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CG Teacher News: शिक्षकों ने किया शिक्षकों का बड़ा नुकसान...तोड़ डाले आंखों के सपने, 800 शिक्षक बिना प्राचार्य बने हो गए रिटायर

CG Teacher News: ई व टी संवर्ग के व्याख्याता और हेड मास्टर जिनकी पदोन्नति सूची में शामिल था और रिटायरमेंट के करीब थे, ऐसे तकरीबन 800 शिक्षक सिफ इसलिए प्राचार्य नहीं बन पाए, क्योंकि शिक्षकों ने ही अदालती बाधा खड़ी कर दी। आंखों में जो सपने देखे थे और रिटायरमेंट के करीब प्रिंसिपल के पद पर पहुंचने की ख्वाहिश थी,अधूरी रह गई। इसलिए और कोई नहीं विभाग के उनके अपने साथी ही जिम्मेदार हैं। जिन्होंने नियमों व मापदंडों की आड़ में रोड़ा अटकाने का काम किया। नतीजा सबके सामने है। ऐसे शिक्षक बिना प्राचार्य बने रिटायर हो गए हैं। एक ख्वाहिश जो पूरी नहीं हो पाई,जीवनभर अफसोस रहेगा।

CG Teacher News: शिक्षकों ने किया शिक्षकों का बड़ा नुकसान...तोड़ डाले आंखों के सपने, 800 शिक्षक बिना प्राचार्य बने हो गए रिटायर
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By Radhakishan Sharma

CG Teacher News: रायपुर। अपनों ने ही अपनों का बड़ा नुकसान कर दिया। प्राचार्य के प्रतिष्ठित पद पर बैठने का ख्वाहिश रखने वाले 800 के करीब शिक्षक सेवानिवृत हो गए। रिटायर हुए शिक्षक प्राचार्य के पद पर पदोन्नत होकर प्रिंसिपल की कुर्सी संभालने के पूरा हकदार थे। अदालती उलझन नहीं आता और शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार काउंसलिंग और पोस्टिंग हो गई होती तो ये सभी लेक्चरर या फिर हेड मास्टर के पद के बजाय प्रिंसिपल के पद से रिटायर होते। पर ऐसा नहीं हो पाया। इसके लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, उनके अपने विभाग के साथी शिक्षक ही हैं, जिन्होंने अदालती रोड़ा अटकाए और आंखों के देखे सपने को दूर कर दिया। अदालती उलझन ऐसे कि फैसला आने में छह महीने का वक्त लग गया। फैसला आता इसके पहले ही ये रिटायर हो गए।

टी और ई दोनों ही कैडर में यह सब हुआ। ऐसा भी नहीं कि अदालत में मामला ले जाने वाले शिक्षकों को इस बात की जानकारी नहीं थी या फिर इस बात से अनजाान थे कि हर महीने दोनों ही संवर्ग में 100 के करीब शिक्षक लगातार रिटायर हो रहे थे। रिटायर हो रहे या फिर रिटायरमेंट के करीब शिक्षकों का मतलब है कि प्रिंसिपल के पोस्ट के लिए ये हकदार थे। हकदार होने के बाद भी साथियों ने ही हक मार दिया। अदालती उलझन में मामला ऐसा फंसा कि ये सभी प्रिंसिपल बनने से ही सेवानिवृत हो गए।

ई संवर्ग के 1478 प्रिंसिपल की पोस्टिंग के लिए हाल ही में काउंसलिंग की गई है। काउंसलिंग में 360 लेक्चरर और हेड मास्टर इसलिए शामिल नहीं हुए, अगले महीने उनका रिटायरमेंट है। प्राचार्य बनने के बजाय उसी पद पर रिटायर होना ज्यादा मुनासिब समझा। इसके दो बड़े कारण सामने आया है। रिटायरमेंट के दौर में पोस्टिंग दूसरी जगह हो गया तो पेंशन सहित अन्य दस्तावेजों को बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूसरी बड़ी वजह सैलेरी में खास अंतर नहीं आने वाला। पेंशन का निर्धारण कमोबेश उतना ही होना है। एक और बात सामने निकलकर आई वह ये कि अगर छह महीने का भी समय होता है तो 360 में अधिकांश आज प्रिंसिपल के पद पर बैठे नजर आते। मामला मुकदमे के फेर में इनका अपना महत्वपूर्ण समय जाया हो गया।

