CG Teacher Yuktiyuktkaran: इन 5 बिंदुओं पर काम कर स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में अतिशेष और काउंसलिंग के खेल पर लगाम लगा सकता है...
CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षकों के युक्तियुक्तरण में जिला शिक्षा अधिकारियों, ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों और ज्वाइंट डायरेक्टरों द्वारा किए जा रहे खेल पर लगाम लगाने एनपीजी न्यूज ने स्कल शिक्षा विभाग के कई रिटायर अधिकारियों, शिक्षकों से बात की। उससे निष्कर्ष निकला कि स्कूल शिक्षा विभाग इन पांच बिंदुओं पर काम कर ले, तो युक्तियुक्तकरण में भ्रष्टाचार की 70 से 80 परसेंट आशंका खतम हो जाएगी। शिक्षक संगठनों से भी यही आशंका जताई जा रही कि युक्तियुक्तकरा की आड़ में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी लूट मचा दिए हैं।

CG Teacher Yuktiyuktkaran: रायपुर। जाहिर है, छत्तीसगढ़ प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में चाहे प्रमोशन हो या युक्तियुक्तकरण, काउंसलिंग केवल दिखावे के लिए होता है और उसी में प्रदर्शित नहीं की जाती है। इसके लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं ।
1. अतिशेष सूची का प्रकाशन सील और साइन के साथ
अतिशेष कौन से शिक्षक होंगे इसके लिए नियम तैयार हो चुके हैं तो अब सबसे पहले अतिशेष सूची का ही प्रकाशन होना चाहिए और उसमें भी दावा आपत्ति मंगवाया जाना चाहिए। जो सूची जारी हो उसमें विधिवत रूप से अतिशेष सूची तैयार करने वाले अधिकारी का सील और हस्ताक्षर होना चाहिए। यह देखा गया है की सूची वायरल तो होती है पर उसमें सील साइन और नाम नहीं होता तो समय पड़ने पर यह प्रमाणित भी नहीं हो पता कि यह सूची सही है और विभाग द्वारा जारी की गई थी। विभाग द्वारा शासकीय पत्र जारी कर विधिवत रूप से सूची जारी की जानी चाहिए।
2. दावा-आपत्ति का प्रकाशन
दावा आपत्ति का विधिवत निराकरण कर उसकी भी सूची प्रकाशित कर देनी चाहिए और कम से कम संबंधित को जानकारी मिलनी चाहिए।
3. रिक्त सीटों वाले स्कूलों की सूची
काउंसलिंग के ठीक पहले जिन स्कूलों में पद रिक्त हैं उन स्कूलों की सूची विधिवत प्रकाशित होनी चाहिए ताकि सभी शिक्षकों को यह पता हो कि उनके पास कौन से स्कूल का चुनाव करने का विकल्प है और यह भी कार्यालय पत्र के जरिए विधिवत रूप से होना चाहिए ।
4. काउंसलिंग की वीडियोग्राफी
काउंसलिंग के समय बाहर ऑडियो और वीडियो के माध्यम से डिस्प्ले होना चाहिए जिसके माध्यम से यह स्पष्ट पता लगते रहे कि कमरे के अंदर गए शिक्षक ने कौन से स्कूल का चुनाव किया है और उसके बाद कौन से स्कूल बच गए हैं जैसा कि इंजीनियरिंग कॉलेज की काउंसलिंग में होता है। दरअसल पूरा खेल जगह के नाम पर ही होता है। शिक्षक जब अंदर पहुंचते हैं और किसी स्कूल का नाम लेते हैं तो अधिकारी कर्मचारी जो कि उनके उच्च अधिकारी हैं और जिनसे उनका दबना स्वाभाविक है। वह कह देते हैं कि अमुक जगह को किसी दूसरे शिक्षक ने ले लिया है। ऐसे में शिक्षक बहस करने की स्थिति में नहीं होता है और मजबूरी में दूसरा स्कूल चुनाव करके आता है। बाद में जब पदस्थापना सूची प्रकाशित होती है तो उसे पता लगता है कि उसके नीचे रैंक वाले शिक्षक को वह स्कूल मिला है। इसका सीधा सा मतलब है कि अमुक शिक्षक के लिए सेटिंग करके उस स्कूल को रोक लिया गया था।
