CG Teacher Yuktiyuktkaran: 52 करोड़ हर महीने पानी में, फिर भी शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में MP से क्यों पिछड़ गया छत्तीसगढ़़? 13000 सरप्ल्स शिक्षक स्कूलों में कुर्सी तोड़ रहे...
CG Teacher Yuktiyuktkaran: ये एक विडंबना है कि छत्तीसगढ़ के बाद पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश ने शिक्षकों और युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की और वहां सितंबर 2024 में युक्तियुक्तकरण का कार्य निर्विघ्न कर लिया गया। और छत्तीसगढ़ में सियासी दबाव के आगे स्कूल शिक्षा विभाग पूरी तैयारी होने के बाद भी युक्तियुक्तकरण करने का साहस नहीं जुटा पाया। जबकि, 13 हजार अतिशेष शिक्षकों से खजाने को हर महीने 52 करोड़ की चपत लग रही है। इस पैसे में हर महीने 12 से 15 स्कूल भवनों का निर्माण हो सकता है। ये 52 करोड़ रुपए बिना काम के जा रहा है।

CG Teacher Yuktiyuktkaran: रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की स्थगित प्रक्रिया को फिर से प्रारंभ करने की कवायद शुरू की है। इसके लिए डेटलाईन भी तय कर दिया गया है। 1 मई से स्कूलों का युक्तियुक्तकरण होगा और 15 मई से शिक्षकों का। कुल मिलाकर जून के पहले हफ्ते तक युक्तियुक्तकरण के साथ ही 13 हजार शिक्षकों की पदास्थापनाएं कर दी जाएगी।
हालांकि, ये छत्तीसगढ़ जैसे राज्य के लिए इतना आसान नहीं है। मध्यप्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के युक्तियुक्तकरण मॉडल को एडॉप्ट कर अपने प्रदेश में पिछले साल युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी। मगर छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे स्थगित कर दिया। जबकि, इस फैसले से पौने दो लाख से अधिक शिक्षक प्रसन्न हैं, क्योंकि उनके पास न पहुंच है न पैसा कि शहरों के स्कूलों में अपनी पदास्थपना करा सकें।
छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता को मिलाकर 2 लाख 10 हजार शिक्षक हैं। इनमें 13 हजार सरप्लस हैं। इन अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्ट करने की स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले साल कोशिशें शुरू की तो सूबे में बवाल मच गया। विधायकों से लेकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं में सरकार को पत्र लिखने की होड़़ मच गई। बीजेपी और कांग्रेस के नेता लगे वीडियो जारी करने। शिक्षक संगठनों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। सिर्फ 13 हजार पावरफुल शिक्षकों के लिए। वरना, पौने दो लाख से अधिक शिक्षक बेचारे सालों से दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में जमे हुए हैं, उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। न राजनीतिकों को उनकी परवाह है और न शिक्षक संगठन उनकी बात करते। एक लाख से अधिक शिक्षक 10-10 साल से सुदूर गांवों के स्कूलों में तैनात है। तमाम पारिवारिक परिस्थितियों के बावजूद उनका ट्रांसफर इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि, उनके पास न पैसा है और न कोई एप्रोच। उनकी बात कभी कोई शिक्षक नेता नहीं उठाता। मगर शहरों में बिना पद और बिना काम के मोटा पगार उठा रहे अतिशेष शिक्षकों के लिए शिक्षक नेता लगते हैं आंसू बहाने।
13000 पावरफुल टीचर
सवाल उठता है कुल शिक्षक क्षमता का सिर्फ 10 परसेंट से भी कम अतिशेष शिक्षक हैं। फिर इनके लिए सियासी भूचाल क्यों आ गया और शिक्षक हड़ताल का अल्टीमेटम क्यों दे डाले? इसका जवाब यह है कि 13 हजार सरप्लस शिक्षक बेहद पावरफुल हैं। सो, नेता से लेकर शिक्षक संगठनों के नेता उनके लिए मैदान में कूद पड़े। इनमें कोई किसी बीजेपी नेता का करीबी या रिश्तेदार है तो कई कांग्रेस नेताओं के। अधिकारियों के अपने लोग भी इन सरप्लस शिक्षकों में शामिल हैं। ऐसे में, सभी ने चुटिया बांध लिया कि युक्तियुक्तकरण नहीं होने देना है। और वही हुआ। स्कूल शिक्षा विभाग को उनके सामने हथियार डालना पड़ गया।