हाई कोर्ट से मामला हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रूख

हाई कोर्ट से मामला हारने के बाद शिक्षक आनंद प्रसाद साहू ने डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पदोन्नति और पोस्टिंग पर रोक की मांग की थी। आज शिक्षक की याचिका पर जस्टिस जेके माहेश्वर और जस्टिस के विनोद चंद्रन की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद प्रमोशन और पदोन्नति पर रोक की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका, जिसके चलते हुआ विलंब

शिक्षक नारायण प्रकाश तिवारी ने अपनी याचिका में प्राचार्य के पद पर पदोन्नति को लेकर महत्वपूर्ण नियमों को लेकर हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी। इसमें शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व में बनाए गए नियमों, तय किए गए मापदंडों को लेकर अपनी बातें रखी। 2019 के नियमों के नियम 15 पर उनकी याचिका का फोकस रहा। फैडर कैडर को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई। पढ़िए शिक्षक की याचिका में प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए वह सब-कुछ है जो आपके लिए जानना जरुरी है।

याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी ने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पारित 30 अप्रैल 2025 के पदोन्नति आदेश के विरुद्ध रिट याचिका दायर की थी। जिसके तहत याचिकाकर्ता को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित कर दिया गया है, जबकि उसके कनिष्ठों को पदोन्नति दे दी गई है। याचिकाकर्ता ने रिट याचिका में इन राहतों की प्रार्थना की।

  • स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया पदोन्नति आदेश 30 अप्रैल 2025 को रद्द किया जाए और साथ ही भर्ती नियम 2019 के प्रकाश में याचिकाकर्ता की पदोन्नति को हेडमास्टर मिडिल स्कूल के रूप में उनकी वरिष्ठता के आधार पर माना जाए।
  • न्यायालय कृपया सचिव स्कूल शिक्षा विभाग व डीपीआई को नया विज्ञापन जारी करने तथा भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उचित अवसर प्रदान करने का निर्देश देने की कृपा करे।

इन मुद्दों को उठाया था

याचिकाकर्ता को शुरू में 12 जनवरी 1987 को उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, और लगभग 11 वर्षों की निरंतर सेवा के बाद, उन्हें 25 अगस्त 1998 के आदेश द्वारा हेड मास्टर, मिडिल स्कूल कैडर के पद पर पदोन्नत किया गया था। जब 01 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश राज्य का विभाजन हुआ, तो याचिकाकर्ता की सेवाएं छत्तीसगढ़ राज्य को आवंटित कर दी गईं। इसके बाद, याचिकाकर्ता 29 जून 2010 तक हेड मास्टर के रूप में अपना कर्तव्य निर्वहन करता रहा, और उसी दिन उसे व्याख्याता के पद पर पदोन्नत किया गया। 09 जून 2023 को, हेड मास्टरों की ग्रेडेशन सूची 01 अप्रैल 2022 तक जारी की गई, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम क्रमांक 45 पर है।

विभाग द्वारा 01 अप्रैल 2024 को सूची जारी की गई, जिसमें भी याचिकाकर्ता का नाम क्रमांक 36 पर है। इसके बाद, विभाग द्वारा हेड मास्टर, मिडिल स्कूल, ई-संवर्ग की क्रमोन्नति सूची 29 अक्टूबर 2024 को जारी की गई है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि चूंकि छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक और प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती और पदोन्नति नियम, 2019 (संक्षेप में "2019 के नियम") के नियम 15 (1) को अल्ट्रा वायर्स घोषित किया गया है, इसलिए इस न्यायालय की खंडपीठ द्वारा याचिका में पारित आदेश 09 मार्च 2023 में याचिकाकर्ता का नाम क्रमोन्नति सूची से हटा दिया गया था।

