CG Teacher News: शिक्षक नेता का मेडिकल रीइंबर्समेंट के नाम पर हैरान कर देने वाला कारनामा, स्वास्थ्य विभाग ने कहा दर्ज हो FIR...
CG Teacher News: राज्य सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में सहारा देने के लिए मेडिकल रीइंबर्समेंट की योजना बनाई हुई है, लेकिन इस योजना को भी कैसे पलीता लगाया जा रहा है इसकी बानगी को इस खबर से समझिए की एक शिक्षक नेता ने फर्जी मेडिकल बिल, फर्जी सील और फर्जी हस्ताक्षर के जरिए 30 लाख रुपए की राशि आहरण का पूरा खेल खेल दिया। अचरज की बात ये कि बिल को बीईओ ने पास कर डीईओ कार्यालय को भेज दिया। वहां जो कुछ हुआ,वह और भी चौंकाने वाला है।

CG Teacher News: बिलासपुर। सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को विपरीत परिस्थितियों में सहारा देने के लिए मेडिकल रीइंबर्समेंट की योजना बनाई हुई है लेकिन इस योजना को भी कैसे पलीता लगाया जा रहा है इसकी बानगी को इस खबर से समझिए की एक शिक्षक नेता ने फर्जी मेडिकल बिल, फर्जी सील और फर्जी हस्ताक्षर के जरिए 30 लाख रुपए की राशि आहरण का पूरा खेल खेल दिया।
उसके बिल को सही मानते हुए विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को भेजा और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने राज्य कार्यालय से भुगतान के लिए राशि भी मांग ली और विकासखंड कार्यालय के नाम पर राशि जमा जारी भी कर दी लेकिन इसी बीच शिकायतकर्ता धनंजय ने पूरे दस्तावेजों के साथ मामले की शिकायत उच्च कार्यालयों में कर दी इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की जांच बैठाई और अब जो जानकारी निकाल कर सामने आ रही है वह हैरान कर देने वाली है । सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिला चिकित्सालय बिलासपुर ने जांच टीम को लिखित में यह प्रतिवेदन सौंप दिया है की जो मेडिकल बिल जमा किया गया है वह पूरी तरह से फर्जी है और उसमें किए गए सील और साइन भी फर्जी हैं। बिल में जो नंबर दर्शाया गया है वह नंबर न तो कभी जिला चिकित्सालय बिलासपुर से जारी हुए हैं और ना ही कभी यह बिल पास होने के लिए जिला चिकित्सालय बिलासपुर आया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए एफआईआर करवाने की भी अनुशंसा की है। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अनुशंसा के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है जबकि जांच के लिए आदेश जारी किए हुए एक माह गुजर गया है । अब जांच की समय सीमा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि जिन कार्यालयों से दस्तावेज लेकर जांच की जानी थी उन सभी की आपस में दूरी 5 किलोमीटर से भी कम है बावजूद इसके जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं सौंप पा रहे हैं और दोषी को बचने का मौका दिया जा रहा है। अब देखना होगा कि कलेक्टर बिलासपुर की संज्ञान में यह बात आती है कि नहीं क्योंकि जांच उन्हीं के द्वारा बैठाई गई है । इधर शिकायतकर्ता का कहना है कि यह केवल एक मामला नहीं है बल्कि ऐसे कई मामले और निकाल कर सामने आ सकते हैं इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग को इस पूरे मामले को संजीदगी से लेना चाहिए और दोषी पर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए।
बिल्हा बीईओ कार्यालय में जमकर फर्जीवाड़ा
बिलासपुर। एशिया के सबसे बड़े ब्लॉक बिल्हा के विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कार्य प्रणाली को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं और नए जिला शिक्षा अधिकारी के आने के बाद अब इन मामलों की जांच भी शुरू हो गई है जिसे लेकर रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं। फिर चाहे मामला 300 से अधिक सर्विस बुक गुम जाने का हो या फिर फर्जी तरीके से मेडिकल बिल आहरण का, लेकिन अब जो मामला निकाल कर सामने आया है वह चौका देने वाला है। क्योंकि इस मामले में स्वयं विकासखंड शिक्षा अधिकारी सुनीता ध्रुव पर फर्जी तरीके से टीए यानी यात्रा बिल के जरिए गलत तरीके से राशि वसूलने का आरोप लगा है।
