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CG Teacher News: शिक्षिका का नवाचार: बच्चे खेल-खेल में सीख रहे ध्यान, तनावमुक्त होकर कर रहे पढ़ाई...

CG Teacher News: छत्तीसगढ़ के कवर्धा की शिक्षिका विधि तिवारी के नवाचार की इन दिनों शिक्षा जगत से जुड़े शिक्षाविदों और अधिकारियों के बीच जमकर चर्चा हो रही है। विधि का नवाचार भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक तकनीक का अद्भूत संगम है। बच्चे खेल-खेल में ध्यान सीख रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि बच्चों का ध्यान पढ़ाई में काफी तेजी के साथ लग रहा है.

CG Teacher News: शिक्षिका का नवाचार: बच्चे खेल-खेल में सीख रहे ध्यान, तनावमुक्त होकर कर रहे पढ़ाई...
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By Radhakishan Sharma

CG Teacher News : रायपुर। छत्तीसगढ़ के कवर्धा की शिक्षिका विधि तिवारी के नवाचार की इन दिनों शिक्षा जगत से जुड़े शिक्षाविदों और अधिकारियों के बीच जमकर चर्चा हो रही है। विधि का नवाचार भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक तकनीक का अद्भूत संगम है। बच्चे खेल-खेल में ध्यान सीख रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि बच्चों का ध्यान पढ़ाई में काफी तेजी के साथ लग रहा है। शिक्षिका ने ध्यान, योग, विज़ुअलाइज़ेशन, ब्रेन डांस, ओम्-चैन्टिंग और भारतीय ज्ञान परंपरा की प्राचीन पद्धतियों को आधुनिक तरीके से जोड़कर यह तकनीक विकसित की है।

इस नई तकनीक से बच्चे खेल-खेल में ध्यान सीखने के अलावा पढ़ाई में रुचि लेने लगे हैं। खास बात ये कि तकनीक के प्रयोग से पढ़ाई के वक्त बच्चों के चेहरे पर जरा भी तनाव नजर नहीं आता है। बच्चों की सबसे बड़ी कमजोर गणित की पढ़ाई होती है। नवाचार के जरिए बच्चों में गिनती, अक्षर ज्ञान और समझ की गति में तेजी के साथ तेजी के साथ सुधार ला रहे हैं। ध्यान-पद्धति के जरिए बच्चों में एकाग्रता, स्मरण शक्ति, सीखने की गति, और भावनात्मक संतुलन तेज़ी के साथ बढ़ रही है। जिन्हें FLN सुधार के लिए सबसे जरूरी माना गया है।

नई पद्धति से बच्चों में ये आ रहा बड़ा बदलाव

सीखने की क्षमता, स्कूल में उपस्थिति, पढ़ने-लिखने में रुचिऔर व्यवहार में बदलाव। ये कुछ प्रमुख बातें हैं जो बच्चों में तेज़ी से देखा जा सकता है। इसके अलावा बच्चों की एकाग्रता बढ़ी, व्यवहारिक सुधार आया, पढ़ने-लिखने की रुचि तेज़ हुई, मानसिक अवसाद तनाव में कमी आई है।

नवाचारी शिक्षिका ने ये कहा

नई तकनीक व पद्धति को प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाना चाहिए। शिक्षिका ने नई तकनीक को ज्यादा से ज्यादा स्कूलों में लागू करने के लिए उसे जिला व राज्य स्तर के शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का अवसर दिया जाए। यदि SCERT तीन दिवसीय प्रशिक्षण का अवसर दे, तो इसे राज्य स्तर मॉडल बनाया जा सकता है।

इसलिए इस नवाचार की हो रही चर्चा

प्रदेश में हाल ही में जारी सोशल ऑडिट रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 9843 स्कूलों के तीसरी कक्षा के बच्चे न तो गिनती जानते हैं और न ही अक्षर ज्ञान।

राज्य के 38955 स्कूलों में हुए सर्वे में यह स्पष्ट सामने आया है कि बड़ी संख्या में बच्चे अभी भी बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान FLN से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों द्वारा यह माना जा रहा है कि बच्चों में एकाग्रता की कमी, कमजोर मानसिक संतुलन और सीखने में रुचि की कमी इसके प्रमुख कारण हैं।

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