बिलासपुर। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि देश को तीन दशक से भी ज्यादा समय के बाद प्राप्त हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सही मायनों में अद्वितीय, अकल्पनीय और बेजोड़ है। यह जहां एक ओर विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की बात करती है वहीं दूसरी ओर उद्यमिता को प्रोत्साहित करते हुए स्वावलंबन के माध्यम से राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की बात करती है।
गुरू घासीदास विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद नई दिल्ली (एनसीईआरटी) के संयुक्त तत्वावधान में भारत के शिक्षा मंत्रालय से प्राप्त निर्देशानुसार आज आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कंसल्टेशन वर्कशॉप विथ सिविल सोसायटी ग्रुप्स ऑन नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क विषय पर रजत जयंती सभागार में किया गया।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के समन्वयक प्रो. पी.के. बाजपेयी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय का प्रवर्तन किया। प्रो. बी. रमेश बाबू रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन भोपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में उल्लिखित विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से अपनी बात रखी।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि राष्ट्र को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में पहुंचाने में प्रत्येक नागरिक की अहम भूमिका है। चूंकि प्रत्येक व्यक्ति का वास्तविक मानसिक विकास उसके आरंभिक तीन सालों में ही हो जाता है ऐसे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में इस अवधि पर विशेष ध्यान देने हेतु पोषण के महत्व आदि विभिन्न प्रावधान किये गये है ताकि एक योग्य एवं सशक्त नागरिक निर्माण हेतु बचपन को संवारा जा सके।
कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 प्रामाणिक रूप से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के आधार पर बनाई गई है। विद्यार्थियों को मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से सुयोग्य, कर्मठ एवं रोजगारोन्मुख बनाने पर बल दिया गया है। यह नीति संपूर्ण राष्ट्र को ऐतिहासिक ज्ञान परंपरा के साथ मूल्य आधारित शिक्षा के लिए जागरुक बनाती है। यह बदलाव का दौर है, हमें इस सकारात्मक एवं सृजनात्मक बदलाव के साक्षी होने के साथ अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए साथ ही किसी भाषा का असम्मान नहीं करना चाहिए लेकिन औपनिवेशिक गुलामी की मानसिकता का अवश्यक ही परित्याग करना चाहिए।
कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जो गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में हो रहा है जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के तालमेल पर चर्चा हो रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में इन बदलावों के परिणाम उत्साहजनक एवं प्रामाणिक होंगे।
कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें लिंकेज बिटवीन स्कूल एजुकेशन एंड हायर एजुकेशन फोकसिंग ऑन करिकूलम एंड पेडागॉजी विषय पर चर्चा की। प्रो. अरूणा पल्टा कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग ने कहा कि बहुभाषिकता को प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर ही लागू करना चाहिए साथ ही ड्रापआउट सेंटर भी बनाने चाहिए। प्रो. मुकेश तिवारी कुलपति पंडित एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल ने शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी शिक्षक अनुपात में सुधार एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति पर जोर दिया। प्रो. के.पी. यादव कुलपति एमएटीएस विश्वविद्यालय रायपुर ने अति पिछड़े इलाकों तक संपूर्ण पोषण योजना लागू करने पर अपने विचार रखे। इस सत्र में प्रो. एन.के. तिवारी कुलपति सेन ग्लोबल विश्वविद्यालय भोपाल, प्रो. एस.के. धगट कुलपति श्रीकृष्णा विश्वविद्यालय छतरपुर एवं प्रो. राजेश दीक्षित कुलपति रेनेसा विश्वविद्यालय इंदौर ने ऑनलाइन माध्यम से अपने विचार रखे। मॉडरेटर की भूमिका में प्रो. वी.एस. राठौड़ एवं कोऑर्डिनेटर प्रो. मनीष श्रीवास्तव रहे।
कार्यशाला में सिविल सोसायटी की ओर से विभिन्न एनजीओ और संस्थानों ने पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से एनईपी-2020 के विषय में स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा के मध्य उनकी भूमिका पर चर्चा की। ट्रेडर्स सोसायटी की ओर से एस.पी. चतुर्वेदी सचिव छत्तीसगढ़ लघु उद्योग संघ उपस्थित रहे। इस सत्र की मॉडरेटर प्रो. प्रतिभा जे. मिश्रा रहीं।
लिंकेज बिटवीन स्कूल एजुकेशन एंड हायर एजुकेशन फोकसिंग ऑन क्रॉस कटिंग कंसर्न विषय पर तकनीकी सत्र में प्रो. मोनिका साठे शर्मा, कुलपति के.के. मोदी विश्वविद्यालय दुर्ग, डॉ. शिवालिका सरकार, एनसीईआरटी भोपाल एवं प्रो. जयदीप मंडल प्रिंसीपल रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एनसीईआरटी भोपाल ने अपने विचार व्यक्त किया। प्रीतपाल एस बाली डीजी लायन्स बिलासपुर सहित विभिन्न एनजीओ ने भी अपनी प्रस्तुति दी। इस सत्र की मॉडरेटर प्रो. मनीषा दुबे रहीं। डॉ. सुभाष चंद्र चैहान प्रमुख डिजाइन एनसीईआरटी नई दिल्ली ने ओपन डिस्कशन एवं सुझावों पर चर्चा की।
इस अवसर पर मंचस्थ अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. पी.के. बाजपेयी एवं संचालन डॉ. सोनिया स्थापक सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण एवं विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों ने भाग लिया। इस एक दिवसीय कार्यशाला में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से 788 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया। कार्यशाला का यूट्यूब एवं फेसबुक के माध्यम से प्रसारण किया गया।