

हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में प्राचार्य व व्याख्याता के हजारों पद रिक्त होने के बावजूद 08-10 वर्षों में भी विभाग ने पदोन्नति नहीं किया, यद्यपि सीधी भर्ती, प्रतिनियुक्ति व स्थानांतरण मिशन मोड में मनचाहे ढंग से किया।

विभाग की विगत कार्यशैली व वर्तमान युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से विभाग की असल मंशा व वास्तविकता में विरोधाभास स्पष्ट दिखता है।सभी को विभाग की वास्तविक मंशा समझना चाहिए।मान मुख्यमंत्री महोदय को अविलंब हस्तक्षेप करना चाहिए। समस्त संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत समाधान निकालना चाहिए क्योंकि हम भी शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता के पक्षधर हैं किंतु वर्तमान नियम व प्रक्रिया में सुधार के साथ।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी व प्रांतीय मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा ने यह भी पूछा कि लगभग 15000 प्राथमिक शालाएं 60 से कम दर्ज संख्या वाली है। यहां एक प्रधान पाठक और एक सहा शिक्षक से 05 कक्षाओं की शिक्षा और बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?

  • इन 15000 विद्यालयों से औसत 01 एक सहा शिक्षक अतिशेष होंगे, उन्हें सरकार कहां पदस्थापना देगी? सरकारी आंकड़ों के अनुसार आवश्यकता तो केवल लगभग 7000 सहायक शिक्षकों की है।
  • इसी तरह पूर्व माध्यमिक शालाओं में लगभग 7000 शिक्षक एक पद कम करने के कारण अतिशेष होंगे तथा लगभग 8000 विषय के कारण अतिशेष होंगे। इस तरह लगभग 15000 शिक्षक माध्यमिक शाला से भी अतिशेष होंगे।
  • हायर सेकेंडरी स्कूलों से भी विषय व्याख्याता को देखने के बजाय कालखण्ड के आधार पर अतिशेष करने से लगभग 5000 व्याख्याता भी अतिशेष हो जाएंगे। तीनो संवर्ग के अलावा बहुत से प्रधानपाठक स्कूल बंद होने से प्रभावित होंगे।
  • समेकित रूप से प्रदेश में इस प्रचलित नियम से 35000 से भी अधिक शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आ जाएंगे जबकि सरकार स्वयं एकल शिक्षक और शिक्षकविहीन स्कूलों की संख्या मात्र 7000 हजार बता रही है।
  • यह भी अवश्यम्भावी है-संगठन ने कहा कि जब गांव के स्कूल बन्द किये जायेंगे,या मर्ज किए जाएंगे तब गांव गांव में जनाक्रोश पनपेगा, शिक्षित बेरोजगार जो शिक्षक की वेकैंसी की बाट जोह रहे है उनके सपनों पर भी कुठाराघात होगा।
  • शालेय शिक्षक संघ ने मांग की है कि युक्तियुक्तकरण के पहले पदोन्नति, स्थानांतरण हो और युक्तियुक्तकरण में अतिशेष निकालने की प्रक्रिया 2008 के विभागीय सेटअप अनुसार हो तो किसी को कोई आपत्ति नही होगी।


Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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