CG Holidays News: गर्मी की छुट्टियों को देखते हुए समर क्लासेस का विरोध जारी, दूसरी तरफ जारी हो गया समर कैंप का वीडियो-फोटो अपलोड करने का आदेश, शिक्षकों में आक्रोश...
CG Holidays News: गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप लगाए जा रहे हैं। अंबिकापुर कलेक्टर एवं जिला मिशन समन्वयक ने कोई भी एक भारतीय भाषा सीखने के लिए सात दिवसीय भारतीय भाषा समर कैंप का आयोजन किया है। इसमें शिक्षकों को अधिक से अधिक विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु निर्देशित किया गया है। सात दिनों तक प्रत्येक दिन चार घंटे का क्लास ले उसका फोटो वीडियो अपलोड करने के निर्देश दिए गए है। जिसके चलते शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है।

CG Holidays News: अंबिकापुर। गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप लगाए जाने के आदेश के खिलाफ शिक्षकों में नाराजगी फैल गई है और फैसले से असंतुष्ट शिक्षक संगठनों के माध्यम समर कैंप का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ अंबिकापुर जिले में समर कैंप वीडियो फोटो अपलोड करने का आदेश जारी हो गया है। जिससे शिक्षक संगठन नाराज हो गए है।
स्कूलों के शेड्यूल के अनुसार 1 मई से 15 जून तक ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित किया गया था। पर भीषण गर्मी के प्रकोप और लू को देखते हुए शिक्षक संगठनों , पालकों और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सरकार से अप्रैल में ही स्कूल बंद करने की मांग की थी। रायपुर सांसद बृज मोहन अग्रवाल ने भी छुट्टी घोषित करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 1 मई की बजाय 25 अप्रैल से ही स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया। हालांकि 25 अप्रैल से एक मई तक केवल विद्यार्थियों के लिए ही अवकाश घोषित किया गया है। इस दौरान शिक्षकों को स्कूल जाना था। उनके लिए 1 मई से 15 जून तक अवकाश है।
छुट्टियों में स्कूल में समर क्लास भी लगाया जा रहा है। यह क्लास सुबह साढ़े सात से साढ़े 9 तक ही लगाया जाना है। समर क्लास पूर्ण रूप से एक्छिक हैं। इसमें छोटे बच्चों को ड्राइंग,पेंटिंग और खेल पर्यावरण की जानकारी देने के अलावा खेल गतिविधियां कराना है। वही बड़े बच्चों को जल संरक्षण,पर्यावरण और खेल कूद जैसी गतिविधियां करानी है। यह बच्चों में एक अलग हुनर को ढूंढने और उन्हें पुस्तकीय ज्ञान के साथ साथ सामान्य ज्ञान देने का अवसर हैं। इसमें सभी शिक्षक एक ही दिन आए जरूरी नहीं, अल्टरनेट भी आ सकते हैं। वही कलेक्टर जिले के मौसम और तापमान को देखते हुए इसके लिए आदेश– निर्देश जारी कर सकते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा कोई भी अलग से फंड नहीं दिया जाएगा।
घर जाकर शिक्षकों को देना होगा समर कैंप का न्यौता, डेली फोटो/ वीडियो भी करना होगा अपडेट
अंबिकापुर के कलेक्टर विलास भोस्कर संदीपन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार भारत की भाषाई विविधता,बहुभाषा को बढ़ावा देने के लिए "एक और भारतीय भाषा सीखे नाम से" सात दिवसीय भारतीय भाषा समर कैंप आयोजित करने का आदेश जारी किया है। पूर्व मे स्कूल शिक्षा विभाग से जारी समर कैंप सिर्फ दो घंटों तक लगाया जाना था,पर अंबिकापुर कलेक्टर के द्वारा जारी किए गए सात दिवसीय कैंप के लिए प्रत्येक दिन चार घंटे का समय देना होगा।
समर कैंप में एक आस पास के राज्यों की एक और भारतीय भाषा सीखने हेतु सात दिवसीय समर कैंप के आयोजन की सुझावात्मक गतिविधि दी गई है। प्रति दिवस 4 घंटे ( 7*4) कुल 28 घंटे दिनांक 26 मई 2025 से 1 जून 2025 तक समर कैंप आयोजित कर गतिविधियों का फोटो वीडियो भारत सरकार के पोर्टल गूगल ट्रैकर के माध्यम से 2 वीडियो ,5 फोटो अपलोड करना होगा। इसका आयोजन पूर्व में स्कूल में आयोजित समर कैंप के साथ होगा।
