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CG Private School: DPI, DEO, BEO और नोडल अधिकारी सोते रहे, छत्तीसगढ़ के प्रायवेट स्कूल हजारों छात्रों और अभिभावकों की आंख में धूल झोंकते रहे

CG Private School: प्राइवेट स्कूल में अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था पर निगरानी रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग का भारी-भरकम अमला है। डीईओ,बीईओ,नोडल अधिकारी,डीपीआई से लेकर शिक्षा विभाग। आश्चर्य की बात ये कि सीबीएसई एफिलेशन के नाम पर प्राइवेट स्कूल मालिक बच्चों को एडमिशन देते रहे और करोड़ों का खेला भी करते रहे। एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि प्राइवेट स्कूल मालिकों ने ऐसा क्या खेला किया जिससे शिक्षा विभाग के अफसरों को कानो-कान भनक नहीं लग पाई। एक सवाल यह भी कि इस खेला में विभाग के अफसर भी कहीं शामिल तो नहीं। बिना सपोर्ट इतना बड़ा स्कैम कोई कैसे कर सकता है। यह अहम सवाल इसलिए उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ के सवा दो लाख से ज्यादा नौनिहालों का भविष्य जुड़ा हुआ है।

CG Private School: DPI, DEO, BEO और नोडल अधिकारी सोते रहे, छत्तीसगढ़ के प्रायवेट स्कूल हजारों छात्रों और अभिभावकों की आंख में धूल झोंकते रहे
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By Radhakishan Sharma

CG Private School: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूलों में संबद्धता के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, बच्चों को तय पाठ्यक्रम और सिलेबस के अनुसार पढ़ाई कराई जा रही है या नहीं, इन सब बातों की निगरानी के लिए स्कूल शिक्षा विभाग का अपना पुख्ता सिस्टम है। डीईओ कार्यालय द्वारा इसकी व्यवस्था की जाती है। स्थानीय स्तर पर डीईओ,बीईओ और नोडल अधिकारी इस पर निगरानी रखते हैं।

विभाग की आंतरिक व्यवस्था के अनुसार नोडल अधिकारी बीईओ को और बीईओ पूर मामले की सीधे डीईओ को रिपोर्ट करते हैं। डीईओ कार्यालय से डीपीआई और वहां से स्कूल शिक्षा विभाग याने की सिकरेट्री स्कूल एजुकेशन को रिपोर्ट सौंपी जाती है। पुख्ता व्यवस्था और जिम्मेदार अफसरों के चैनल को प्राइवेट स्कूल मालिकों ने कैसे तोड़ा या कैसे सेट किया। इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। प्राइवेट स्कूल मालिकों का यह खेला एक या दो साल का नहीं है। लंबे समय से ये लोग इस तरह के फर्जीवाड़ा को अंजाम दे रहे हैं। सीबीएसई की मान्यता के नाम पर पालकों और बच्चों के साथ धोखा करते आ रहे हैं। इसे इनकी ओर से चूक भी नहीं कहा जा सकता। संगठित अपराध की तर्ज पर साल-दर-साल करते चले आ रहे हैं। शिक्षा इनके लिए मिशन से बढ़कर व्यवसाय हो गया है। तभी तो बड़े स्कैम को गुपचुप तरीके से करते आ रहे हैं। करोड़ों के खेला में बच्चों के भविष्य को दांव पर लगा दिया है।

छत्तीसगढ़ सरकार के एक आदेश से हुआ भांडाफोड़

स्कूल शिक्षा विभाग ने पांचवीं व आठवीं के बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्रीयकृत वार्षिक परीक्षा आयोजन का निर्देश जारी किया । सरकारी स्कूलों के साथ ही उन प्राइवेट स्कूलों के लिए जहां सीजी बोर्ड की मान्यता है,अनिवार्य रूप से इसे लागू करने का निर्देश दिया। स्कूल शिक्षा विभाग के इस निर्देश से सालों से फर्जीवाड़ा कर रहे प्राइवेट स्कूल मालिकों की पोल खोलकर रख दी। छत्तीसगढ़ में 70 फीसदी प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने सीजी बोर्ड अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए मान्यता ले रखी है। सीजी बोर्ड ने इन स्कूलों को सीजी बोर्ड सिलेबस से अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कराने की अनुमति दी है। स्कूल मालिक इसी आदेश का फायदा उठाकर बच्चों व पालकों को भरमा रहे हैं। अंग्रेजी माध्यम व सीबीएसई मान्यता का बोर्ड लगाकर एडमिशन के नाम पर पालकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं। स्कूल में लगे बोर्ड और तामझाम को देखकर पैरेंट्स भी भरमा जाते हैं और बच्चों का एडमिशन करा देते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश ने ऐसे प्राइवेट स्कूल मालिकों की, जिनके पास सीजी बोर्ड अंग्रेजी माध्यम पढ़ाई की मान्यता है,पोल खुल गई है।

आरटीई के लिए नोडल अफसर,इनको भी नहीं लगी भनक

राज्य सरकार ने शिक्षा के अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूलों को गरीब बच्चों को एडमिशन देने का निर्देश दिया है। प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए राज्य सरकार ने सीटें भी तय कर दी है। प्रत्येक प्राइवेट स्कूल को तय कोटे के अनुसार बच्चों को एडमिशन देना है और पढ़ाई करानी है। आरटीई के तहत बच्चों को एडमिशन मिल रहा है या नहीं, प्रवेश के बाद बच्चों के साथ स्कूल प्रबंधन द्वारा भेदभाव तो नहीं किया जा रहा है, इन सब बातों की पड़ताल और निगरानी के लिए डीईओ कार्यालय से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति भी की गई है। अचरज की बात ये कि नोडल अफसरों को भी ऐसे प्राइवेट स्कूल मालिकों के स्कैम की भनक तक नहीं लग पाई।

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