Bilaspur Highcourt News: पत्नी को क्रमोन्नत वेतनमान की लड़ाई जीताने वाले रामनिवास अपना मामला हार गए: डिवीजन बेंच ने खारिज की क्रमोन्नत वेतनमान की याचिका
Bilaspur Highcourt News: शिक्षिका पत्नी सोना साहू को क्रमोन्नत वेतनमान का अदालती लड़ाई जीताने वाले रामनिवास साहू अपना मामला हाई कोर्ट में हार गए।

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Bilaspur Highcourt News: शिक्षिका पत्नी सोना साहू को क्रमोन्नत वेतनमान का अदालती लड़ाई जीताने वाले रामनिवास साहू अपना मामला हाई कोर्ट में हार गए। क्रमोन्नत वेतनमान को लेकर डिवीजन बेंच में रामनिवास साहू ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका पर सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि शिक्षकों की क्रमोन्नति और पदोन्नति के मामले में सिंगल बेंच से याचिका खारिज होने के बाद इसे चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में याचिका लगाई गई थी। अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षक ने खुद तर्क रखे। तर्कों के पश्चात हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस पर डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है।
शिक्षकों के क्रमोन्नति और सेवा संबंधी लाभों को लेकर शिक्षक रामनिवास साहू ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। रामनिवास साहू शिक्षक क्रमोन्नति मामले में चर्चित सोना साहू के पति हैं, उन्होंने अपनी याचिका में सोना साहू की तर्ज पर क्रमोन्नति और 2016-17 से लंबित पदोन्नति दिए जाने की मांग की थी। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया था। सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने के बाद डिवीजन बें च में याचिका दायर की थी।याचिकाकर्ता रामनिवास साहू ने खुद उपस्थित होकर पैरवी की और दलीलें रखी।
सरकार की क्रमोन्नति नीति और नियमों पर तर्क प्रस्तुत किए गए। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है सोना साहू का मामला
सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोना साहू ने अपनी याचिका में बताया था कि वर्ष 2005 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। एव पर 10 साल से काम करने के बाद भी क्रमोन्नत वेतनमाहीं दिया गया था। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के बाद सीईओ जनपद पंचायत ने क्रमोन्नत वेतनमान का सोना साहू को लाभदिया और फिर वापस भी ले लिया। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी। सीईओ के आदेश को कोर्ट ने सही ठहराया था। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सोना साहू ने रिट याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए 2015 से क्रमोन्नत वेतनमान का निर्देश दिया। शासन ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था। इसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में शासन ने एसएलपी दायर की थी।
राज्य शासन ने डिवीजन बेंच के सामने रखा था अपना पक्ष
राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसरों ने कहा कि 2017 में जारी सर्कुलर केवल नियमित शासकीय शिक्षकों के लिए लागू था। याचिकाकर्ता शिक्षक वर्ष 2018 में संविलियन के बाद शासकीय सेवक बने हैं। इसलिए उनकी सेवा अवधि की गणना उसी वर्ष से की जाएगी न कि पंचायत सेवा के आरंभिक वर्ष से। राज्य शासन ने कहा कि छह नवंबर 2025 को जारी सामान्य प्रशासन विभाग के नवीन परिपत्र में इस विषय को और स्पष्ट कर दिया गया है, जिससे यह भ्रम दूर हो गया है कि क्रमोन्नति किस आधार पर दी जानी है। सोना साहू प्रकरण की परिस्थितियां वर्तमान याचिकाओं से पूरी तरह भिन्न हैं। इसलिए उसे इन मामलों में मिसाल के तौर पर लागू नहीं किया जा सकता। राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे विधि अधिकारियों के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है।
