Bilaspur News: कलेक्टर की फटकार के बाद DEO ने निरस्त किया आदेश: एमएलए के कहने पर किया था लेक्चरर को उपकृत
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Bilaspur News: बिलासपुर। बिलासपुर के डीईओ टीआर साहू पर कांग्रेस के एमएलए की सिफारिश पर काम करना भारी पड़ गया है। डीईओ ने विधायक के कहने पर नियम विरुद्ध एक लेक्चरर को एडीबीईओ का प्रभार दे दिया था। एनपीजी न्यूज में खबर आने के बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने डीईओ की क्लास लगा दी। कलेक्टर ने नियम विरुद्ध नियुक्ति पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद डीईओ ने अपना आदेश निरस्त कर दिया।
दरसअल डीईओ ने कांग्रेस विधायक दिलीप लहरिया की अनुशंसा को तव्वजो देने विभागीय दिशा निर्देशों और गाइड लाइन का जमकर किया है उल्लंघन। एडीबीईओ की नियुक्ति में कलेक्टर से अनुमति लेने की भी जरुरत नहीं की महसूस। सबसे पहले NPG ने बिलासपुर डीईओ के इस करामात की खबर प्रकाशित किया था। अब जब मामला तूल पकड़ा और विवाद गहराया तब डीईओ साहू ने गेंद मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के पाले में डाल दी। विधायक लहरिया अपनी बात से मुकर गए। वे बोले उनको तो कुछ याद नहीं डीईओ से किसकी और किस बात की सिफारिश की थी।
डीईओ के आदेश वापस लेने के बाद अब प्रशासनिक से लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि बिलासपुर डीईओ ने विपक्षी विधायक को उपकृत क्यों किया। वह भी नियम कायदे से बाहर जाते हुए। डीईओ से जब यह पूछा गया कि बिल्हा ब्लाक के एक व्याख्याता को मस्तूरी ब्लाक का एडीबीईओ का प्रभार सौंपने के संबंध में आदेश किसके कहने पर जारी किया गया है। डीईओ ने साफ कहा कि मस्तूरी विधायक लहरिया ने उनकी अनुशंसा की थी। लिहाजा आदेश जारी करना पड़ा। मस्तूरी विधायक लहरिया ने हायर सेकेंडरी स्कूल कर्मा के लेक्चरर रमेश कुमार गोपाल को एडीबीओ मस्तूरी बनाने की अनुशंसा की थी। इस बीच डीईओ ने बताया कि उसने अपना आदेश वापस ले लिया है।
नियमों मापदंडों का डीईओ ने उड़ाई धज्जियां
नियमों पर गौर करें तो एडीबीओ की नियुक्ति राज्य शासन स्तर पर होती है। जिले में विशेष परिस्थिति में अगर एडीबीईओ नियुक्त करना है तो उसके लिए कलेक्टर का अनुमोदन आवश्यक है। कलेक्टर के अनुमोदन के बिना नियुक्ति नहीं की जा सकती। बिलासपुर जिले के डीईओ ने तो सबकुछ उलटा कर दिया। विपक्षी विधायक को उपकृत निमयों की अनेदखी करने के साथ ही कलेक्टर को जानकारी देना और अनुमति लेना भी जरुरी नहीं समझा।