52 करोड़ रुपए पानी में
13 हजार सरप्लस शिक्षकों में सहायक शिक्षक से लेकर शिक्षक और व्याख्याता शामिल हैं। एक शिक्षक का औसत 50 हजार रुपए वेतन की गणना करें तो हर महीने 52 करोड़ रुपए बैठता है। जाहिर है, बिना काम के इन्हें वेतन भुगतान करने से ये पैसो पानी में जा रहा है। 52 करोड़ रुपए से हर महीने 15 से 20 स्कूल भवन का निर्माण हो सकता है।
7300 अतिशेष शिक्षक
स्कूल शिक्षा विभाग के छानबीन में यह जानकारी मिली है कि शहरों के स्कूलों में 7300 शिक्षक सरप्ल्स हैं। याने ये शिक्षक बिना स्वीकृत पद के काम कर रहे हैं। जबकि, इनकी वहां कोई जरूरत नहीं है। ये सभी मोटा रिश्वत देकर या फिर उंची पैरवी से इन स्कूलों में जरूरत न होने के बाद भी अपनी पोस्टिंग करा ली।
4077 स्कूलों का कोई मतलब नहीं
छत्तीसगढ में करीब 4077 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें राष्ट्रीय मानक से काफी कम बच्चे हैं। कई स्कूलों में तो चार-पांच बच्चों पर तीन-तीन, चार-चार शिक्षक हैं। इन स्कूलों को अगर पास के बड़े स्कूलों में मर्ज कर दिया जाए तो करीब पांच, साढ़े पांच हजार शिक्षक सरप्ल्स हो जाएंगे। कई जगहों पर एक ही कैंपस में दो-दो, तीन-तीन स्कूलें हैं। सरकार की योजना है, इन स्कूलों को युक्तियुक्तकरण कर शिक्षकों को उन स्कूलों में शिफ्थ किया जाए, जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं या फिर सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे हैं।
5781 सिंगल और जीरो टीचर वाले स्कूल
छत्तीसगढ़ में 5484 स्कूल सिंगल टीचर वाले हैं और 297 शिक्षक विहीन। याने एक भी शिक्षक नहीं। आश्चर्यजनक यह है कि 231 मीडिल स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे तो 45 मीडिल स्कूलों में एक भी टीचर नहीं। अब जरा समझिए कि मीडिल स्कूल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। वहां अगर एक शिक्षक या जीरो की स्थिति रहेगी तो प्रदेश के नौनिहालों का क्या होगा? प्रायमरी स्कूलों का और बुरा हाल है। छत्तीसगढ़ के 5484 प्रायमरी स्कूलों में एक शिक्षक हैं तो 152 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं।
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ में सर्वाधिक सरप्लस शिक्षक
छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ जैसे बड़े शहरों में सबसे अधिक अतिशेष शिक्षक हैं। इन शहरों के कई स्कूलों में 10 बच्चे भी नहीं है मगर उसके लिए पांच-पांच, सात-सात शिक्षकों ने पैसे और एप्रोच के बल पर अपनी पोस्टिंग करा ली है। मीडिल स्कूलों में दुर्ग में 303, बिलासपुर में 211, रायपुर 250, जशपुर 246, सरगुजा 285, कांकेर 242, बस्तर 303 शिक्षक अतिशेष हैं तो प्रायमरी में रायपुर जिले में 424, बिलासपुर में 264, बलौदा बाजार में 211, सूरजपुर में 236, रायगढ़ में 217, बस्तर में 425, कांकेर में 318, कोरबा में 325, बलरामपुर में 251, बीजापुर में 272 शिक्षक अतिशेष हैं। ये सभी सालों से उसी स्कूल में जमे हुए हैं।
भाजपा-कांग्रेस, भाई-भाई
पिछले साल अगस्त से युक्तियुक्करण का प्रॉसेज प्रारंभ हुआ था। स्कूल शिक्षा विभाग की कोशिश थी कि नवंबर तक सारे शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी जाएगी। मगर ऐसा हो नहीं पाया। जाहिर है, शिक्षक संगठनों का विरोध तो समझा जा सकता है। उनका अपना संगठन है और 13 हजार शिक्षकों का उन पर प्रेशर होगा। मगर इसमें सियासत शुरू हो गई। बीजेपी के विधायकों और नेताओं ने इसका विरोध किया ही, प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया कि युक्तियुक्तकरण करना मुनासिब नहीं। उधर कांग्रेस नेताओं के सूर भी तीखे होते जा रहे थे। शिक्षक नेताओं ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण पर ब्रेक लगा दिया।