विकासखंड की समस्त शासकीय और प्राइवेट स्कूलों में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को समर कैंप में आने के लिए प्रेरित करने हेतु निर्देश दिया गया है। इस समर कैंप में विकासखंड,संकुल स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त कर मॉनिटरिंग करवाना होगा। भारतीय भाषा समर कैंप में शिक्षादूत, सेवानिवृत शिक्षकों,जनसमुदाय में भाषा के जानकर व्यक्तियों से सहयोग लिया जाएगा। भारतीय भाषा समर कैंप के लिए सभी बच्चों के घर-घर जाकर निमंत्रण देना होगा।
सात दिवसों में अलग-अलग गतिविधियां करवानी होगी
शिक्षकों में नाराजगी:–
शिक्षकों के अनुसार ग्रीष्मकालीन अवकाश में किसी भी तरह का समर क्लास करना जायज नहीं है। इसमें पूरी तरह से स्कूलों में छुट्टी होनी चाहिए और बच्चों को भी किसी भी काम के लिए स्कूल नहीं बुलाया जाना चाहिए। इससे बच्चों के अलावा शिक्षकों को भी राहत मिलेगी। शिक्षकों के अनुसार भले ही दो घंटों या चार घंटों के लिए स्कूल जाए पर वह ड्यूटी जाने के समान ही होता है। उन्होंने हर तरह से ड्यूटी से ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान पृथक रखने की मांग की है। शिक्षकों के अनुसार ग्रीष्मकालीन समर कैंप में बच्चों से ज्यादा स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति होती है, ऐसे में क्लास लगाने का औचित्य नहीं रह जाता।
संस्था प्रमुखों के मनमानी की आशंका:–
एक्छिक होने के बाद भी समर क्लासेस के नाम से संस्था प्रमुख प्रधान पाठकों और प्राचार्यों की मनमानी की आशंका है। एक्छिक होने के बाद भी शिक्षकों को संस्था प्रमुख स्कूल आने के लिए मजबूर कर सकते हैं। ऐसे में उन शिक्षकों के लिए दिक्कत हो जाएगी जो अपने गृहनगर से दूसरे जिलों में नौकरी करते है। उन्हें अवकाश में भी घर जाने को नहीं मिलेगा।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि इन छुट्टियों के दौरान आगे की कक्षाओं में पढ़ाने के लिए खुद में कौशल विकसित करते हैं। इसके अलावा कई शिक्षकों के भी परिवार के साथ आउटिंग का भी प्लान होता है। पारिवारिक और सामाजिक दायित्व भी होता है। हम शिक्षक लगातार वर्ष भर स्कूल में पढ़ने के अलावा, चुनाव,जनगणना,सर्वे आदि जो भी ड्यूटी हो सरकार के निर्देशानुसार मन लगाकर करते हैं। इसलिए ग्रीष्मकालीन अवकाश में शिक्षकों को पूरी तरह से टेंशन मुक्त होकर अवकाश लाभ लेने का अवसर देना चाहिए।
वहीं शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने इस शैक्षणिक कैलेंडर का उल्लंघन बताया है। उनके अनुसार डीपीआई के द्वारा जारी शैक्षणिक कैलेंडर का पालन समर वेकेशन के चलते नहीं हो पाएगा। शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार शेड्यूल सभी का फिक्स होता है। हम स्कूलों में ही बच्चों को इतना पढ़ा देते हैं कि उन्हें समर वेकेशन की जरूरत नहीं पड़ती। छुट्टियों में बच्चे अपने दादा–दादी या मामा– मामी के घर जाते है। गर्मियों में अपने मामा गांव या दादा गांव जाना एक तरह से भारतीय संस्कृति में रचा बसा है। ग्रीष्मकालीन समर कैंप के बहाने इससे बच्चों को दूर करने का प्रयास हैं। इसके कई अलावा शिक्षक भी अपने घर से दूर जाकर नौकरी करते है। उन्हें भी अवकाश में घर आने का अवसर मिलता है। ऐसे शिक्षकों के लिए भी समर क्लास दिक्कत वाली है। समर क्लास के नाम से कई संस्था प्रमुख भी अपने शिक्षकों पर स्कूल आने के लिए दबाव बनाते हैं। वीरेंद्र दुबे के अनुसार किसी भी किस्म की आवश्यकता समर क्लास की नहीं है,क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों में इसकी रुचि भी नहीं रहती। उन्होंने कहा कि शालेय शिक्षक संघ इसका विरोध करता है और जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत भी की जाएगी। वीरेंद्र दुबे ने शिक्षकों और बच्चों के हित में मुख्यमंत्री से दखल देकर पूर्णतः अवकाश घोषित करने की मांग की है।