याचिकाकर्ता का मामला यह है कि याचिकाकर्ता 1998 से 2010 तक हेड मास्टर के पद पर कार्यरत था, और उसे 29 जून 2010 को व्याख्याता के पद पर पदोन्नत किया गया था, लेकिन उसकी वरिष्ठता के बावजूद, उसका नाम 29अक्टूबर 2024 की पदक्रम सूची में नहीं है। हेडमास्टर, प्रिंसिपल, व्याख्याता की सेवाएं छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा राजपत्रित सेवा (स्कूल स्तरीय सेवा) भर्ती और पदोन्नति नियम, 2008 (संक्षेप में "2008 के नियम") द्वारा शासित होती हैं।

इन नियमों का दिया हवाला

2008 के नियमों की अनुसूची 2 में प्रावधान है कि प्रिंसिपल के पद के लिए, 25% पद शिक्षाकर्मी ग्रेड -1 द्वारा सीमित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने हैं, और 75% पद व्याख्याता से पदोन्नति द्वारा भरे जाने हैं। इन 75% पदों में, 65% पद सीमित परीक्षा द्वारा भरे जाएंगे, और 35% पद मिडिल स्कूल के हेडमास्टर से पदोन्नति द्वारा भरे जाने हैं। उक्त पदोन्नति मापदंड को राज्य शासन द्वारा जारी अधिसूचना 22 मई 2014 द्वारा दोहराया गया, जिसके द्वारा छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा (राजपत्रित)(विद्यालय स्तरीय) सेवा, भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2014 बनाए गए। नियम 2014 के अनुसार, प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति हेतु 25% पद व्याख्याता, शिक्षाकर्मी ग्रेड-I (व्याख्याता पंचायत) से सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से भरे जाएंगे तथा 75% पद विभाग द्वारा नियमित व्याख्याताओं से पदोन्नति द्वारा भरे जाएँगे।

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि अधिसूचना 05 मार्च 2019 के माध्यम से, छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 जारी किए गए हैं। नियम 2019 की अनुसूची 2 के अनुसार, प्राचार्य के 25% पद हेड मास्टर मिडिल स्कूल (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) से पदोन्नति द्वारा भरे जाएँगे, जिनमें से 70% ई-संवर्ग के हेड मास्टर मिडिल स्कूल (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) से और 30% पद ई (एलबी) संवर्ग से भरे जाएंगे।

क्या है फीडर कैडर, जिस पर उठाई थी आपत्ति

2019 के नियमों को इस न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य ने अपना जवाब दाखिल किया था और कहा था कि प्रधानाध्यापक (मिडिल स्कूल) को भी प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए फीडर कैडर के रूप में शामिल किया गया है। याचिकाकर्ता से कनिष्ठों को याचिकाकर्ता से पहले पदोन्नत किया जा सकता है, और इसलिए, पदोन्नति के लिए अलग कोटा देने का प्रावधान अधिकारहीन है। प्रधानाध्यापक (मिडिल स्कूल) और व्याख्याता के पदों का वेतनमान और योग्यता समान है, और दोनों ही द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित पद है।

2019 के नियमों के नियम 15 को लेकर जमकर हुई चर्चा

रिट याचिकाओं के एक बैच में, राज्य ने अपना जवाब दायर किया था कि हेड मास्टर की वरिष्ठता और लेक्चरर के पद पर पहले की पदोन्नति को उनके प्रमोशन को आगे बढ़ाते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। 09 मार्च 2023 को याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट से फैसला किया गया है, और 2019 के नियमों के नियम 15 के "स्पष्टीकरण" को अल्ट्रा वायर्स घोषित किया गया है और यह निर्देश दिया गया है कि 2019 के नियमों के नियम 15 के तहत नए स्पष्टीकरण पेश किए जाने तक, हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (स्नातकोत्तर) के पद से पदोन्नत व्याख्याताओं की योग्यता सेवा हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) के रूप में उनकी नियुक्ति से ली जाएगी।

