CG Book Scam: पुस्तक घोटाले में पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारी दूध के धूले हो गए और नीचे वाले दोषी, ये कमाल कैसे हुआ?...
CG Book Scam: एनपीजी न्यूज ने पिछले हफ्ते पाठ्य पुस्तक निगम का पुस्तक घोटाला की खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था, इसके बाद जांच रिपोर्ट खबरों में प्लांट किया जा रहा मगर इस पर लोग सवाल उठा रहे हैं। जाहिर है, जिस पापुनि ने पेपर का टेडर किया, पुस्तक छपाई का टेंडर किया, जिलों में पापुनि ने ही किताबें भिजवाई, मगर वे बेकसूर हो गए और पांच डीईओ को बलि का बकरा बना दिया गया। बता दें, घोटाले की लीपापोती पर सीएम विष्णुदेव साय बड़े नाराज हुए थे। उन्होंने राजेंद्र कटारा जांच कमेटी के उपर एसीएस रेणु पिल्ले की कमेटी गठित कर दी थी।

CG Book Scam: रायपुर। एनपीजी न्यूज ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी...आईएएस रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट आसमान खा गया या जमीन निगल गई। इसके बाद पता चला है सिस्टम हरकत में आया और उच्च स्तर पर फील्डिंग करके जांच रिपोर्ट का कुछ हिस्सा खबरों के लिए प्लांट किया गया।
जाहिर सी बात है कि एसीएस रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट इतनी सतही नहीं होगी...यह एनपीजी न्यूज नहीं कह रहा, ब्यूरोक्रेसी के लोग बोल रहे हैं। सवाल इस पर भी उठ रहे हैं कि पापुनि के अफसरों ने अंदाज पर ढाई करोड़ पुस्तकें प्रकाशित करवा ली। प्रथम जांच रिपोर्ट में राजेंद्र कटारा कमेटी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि डीपीआई से किताबों की आवश्यक संख्या आने में विलंब हुआ, इसलिए पिछले साल के अनुमान से ढाई करोड़़ पुस्तकों का आर्डर दे दिया गया।
स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि पापुनि ने अंदाज पर जरूरत से 15 लाख ज्यादा पुस्तकें छपवा ली। उसमें से कुछ गोदाम में पड़े हुए हैं और कुछ किताबें कबाड़ में पहुंच गईं।
सवाल यह भी है
सरकारी स्कूलों में किताबें छपवा कर भेजने का काम पाठ्य पुस्तक निगम करता है। इसके लिए पेपर का टेंडर करने के साथ ही प्रिंट कराने के साथ ही जिलों में भिजवाने तक दायित्व पापुनि का है। खेल इसी में होता है। पापुनि द्वारा जिलों के शिक्षा अधिकारियों से स्कूलों में लगने वाली किताबों की संख्या मंगवाई जाती है। पापुनि और डीईओ मिलकर जरूरत से ज्यादा किताबें छपवा ेलेते हैं। चूकि इसे खपाना भी होता है, इसलिए उसे जिलों में भेज दिया जाता है। जिलों के डीईओ आफिस और स्कूलों के गोदामों की अगर जांच कर लिया जाए तो लाखों किताबें आज भी सालों से धूल खा रही हैं। क्योंकि, ये पापुनि और डीईओ का यह खेला पहली बार नहीं हुआ, ये राज्य बनने के बाद से चलता आ रहा है। ये जरूर है कि पकड़ा पहली बार गया।
प्रारंभ से ही लीपापोती की कोशिशें
पापुनि की पुस्तकें रायपुर के इंडस्ट्रीयल एरिया सिलतरा के कबाड़ में मिलने पर पापुनि के एमडी राजेंद्र कटारा के नेतृत्व में इसकी जांच कराई गई। इसमें पापुनि के जीएम समेत पांच सदस्य शामिल थे। जांच शुरू होने से पहले जीएम इसी मामले में सस्पेंड कर दिए गए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इस स्कैम की लीपापोती करने का पता चला तो उन्होंने नाराज होते हुए एसीएस रेणु पिल्ले को जांच का दायित्व सौंप दिया।
रेणु पिल्ले ने 3 दिसंबर को जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। मगर यह मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची। लोग दबी जुबां से बता रहे कि रिपोर्ट के उन्हीं हिस्सों को खबरों के लिए फीड किया जा रहा, जिसमें बड़े अफसर लपेटे में न आएं।