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CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण को लेकर CM ने अफसरों को दिया फ्रीहैंड, 13000 शिक्षकों का ट्रांसफर इस महीने के अंत तक

CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षकों और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार अडिग दिख रही है। पिछले साल स्थानीय चुनावों को देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने कदम जरूर पीछे खींच लिया था, मगर इस बार विभाग के तेवर देखते लगता है कि इस महीने के अंत या जून मध्य तक शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग हो जाएगी। जाहिर है, शहरों के स्कूलों में 7300 शिक्षक सरप्ल्स हैं और 4700 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करने से करीब छह हजार शिक्षक अतिशेष हो जाएंगे।

CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षकों और स्कूलों का युक्तियुक्तकरण को लेकर CM ने अफसरों को दिया फ्रीहैंड, 13000 शिक्षकों का ट्रांसफर इस महीने के अंत तक
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By Gopal Rao

CG Teacher Yuktiyuktkaran: रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों और शिक्षकों कके युक्तियुक्तकरण का काम तेज कर दिया है। ब्लॉक और जिला स्तर पर अतिशेष स्कूलों और शिक्षकों की सूची तैयार कर ली गई है। अब दावा-आपत्ति का काम चल रहा है।

दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग इस बार युक्तियुक्तकरण मे कोर कसर नहीं रखना चाहता, जिससे कोई व्यवहारिक या कानूनी पेचीदगियों का सामना करना पड़े। जाहिर है, युक्तियुक्तरण के तहत लगभग 13 हजार शिक्षकों का ट्रांसफर होगा, इसलिए अफसरों को यह भी पता है कि बड़ी संख्या में शिक्षक कोर्ट जाएंगे। इसको देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने हाई कोर्ट में केवियेट लगा दिया है। याने शिक्षकों के कोर्ट पहुंचते ही स्थगन नहीं मिलेगा। उससे पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाएगा।

युक्तियुक्तकरण के लिए मुख्यमंत्री गंभीर

स्कूल शिक्षा विभाग इस समय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय संभाल रहे हैं। युक्तियुक्तकरण को लेकर वे बेहद गंभीर है। असल में, बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री के पास ये विभाग आया। सीएम की समीक्षा बैठक में अफसरों ने उन्हें बताया कि युक्तियुक्तकरण करके 13000 शिक्षकों का इंतजाम किया जा सकता है। शहरों के स्कूलों में 7300 शिक्षक सरप्लस हैं, इसी तरह दो-दो, चार-चार बच्चों पर कई-कई शिक्षक पोस्टेड हो गए हैं। यदि उन स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज कर दिया जाए तो करीब छह हजार शिक्षक मिल जाएंगे। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पिछले साल ही युक्तियुक्तकरण के जरिये शिक्ष़्ाकों की कमी दूर करने का ऐलान किया था।

चुनाव ब्रेकर बन गया

मुख्यमंत्री का निर्देश मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग दो महीने दिन-रात एक कर युक्तियुक्तकरण का ड्राफ्ट तैयार किया। मगर जब लागू होने का समय आया तो शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया। सरकार के उपर पार्टी का भी प्रेशर था कि युक्तियुक्तकरण से शिक्षक समुदाय नाराज हो जाएगा। इससे नगरीय निकाय चुनाव में नुकसान होगा। इसको देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था। हालांकि, छत्तीसगढ़ के मॉडल पर मध्यप्रदेश में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण सितंबर 2024 में कर दिया था।

चुनाव के बाद दो बैठकें

स्कूल शिक्षा विभाग में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दो महीने के भीतर दो रिव्यू बैठकें ले चुके हैं। इन दोनों बैठकों की जानकारी हालांकि साझा नहीं की गई, मगर इसमें युक्तियुक्तकरण पर गंभीरता से चर्चा हुई। बैठक में तय किया गया कि युक्तियुक्तकरण कर शिक्षक विहीन या सिंगल टीचर वाले स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग की जाए। जानकारों का कहना है, युक्तियुक्करण होने के बाद बस्तर और सरगुजा के सारे शिक्षक विहीन और सिंगल टीचर वाले स्कूलों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। पता चला है, इसके लिए सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को फ्री हैड दे दिया है। याने अब सरकार अपने पैर पीछे नहीं खींचेगी।

छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता को मिलाकर 2 लाख 10 हजार शिक्षक हैं। इनमें 13 हजार सरप्लस हैं। इन अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्ट करने की स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले साल कोशिशें शुरू की तो सूबे में बवाल मच गया। विधायकों से लेकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं में सरकार को पत्र लिखने की होड़़ मच गई। बीजेपी और कांग्रेस के नेता लगे वीडियो जारी करने। शिक्षक संगठनों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। सिर्फ 13 हजार पावरफुल शिक्षकों के लिए। वरना, पौने दो लाख से अधिक शिक्षक बेचारे सालों से दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में जमे हुए हैं, उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। न राजनीतिकों को उनकी परवाह है और न शिक्षक संगठन उनकी बात करते। एक लाख से अधिक शिक्षक 10-10 साल से सुदूर गांवों के स्कूलों में तैनात है। तमाम पारिवारिक परिस्थितियों के बावजूद उनका ट्रांसफर इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि, उनके पास न पैसा है और न कोई एप्रोच। उनकी बात कभी कोई शिक्षक नेता नहीं उठाता। मगर शहरों में बिना पद और बिना काम के मोटा पगार उठा रहे अतिशेष शिक्षकों के लिए शिक्षक नेता लगते हैं आंसू बहाने।