इस पर जताई आपत्ति

व्याख्याताओं की पदक्रम सूची 29 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम नहीं है, तथा उसे प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित रखा गया है। नियम 2019 के अनुसार याचिकाकर्ता प्रधानाध्यापक (मिडिल स्कूल) की श्रेणी में आता है, किन्तु वह व्याख्याता के पद पर कार्यरत है, तथा उसे व्याख्याता मानते हुए पदोन्नति हेतु विचार नहीं किया गया है, जबकि वरिष्ठता सूची में उसका नाम क्रमांक 901 पर है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी ने तर्क दिया कि वर्ष 2008 में, उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति हेतु 2008 के नियम बनाए गए थे। कुल 1266 पद स्वीकृत थे, जिनमें से 25% पद सीधी भर्ती से और 75% पद पदोन्नति द्वारा भरे जाने थे। यह स्पष्ट किया गया था कि प्रधानाचार्य के 25% पद शिक्षाकर्मी ग्रेड-I द्वारा सीमित परीक्षा के माध्यम से और 75% विभाग में व्याख्याताओं की पदोन्नति द्वारा भरे जाएंगे। जब व्याख्याताओं की सूची समाप्त होने के बाद, प्रिंसिपल के 65% पद सीमित परीक्षा द्वारा भरे जाएंगे, और 35% मिडिल स्कूल के हेड मास्टर्स से पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे।

हेड मास्टर की पदोन्नति को लेकर कही ये बातें

इसके बाद, 2014 के नियम आए और कोटा का प्रतिशत बरकरार रहा; हालांकि, यह स्पष्ट किया गया था कि 25% पद सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से व्याख्याताओं / शिक्षा कर्मी ग्रेड -1 से भरे जाएंगे, और 75% पद विभाग द्वारा नियमित व्याख्याता से पदोन्नति द्वारा भरे जाएंगे। 2014 के नियमों में, हेडमास्टरों के लिए कोई पदोन्नति के रास्ते नहीं थे। इसके बाद, 2019 के नियम लागू हुए और फिर से हेड मास्टर्स के लिए पदोन्नति चैनल प्रदान किया गया, और यह समझाया गया कि 10% पद सरकारी स्कूलों में काम करने वाले व्याख्याताओं / पंचायत के साथ काम करने वाले व्याख्याताओं / शहरी निकायों में काम करने वाले व्याख्याताओं की सीमित परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा भरे जाएंगे। 65% पद व्याख्याताओं की पदोन्नति से भरे जाएंगे, जिसमें 70% पद ई-संवर्ग के व्याख्याताओं के लिए और 30% पद ई (एलबी)-संवर्ग के व्याख्याताओं के लिए होंगे। यदि ई-संवर्ग में फीडिंग कैडर में पर्याप्त संख्या में पात्र उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो पदों को ई (एलबी) संवर्ग की पदोन्नति द्वारा और इसके विपरीत भरा जाएगा। इसके अलावा, 25% पद हेड मास्टर मिडिल स्कूल (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) की पदोन्नति से भरे जाएंगे, जिनमें से 70% पद ई-संवर्ग के हेड मास्टर मिडिल स्कूल (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) से और 30% पद ई (एलबी) संवर्ग से भरे जाएंगे। यदि ई-संवर्ग में फीडिंग कैडर में पर्याप्त संख्या में पात्र उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं, तो पदों को ई (एलबी) संवर्ग की पदोन्नति द्वारा और इसके विपरीत भरा जाएगा।

2019 के नियम 15 पर हुई बहस

2019 के नियमों के नियम 15 में एक स्पष्टीकरण खंड था जो पदोन्नति के लिए पात्रता की गणना करने की प्रक्रिया निर्धारित करता था। उक्त नियम 15 को इस न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसका निर्णय 09 मार्च 2023 को हुआ था। रिट याचिकाओं के अन्य बैच में पारित 09 मार्च 2023 के आदेश द्वारा, 2019 के नियम 15 के स्पष्टीकरण खंड को अधिकारहीन माना जाता है और राज्य सरकार को 2019 के नियम 15 के स्पष्टीकरण को फिर से तैयार करने का निर्देश दिया गया था और जब तक 2019 के नियम 15(1) के तहत नया स्पष्टीकरण तैयार नहीं हो जाता है, तब तक हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (स्नातकोत्तर) के पद से पदोन्नत व्याख्याताओं की योग्यता सेवा हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (स्नातकोत्तर) के रूप में उनकी नियुक्ति से ली जाएगी। नियम 2019 के नियम 15 के स्पष्टीकरण को अधिकारातीत घोषित किए जाने के पश्चात् 29 अक्टूबर 2024 को क्रमोन्नति सूची जारी की गई और तत्पश्चात, 30 अप्रैल 2025 को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति आदेश जारी किया गया। उस क्रमोन्नति सूची में, व्याख्याता बनने का विकल्प चुनने वाले प्रधानाध्यापकों को पूर्णतः विचारणीय नहीं माना गया और उनका नाम क्रमोन्नति सूची में सम्मिलित नहीं किया गया। 29 अक्टूबर 2024 की क्रमोन्नति सूची में यह उल्लेखित है कि यह क्रमोन्नति अन्य रिट याचिकाओं के समूह में पारित आदेश 09-मार्च 2023 के पैरा 75 के अनुसार जारी की जाती है।