5. काउंसलिंग स्टाफ की ड्यूटी में पारदर्शिता
काउंसलिंग के लिए जिन कर्मचारी अधिकारी की ड्यूटी लगती है उनका स्पष्ट आदेश जारी होना चाहिए। यह भी देखा गया है कि कई लोग कार्यालय में बिना ड्यूटी आदेश के कार्य करते रहते हैं पदोन्नति संशोधन में यह स्पष्ट देखने को मिला कि जिन्होंने लेनदेन किया उच्च अधिकारियों के लिए उनका विधिवत आदेश निकला ही नहीं था और वह अधिकारी के मौखिक आदेश पर सहयोग के लिए बैठे थे। साथ ही इस बात का स्पष्ट आदेश जारी हो जाए की काउंसलिंग या अतिशेष में जानबूझकर की गई किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाई गई तो फिर तत्काल अधिकारी/कर्मचारी पर निलंबन की कार्रवाई की जाएगी और जरूरत पड़ने पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
बता दें, कल NPG.NEWS की युक्तियुक्तकरण में बीईओ, डीईओ और जेडी द्वारा की जा रही गड़बड़ियों की तरफ इशारा करने पर डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी ने स्कूल शिक्षा अधिकारियों के व्हाट्सएप गु्रपों में मैसेज कर कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि मैं युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया पर खुद नजर रखूंगा, शिकायतों को खूद देखूंगा। किसी के द्वारा भी अगर कोई गड़बड़ी की गई तो कठोर और उच्चतम सजा दी जाएगी। उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
इसके बाद डीपीआई ऑफिस से बीईओ, डीईओ और जेडी के लिए नौ सूत्रीय निर्देश भी जारी किए गए। उसमें निलंबन से बहाली के खेल पर रिपोर्ट मांगी गई थी। नीचे पढ़िये क्या थे वो नौ सूत्रीय निर्देश...
1. विगत 15 दिवसों में निलंबन से बहाल किये गये शिक्षकों की जानकारी तीन दिवस में प्रेषित करें तथा बहाली का सुस्पष्ट कारण भी प्रस्तुत करें।
2. ऐसे विद्यालय जहां शिक्षक अतिशेष नहीं हैं, परन्तु दर्ज संख्या के अनुसार अतिशेष निकलने की स्थिति रहती यदि दर्ज संख्या (यथा प्राथमिक विद्यालय में दर्ज संख्या 61 से 65 या पूर्व माध्यमिक में 105 से 110 दर्शायी गई है। इस तरह के समस्त विद्यालयों का बारीकी से परीक्षण करें।
3. विकासखण्ड स्तरीय समिति से प्रत्येक विद्यालय की दर्ज संख्या की जानकारी 31 मार्च की स्थिति में तथा कार्यरत शिक्षकों की नाम सहित जानकारी लेवें।
4. सभी जिला शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि अध्यापन व्यवस्था हेतु संलग्न शिक्षकों को मूल शाला में दर्शाया गया है कि नहीं।
5. सभी जिला शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी कार्यालय में संलग्न शिक्षकों को मूल पदस्थ शाला में मानते हुए गणना में लेना है।
6. आश्रम शाला के अधीक्षक की गणना मूल शाला में ही की जाये।
7. विकासखण्ड स्तरीय समिति से प्राप्त रिक्त पदों का मिलान कर लेवें।
8. शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय एवं जहां शिक्षकों की आवश्यकता अधिक है, ऐसे विद्यालयों का भी परीक्षण कर लेवें।
9. पूरी प्रकिया का पारदर्शिता से पालन सुनिश्चित करें तथा दोषी पाये जाने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही प्रस्तावित करें।