13000 पावरफुल टीचर

सवाल उठता है कुल शिक्षक क्षमता का सिर्फ 10 परसेंट से भी कम अतिशेष शिक्षक हैं। फिर इनके लिए सियासी भूचाल क्यों आ गया और शिक्षक हड़ताल का अल्टीमेटम क्यों दे डाले? इसका जवाब यह है कि 13 हजार सरप्लस शिक्षक बेहद पावरफुल हैं। सो, नेता से लेकर शिक्षक संगठनों के नेता उनके लिए मैदान में कूद पड़े। इनमें कोई किसी बीजेपी नेता का करीबी या रिश्तेदार है तो कई कांग्रेस नेताओं के। अधिकारियों के अपने लोग भी इन सरप्लस शिक्षकों में शामिल हैं। ऐसे में, सभी ने चुटिया बांध लिया कि युक्तियुक्तकरण नहीं होने देना है। और वही हुआ। स्कूल शिक्षा विभाग को उनके सामने हथियार डालना पड़ गया।

52 करोड़ रुपए पानी में

13 हजार सरप्लस शिक्षकों में सहायक शिक्षक से लेकर शिक्षक और व्याख्याता शामिल हैं। एक शिक्षक का औसत 50 हजार रुपए वेतन की गणना करें तो हर महीने 52 करोड़ रुपए बैठता है। जाहिर है, बिना काम के इन्हें वेतन भुगतान करने से ये पैसो पानी में जा रहा है। 52 करोड़ रुपए से हर महीने 15 से 20 स्कूल भवन का निर्माण हो सकता है।

7300 अतिशेष शिक्षक

स्कूल शिक्षा विभाग के छानबीन में यह जानकारी मिली है कि शहरों के स्कूलों में 7300 शिक्षक सरप्ल्स हैं। याने ये शिक्षक बिना स्वीकृत पद के काम कर रहे हैं। जबकि, इनकी वहां कोई जरूरत नहीं है। ये सभी मोटा रिश्वत देकर या फिर उंची पैरवी से इन स्कूलों में जरूरत न होने के बाद भी अपनी पोस्टिंग करा ली।

4077 स्कूलों का कोई मतलब नहीं

छत्तीसगढ में करीब 4077 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें राष्ट्रीय मानक से काफी कम बच्चे हैं। कई स्कूलों में तो चार-पांच बच्चों पर तीन-तीन, चार-चार शिक्षक हैं। इन स्कूलों को अगर पास के बड़े स्कूलों में मर्ज कर दिया जाए तो करीब पांच, साढ़े पांच हजार शिक्षक सरप्ल्स हो जाएंगे। कई जगहों पर एक ही कैंपस में दो-दो, तीन-तीन स्कूलें हैं। सरकार की योजना है, इन स्कूलों को युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकों को उन स्कूलों में शिफ्थ किया जाए, जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं या फिर सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे हैं।

5781 सिंगल और जीरो टीचर वाले स्कूल

छत्तीसगढ़ में 5484 स्कूल सिंगल टीचर वाले हैं और 297 शिक्षक विहीन। याने एक भी शिक्षक नहीं। आश्चर्यजनक यह है कि 231 मीडिल स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे तो 45 मीडिल स्कूलों में एक भी टीचर नहीं। अब जरा समझिए कि मीडिल स्कूल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। वहां अगर एक शिक्षक या जीरो की स्थिति रहेगी तो प्रदेश के नौनिहालों का क्या होगा? प्रायमरी स्कूलों का और बुरा हाल है। छत्तीसगढ़ के 5484 प्रायमरी स्कूलों में एक शिक्षक हैं तो 152 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं।

रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ में सर्वाधिक सरप्लस शिक्षक

छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जैसे बड़े शहरों में सबसे अधिक अतिशेष शिक्षक हैं। इन शहरों के कई स्कूलों में 10 बच्चे भी नहीं है मगर उसके लिए पांच-पांच, सात-सात शिक्षकों ने पैसे और एप्रोच के बल पर अपनी पोस्टिंग करा ली है। मीडिल स्कूलों में दुर्ग में 303, बिलासपुर में 211, रायपुर 250, जशपुर 246, सरगुजा 285, कांकेर 242, बस्तर 303 शिक्षक अतिशेष हैं तो प्रायमरी में रायपुर जिले में 424, बिलासपुर में 264, बलौदा बाजार में 211, सूरजपुर में 236, रायगढ़ में 217, बस्तर में 425, कांकेर में 318, कोरबा में 325, बलरामपुर में 251, बीजापुर में 272 शिक्षक अतिशेष हैं। ये सभी सालों से उसी स्कूल में जमे हुए हैं।

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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