यह भी प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता 2019 के नियमों की वैधता को चुनौती नहीं दे रहा है, और उसने व्याख्याता और प्रधानाध्यापक (मध्य विद्यालय) के पद पर अपनी वरिष्ठता पर विचार किए जाने के अपने व्यक्तिगत अधिकार का दावा किया है। राज्य का पूरा उत्तर 2015 के नियमों की वैधता के बारे में है, और याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई विशिष्ट उत्तर नहीं दिया गया है।

2019 के नियम 15 में नया स्पष्टीकरण आज तक तैयार नहीं किया गया है और यह आदेश कि 2019 के नियम 15 के स्पष्टीकरण को फिर से तैयार किए जाने तक, हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (स्नातकोत्तर) के पद से पदोन्नत व्याख्याताओं की योग्यता सेवा हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (स्नातकोत्तर) के रूप में उनकी नियुक्ति से ली जाएगी, का उल्लंघन है। 2019 के नियम 15 का नया स्पष्टीकरण तैयार किए बिना, याचिकाकर्ता और समान स्थिति वाले व्याख्याताओं का नाम हटाते हुए, क्रमोन्नति सूची जारी की जाती है।

व्याख्याता और हेड मास्टर, दोनों प्रिंसिपल के फीडर कैडर

राज्य की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता यशवंत ठाकुर ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलों का कड़ा विरोध किया और कहा कि 2019 के नियम पूर्व के नियमों का स्थान लेते हैं और यह एक एकीकृत नियम है। 2019 के नियमों के नियम 14 और 15 में अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति के अवसर और पात्रता मानदंड का प्रावधान किया गया है।

अनुसूची-IV की प्रविष्टि संख्या 9 व्याख्याता/हेड मास्टर (मिडिल स्कूल) (प्रशिक्षित स्नातकोत्तर) के पद से प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के लिए पात्रता मानदंड प्रदान करती है, और 5 साल का शिक्षण अनुभव आवश्यक है। व्याख्याता और हेड मास्टर एक ही ग्रेड और एक ही वेतनमान के हैं, और दोनों प्रिंसिपल के फीडर कैडर हैं। 2019 के नियमों की अनुसूची- II में, पद के कैडर को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, अर्थात ई-कैडर और टी-कैडर। याचिकाकर्ता ई-कैडर से संबंधित है और टी-कैडर से संबंधित नहीं है। इसकी ताकत का कोटा भी अनुसूची II के कॉलम 8 के अनुसार तय किया गया है, अर्थात क्रमशः 10%, 65% और 25%। याचिकाकर्ता 65% श्रेणी में आता है। चूंकि प्रत्येक संवर्ग के लिए कोटा निर्धारित किया गया है, इसलिए पदोन्नति भी 2019 के नियमों के तहत तय कोटे के अनुसार की गई है। ग्रेडेशन सूची को चुनौती नहीं दी गई है, लेकिन पदोन्नति के पूरे आदेश को चुनौती दी गई है। 29-10-2024 को जारी ग्रेडेशन सूची में ही उल्लेख किया गया है कि उक्त सूची डब्ल्यूपीएस संख्या 502/2022 में पारित आदेश 09-03-2023 में दिए गए निर्देश के अनुपालन में जारी की गई है।

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