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CG School Scam: सरकारी खजाने से 87 लाख हजम कर जाने वाले शिक्षक को क्यों बचा रहा स्कूल शिक्षा विभाग

CG School Scam: सरकारी खजाने से 87 लाख हजम कर जाने वाले शिक्षक को क्यों बचा रहा स्कूल शिक्षा विभाग
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By Sandeep Kumar

बिलासपुर। जिस व्यक्ति को सलाखों के पीछे होना चाहिए उसे व्यक्ति ने कानून और शिक्षा विभाग का ऐसा मखौल उड़ाया है की पूछिए मत! बेलतरा हायर सेकेंडरी स्कूल के बहुचर्चित 87 लाख घोटाले मामले में आज सालों गुजर जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है और स्कूल शिक्षा विभाग और ट्रेजरी अपनी ही राशि वसूलने के लिए व्याख्याता के रहमों करम पर है।

बेलतरा के व्याख्याता पुन्नी लाल कुर्रे ने अपने सहयोगियों प्रभारी प्राचार्य स्वर्गीय पी एल मरावी, लिपिक कैलाश चंद्र सूर्यवंशी और निर्मला सिदार के साथ मिलकर शासकीय खाते से चोरी चोरी एरियर्स के रूप में 77 लाख रुपए की राशि महज 11 माह के अंदर अपने खाते में डलवा ली थी । स्थिति यह थी कि एक महीने में दो-दो बार सैलरी भी ली गई है और एरियर्स का तो पूछो मत एक ही दिन में 6 से 7 लाख रुपए तक खाते में गए हैं । इस मामले का भंडाफोड़ संस्था के ही प्रिंसिपल नरेंद्र राठौड़ ने किया और उन्होंने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर राज्य कार्यालय तक की, इसके बाद ले देकर मामले की जांच शुरू की गई तो फिर आरोपियों को बचाने का खेल शुरू हुआ। सबसे पहले प्राचार्य नरेंद्र राठौड़ का तबादला सक्ति जिले में कर दिया गया।


npg.news ने इस पूरे मामले का खुलासा किया जिसके बाद मजबूरी में अधिकारियों को कार्रवाई करनी पड़ी और FIR दर्ज करना पड़ा इसके बाद पुन्नीलाल कुर्रे ने न्यायालय की शरण ली न्यायालय ने पुन्नीलाल कुर्रे को अग्रिम जमानत सिर्फ 15 दिनों के लिए इस शर्त पर दी थी कि वह 15 दिवस के अंदर अधिक भुगतान की सारी राशि शासकीय खाते में जमा कर देंगे। उसके बाद फिर विभागीय खेल शुरू हो गया पुन्नीलाल कुर्रे ने मात्र 2 लाख रुपए ही शासकीय खाते में जमा किए और बाकी राशि के लिए उन्होंने साथ में एक पत्र प्रस्तुत कर दिया जिसमें उन्होंने कहा कि वेतन एवं सेवानिवृत्ति पश्चात प्राप्त राशि में से उक्त राशि जमा की जाएगी और विभाग की दरियादिली देखिए की उन्होंने इसे मान भी लिया। इधर राशि जमा नहीं हुई तो पुलिस को कार्रवाई करनी थी पर वह भी शांत बैठी रही। ऐसा करते-करते पुन्नीलाल कुर्रे का रिटायरमेंट करीब आ गया तब जाकर विभाग की नींद टूटी और अब जिला शिक्षा अधिकारी ने पुनः संचालक को पत्र प्रेषित कर यह अवगत कराया है कि पुन्नीलाल कुर्रे इसी माह अक्टूबर को सेवानिवृत होने जा रहे हैं ।


77 नहीं 87 लाख का हुआ है घोटाला!

जिला शिक्षा अधिकारी जिसे महज 77 लाख का घोटाला बता रहे हैं दरअसल वह 87 लाख से भी अधिक का घोटाला है। राज्य कार्यालय की तरफ से भी इस मामले की जांच कराई गई थी जिसके बाद जेडी कार्यालय के जिस अधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच की उन्होंने खुद मीडिया के समक्ष यह कबूल किया है की जांच में 10.50 लाख रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। दरअसल 77 लाख रुपए का खुलासा तो स्वयं प्राचार्य ने किया था उसके बाद प्राचार्य और अन्य अधिकारियों को बुलाकर जेडी कार्यालय में फिर जांच की गई थी जहां 77 लाख के बाद 10.5 लाख रुपए और भुगतान होना पाया गया जिसकी पुष्टि बैंक अकाउंट से भी हुई लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी का रिकवरी कांटा अभी भी 77 लाख पर ही अटका हुआ है जबकि जांच के उपरांत स्वयं जेडी कार्यालय के अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की थी की राशि जांच में बढ़ चुकी है फिर बढ़ी हुई राशि की रिकवरी क्यों नहीं की जा रही है और क्या विभाग 10 लाख रुपए छोड़ने की दरियादिली करने वाला है । यही नहीं इस पूरे मामले में सह आरोपी लिपिक कैलाश चंद्र सूर्यवंशी की भूमिका भी संदिग्ध है इसके बावजूद उनके बैंक अकाउंट की किसी प्रकार से कोई जांच नहीं कराई गई जबकि लिपिक ने हीं भुगतान के इस पूरे खेल को खेला था ।

ट्रेजरी और डीईओ की मिलीभगत

इस पूरे खेल में सबसे बड़ी भूमिका ट्रेजरी के कर्मचारियों की थी क्योंकि स्कूल से जब बिल बनकर ट्रेजरी जाता था तो वहां बैठे कर्मचारियों की मिलीभगत से ही एक ही दिन में दो-दो तीन-तीन एरियर्स बिल एक ही व्यक्ति के पास होते रहे लेकिन ट्रेजरी ने कभी ध्यान ही नहीं दिया । यहां तक बताया जाता है कि बेलतरा का बिल भी ट्रेजरी का ही एक कर्मचारी बनाया करता था जिसकी पुष्टि जांच में हुई थी लेकिन ट्रेजरी ने अपने कर्मचारियों को बचाने के लिए पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया आखिर यह कैसे संभव है की ट्रेजरी के बिना मिलीभगत के इतनी बड़ी राशि का भुगतान हो जाए । यहां तक की ठज्त् के पेज खत्म होने से पहले बेलतरा के बाबू को ठज्त् मिल जाता था और उन्होंने मनचाहे ढंग से ठज्त् का प्रयोग किया।

पूरा घोटाला 2018-19 का था और उसके बाद नियुक्त हुए प्राचार्य नरेंद्र राठौड़ ने अपने जान को खतरे में डालकर इस पूरे मामले का खुलासा किया बावजूद इसके विभाग के अधिकारियों ने इसमें पर्दा डालने में कहीं कोई कोताही नहीं की। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि एमईआर चेक करने और ऑडिट करने की जिम्मेदारी भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ही थी फिर यह मामला आखिर पकड़ में क्यों नहीं आया। दरअसल पूरे मामले को दबाने में अधिकारी कर्मचारी लग रहे ताकि उनकी गर्दन गिरफ्त में न आए लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब कर्मचारी रिटायर हो जाएगा तब क्या यह छोड़ी गई 10.5 लाख रुपए की राशि वसूल की जा सकेगी और इतने गंभीर मामले में आखिर केवल एक कर्मचारी को निलंबित करके विभाग ने कैसा इंसाफ किया है ।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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