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CG Teacher Transfer: शिक्षकों की फुलप्रूफ काउंसलिंग: DPI ने ऐसा साफ्टवेयर बनवाया कि पोस्टिंग में खटराल अधिकारियों और शिक्षा दलालों की दाल नहीं गल पा रही...

CG Teacher Transfer: छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसा साफ्टवेयर तैयार कराया है कि ट्रांसफर, पोस्टिंग के दलाल कुछ नहीं कर पा रहे। जाहिर है, जब भी शिक्षकों का ट्रांसफर होता था, स्कूल शिक्षा से जुड़े माफियाओं की चल निकलती थी। मगर इस बार डीपीआई ने ऐसी व्यवस्था की है कि गड़बड़झाला करने की कोई गुंजाइश नहीं बच गई है। जानकारों का कहना है कि यह साफ्टवेयर शुचिता और पारदर्शिता की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा। खबर के नीचे एक लिंक लगा है, उसे क्लिक करके शिक्षक ही नहीं आम आदमी भी स्कूलों की खाली स्थिति को देख सकता है।

CG Teacher Transfer: शिक्षकों की फुलप्रूफ काउंसलिंग: DPI ने ऐसा साफ्टवेयर बनवाया कि पोस्टिंग में खटराल अधिकारियों और शिक्षा दलालों की दाल नहीं गल पा रही...
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By Gopal Rao

CG Teacher Transfer: रायपुर। यह बताने की जरूरत नहीं कि काउंसलिंग में पहले क्या खेल होता था। पिछली सरकार में सहायक शिक्षकों से शिक्षक पद पर प्रमोशन हुआ था, उसकी काउंसलिंग में ज्वाइंट डायरेक्टरों ने ऐसा भ्रष्टाचार किया कि पांच में से चार ज्वाइंट डायरेक्टरों को निलंबित होना पड़ा। इसमें जेडी ने बंद कमरे में काउंसलिंग की। उसमें सही जानकारी नहीं दी गई कि कहां किस स्कूल में पद खाली है। शहर के आसपास के स्कूलों में रिक्त पदों को छुपा लिया गया। और जब दूसरे संभागों में ट्रांसफर हो गया तो फिर जेडी के दलालों ने शिक्षकों को फोन लगा डेढ़ से ढाई लाख रुपए लेकर मनचाहे स्कूलों में पोस्टिंग दे डाली। संभागायुक्तों की जांच में पता चला कि 2800 से अधिक शिक्षकों की पोस्टिंग में ज्वाइंट डायरेक्टरों ने 50 करोड़ से ज्यादा का खेला कर दिया।

युक्तियुक्तकरण में भी गड़बड़ी

सरकार ने हाल ही में 12 हजार से अधिक शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के बाद ट्रांसफर किया, उसमें भी ऐसा ही हुआ। डीईओ और जेडी ने बंद कमरों में काउंसलिंग कर दी। डीपीआई का निर्देश था कि काउंसलिंग की रिकार्डिंग कराई जाए। मगर अनेक जगहों पर कोई रिकार्डिंग नहीं कराई गई। युक्तियुक्तकरण के बाद पोस्टिंग में अधिकारियों ने बड़ा खेल कर दिया।

डीपीआई ने किया फुलप्रूफ इंतजाम

पुरानी शिकायतों और युक्तियुक्तकरण की गड़बड़ियों को देखते डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी ने ट्रांसफर में अफसरों और नेताओं की दलाली रोकने बड़ा फैसला किया। उन्होने एनआईसी से ऐसा साफ्टवेयर बनाने कहा, जिसमें काउंसलिंग में परिंदा के पर मारने की गुंजाइश न हो। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रघुवंशी खुद भी कई बार एनआईसी के लोगों के साथ बैठे...उसका रिव्यू किया...देखे कि कोई कमी न रह जाए।

देश में पहली बार क्यूआर कोड से काउंसलिंग

डीपीआर ने एक तो पहली बार शिक्षकों की पोस्टिंग ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिये करने का फैसला किया। फिर काउंसलिंग की गड़बड़ियां रोकने क्यूआर कोड आधारित काउंसलिंग का साफ्टवेयर तैयार कराया, ताकि कैमरे आदि से नजर रखने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के नीट, जेई जैसे बड़े प्रतिष्ठित परीक्षाओं की काउंसलिंग में भी अब क्यूआर कोड वाली काउंसलिं्रग नहीं होती। मगर छत्तीसगढ़ में ट्राईबल संवर्ग के प्राचार्यों की काउंसलिंग में इस बार क्यूआर कोड सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

लाइव रिकार्ड सिस्टम

क्यूआर कोड से कोई भी आदमी देख सकता है कि काउंसलिंग में कितने पद भर गए और कितने पद, किन-किन स्कूलों में खाली हैं। इसके साथ ही इस साफ्टवेयर में लाइव रिकार्डिंग की भी व्यवस्था है। यह पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया को रिकार्ड करता है। इससे फायदा यह है कि अब अलग से वीडियोग्राफी कराने की जरूरत नहीं।

एनपीजी से बोले डीपीआई

इस साफ्टवेयर के बारे में एनपीजी न्यूज ने डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी से बात की। उन्होंने कहा कि काउंसलिंग में पारदर्शिता बनी रहे, इसलिए तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए नई व्यवस्था की गई है। इससे शिक्षकों को काफी लाभ होगा। इस साफ्टवेयर से यहां तक पता चल जाता है कि अगर कल किसी प्राचार्य की काउंसलिंग है तो कल की डेट में किन-किन स्कूल में पद खाली है। कल की स्थिति अगर आज ही पता चल जाए तो जाहिर है आदमी उसी हिसाब से होम वर्क करके जाएगा। इससे फायदा यह होगा कि काउंसलिंग के समय वह स्कूल च्वाइस करने को लेकर कंफ्यूज्ड नहीं होगा। डीपीआई ने स्वीकार किया एनआईसी ने काफी बढ़ियां साफट्वेयर तैयार किया है, इससे काउंसलिंग की गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी।

ट्रांसफर में बड़ा खेल

छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशक से शिक्षकों के ट्रांसफर में करोड़ों रुपए का खेल होता था। तब ट्रांसफर से पहले काउंसलिंग भी नहीं होती थी। काउंसलिंग होनी शुरू भी हुई तो बंद कमरे में। इसमें डीपीआई के अधिकारियों से लेकर जेडी, डीईओ से लेकर कई शिक्षक नेता भी मालामाल हो जाते थे। डीपीआई ऑफिस के खटराल अधिकारियों और शिक्षकों के बीच कुछ खटराल शिक्षक नेता बिचौलिया बन जाते थे। इसमें तगड़ी उगाही होती थी। मगर इस नए सिस्टम से डीपीआई कार्यालय से लेकर शिक्षा दलालों को सांप सूंघ गया है। टी संवर्ग के प्राचार्यों में दाल गल नहीं पा रही, इसके जस्ट बाद ई संवर्ग के प्राचार्यों की भी पोस्टिंग होनी है। जाहिर है, अब कोई प्राचार्य अपने ट्रांसफर को लेकर किसी को अब घास नहीं डालेगा। क्योंकि, उसे मालूम है कि क्यूआर कोड सिस्टम में अब कुछ नहीं होने वाला

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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