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CG News-प्रदर्शन के दौरान शिक्षक ने लगाई फांसी!...मचा हड़कंप, परमानेंट ज्वाइनिंग की मांग को लेकर औपचारिकेत्तर शिक्षक की भूख हड़ताल...

CG News-प्रदर्शन के दौरान शिक्षक ने लगाई फांसी!...मचा हड़कंप, परमानेंट ज्वाइनिंग की मांग को लेकर औपचारिकेत्तर शिक्षक की भूख हड़ताल...
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By NPG News

रायपुर। राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल में उस समय हड़कंप मच गया जब आंदोलन कर रहे शासकीय औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ के एक शिक्षक के द्वारा रस्सी के सहारे फांसी लगाने की कोशिश की। फांसी लगाता देख वहाँ मौजूद पुलिसकर्मियों और अन्य शिक्षकों ने उसकी जान बचाई। इसके बाद शिक्षक को तत्काल मेडिकल जांच करवाया गया। फिलहाल शिक्षक की हालत ठीक है।

जानकारी के मुताबिक, 27 दिसम्बर से 28 दिसंबर तक शासकीय औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के द्वारा राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल में दो दिवसीय भूख हड़ताल का आयोजन किया गया था। उनकी मांग थी कि उन्हें उनके योग्यता के अनुसार अन्य विभागों में समायोजन किया जाए। और इसी सिलसिले में वो मुख्यमंत्री से मुलाकात करना चाहते है, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है। इसी को लेकर पिछले दो दिनों से वो भूख हड़ताल में थे। बुधवार को उनके हड़ताल का अंतिम दिन था। इस दौरान जांजगीर चांपा से आये शिक्षक धरमा जांगड़े के द्वारा धरना स्थल में लगे पंडाल के रॉड में रस्सी डालकर आत्महत्या करने की कोशिश की। शिक्षक को ऐसा करते देख वहां मौजूद पुलिसकर्मियों दौड़े और उसे फंदे से निकालकर उसकी जान बचाई गई। इस दौरान धरना स्थल में हड़कंप मच गया था।

वहीं इस संबंध में औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ का कहना है कि वो लोग दूर गांव जहां स्कूल नहीं, जहां स्कूल के लिए भवन नहीं वैसे जगह पर जाकर अपनी सेवाएं देते है। बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाते है। इसके बाद भी सरकार द्वारा इन्हें मानदेय के नाम पर प्रतिमाह 300 से 500 ही दिए जाते है। मध्यप्रदेश से जब से छत्तीसगढ़ अलग हुआ है तब से शिक्षक बेरोजगार हो गए है। राज्य बनने के बाद से ही उन्हें परमानेंट नौकरी नहीं मिली है। सरकार को उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी देनी चाहिए। 2010 में शिक्षक संघ के द्वारा हाईकोर्ट में ये मामला भी पहुंचा था, कोर्ट ने नौकरी देने को सरकार से कहा था, लेकिन अब तक के औपचारिकेत्तर संघ के शिक्षकों को नौकरी नहीं मिली। इस वजह से उनका परिवार गरीबी की मार से जूझ रहा है। उनके पास अब आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा।

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