फर्जी मेडिकल बिल को लेकर ऐसे किया खेला
फर्जी मेडिकल बिल को लेकर शिकायत 23 अप्रैल को जिला शिक्षा अधिकारी से हुई है और उसके बाद 25 अप्रैल को जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ने राजेंद्र नगर स्कूल के प्राचार्य एम एल पटेल और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक ग्रेड 2 विजय तिवारी की जांच टीम गठित कर मामले की सूक्ष्मता से जांच करने के निर्देश दे दिए हैं । जो आरोप प्रमुख रूप से लगे हैं उसमें सुनीता ध्रुव द्वारा प्रस्तुत बिल पर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से आपत्ति किए जाने के बावजूद बिल का आहरण करना , कार्यालय से एक ही स्थान की दूरी बिल तैयार करते समय अलग-अलग दर्शाना, चुनिंदा संकुल समन्वयक को अलग से राशि प्रदान करना और रायपुर यात्रा स्कूटी से करना दर्शाते हुए बिल पेश करना जैसे गंभीर आरोप लगे है। अब देखना होगा की जांच टीम मामले की जांच करके अपने रिपोर्ट में क्या खुलासा करती है ।
डीईओ को मिली थी इस तरह की शिकायत
डीईओ को भेजी गई शिकायत में लिखा है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा द्वारा मार्च 2025 में यात्रा भत्ता के रूप में 72480 रुपए का भुगतान प्राप्त किया गया है। (बिल की प्रतिलिपी संलग्न) उपरोक्त के संबंध में ज्ञात हो कि आहरित राशि शासकीय नियमानुसार प्राप्त नहीं की गई है और इसके लिए विभागीय नियमों की अनदेखी की गई है जिसकी जांच की मांग शिकायतकर्ता ने की है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी द्वारा बनाए गए टीए बिल को जिला शिक्षा अधिकारी से स्वीकृत कराना अनिवार्य है और उसके बाद ही राशि का भुगतान किया जा सकता है इन नियमों का उल्लंघन करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी से टीए बिल को स्वीकृत कराए बगैर ही ट्रेज़री से मिलीभगत कर राशि का आहरण कर लिया गया है जो कि नियम विरुद्ध है। उक्त बिल में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आपत्ति भी लगाया गया था जिसकी अनदेखी कर बिल आहरित किया गया है।
टीए बिल तैयार करते समय अलग-अलग समय में एक ही कार्यालय की दूरी विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से अलग-अलग दर्शाकर राशि आहरित की गई है। यही नहीं राज्य कार्यालय रायपुर के लिए आवागमन का साधन अपने निजी स्कूटी को बताया गया है और उसी के आधार पर बिल आहरित किया गया है जो की प्रथम दृष्टया ही संदेहजनक है। यात्रा भत्ता के संबंध में विभागीय प्रावधान है कि यात्रा भत्ता का भुगतान करते समय सबसे कम दर के साधन और सबसे कम दूरी के रास्ते के हिसाब से भुगतान किया जाता है बावजूद इसके नियमों की अनदेखी कर बिल तैयार कर आहरित किया गया है ।
संकुल समन्वयक को यात्रा भत्ता दिए जाने के संबंध में प्रावधान है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत आने वाली राशि के जरिए इसका भुगतान किया जाता है उसके बावजूद ब्लॉक के केवल चिन्हित 7 संकुल समन्वयक को बिल्हा बीईओ कार्यालय द्वारा राशि जारी की गई है जो कि पूर्णतया गलत है।
क्या है मामला
बिल्हा बलॉक में पदस्थ शिक्षक साधे लाल पटेल ने अपने और परिजनों के नाम पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिल्हा में फर्जी मेडिकल बिल जमा किया। फर्जी मेडिकल बिल को विभाग ने राज्य कार्यालय को फारवर्ड कर राशि भी मंगा ली। भुगतान होता इसके पहले ही शिकायतकर्ता धनंजय ने बिलासपुर कलेक्टर को पत्र लिखकर बिल्हा ब्लाक में फर्जी मेडिकल बिल के नाम पर फर्जीवाड़ा की शिकायत की है। शिकायत में लिखा है कि शिक्षक साधे लाल पटेल ने अपने और अपने परिजनों के नाम पर बीईओ कार्यालय बिल्लहा में 30 लाख का बिल प्रस्तुत किया है।