Bilaspur High Court News: संलग्नीकरण की मांग वाली शिक्षकों की याचिका हाई कोर्ट ने किया खारिज: 27 याचिकाओं पर एक साथ हुई सुनवाई, पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है
Bilaspur High Court News: स्कूल शिक्षा विभाग में संलग्नीकरण की मांग करते हुए 27 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एके प्रसाद ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह सब कहा है।

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में संलग्नीकरण की मांग करते हुए 27 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एके प्रसाद ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सिंगल बेंच ने साफ कहा है कि राज्य शासन की प्रक्रिया में ना तो भेदभाव है और ना ही मनमानी की है। पूरी प्रक्रिया संवैधानिक है।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि जब तक याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर देते कि, किसी कानूनी या मिले हुए अधिकार का उल्लंघन हुआ है या फैसला लेने की प्रक्रिया में मनमानी, भेदभाव, या कोई और संवैधानिक कमी नहीं दिखाते, तब तक अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है, ज्यूडिशियल रिव्यू सिर्फ़ प्रक्रिया की जांच करने तक सीमित है, ना कि फैसले के फायदे के लिए। लिहाजा गैर-कानूनी, प्रक्रिया में चूक, या बिना सोचे-समझे की गई चुनौती को बर्दाश्त नहीं कर सकती। कड़ी टिप्पणी के साथ सिंगल बेंच ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
क्या है मामला
सूर्यकांत सिन्हा, दिनेश कुमार सहित अन्य विभिन्न वर्षों में शिक्षाकर्मी वर्ग एक वर्ग दो एवं वर्ग तीन के पद में नियुक्त हुए हैं व कार्यरत हैं। दायर याचिका में कहा कि 23. जुलाई 2020 के आदेश के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग में उनके संलगीकरण् के मामलों पर विचार करने राज्य शसन को निर्देशित करने की मांग की थी। याचिका के अनुसार दो साल की सेवा पूरी होने पर, वे सभी लाभ के साथ संलग्न होने के हकदार हैं। पंचायत और लोकल बॉडीज के शिक्षाकर्मियों को दिए गए लाभ का हवाला देते हुए कहा कि इन सभी शिक्षकों को 1 नवंबर 2020 से स्कूल शिक्षा विभाग में संलग्न किया गया था। संलग्नीकरण के साथ ही इंक्रीमेंट व अन्य लाभ की मांग भी याचिकाकर्ताओं ने की थी। याचिका के अनुसार वे सभी स्कूल शिक्षा विभाग के कर्मचारी हैं।
हाई कोर्ट ने ये कहा
जस्टिस एके प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं की यह मांग कि उन्हें दो साल की सेवा पूरी करने की तिथि से वरिष्ठता और राज्य शासन द्वारा दिए जाने वाले अन्य लाभ मिलें, मंजूर नहीं है। सिंगल बेंच ने कहा कि वरिष्ठता हमेशा कानूनी नियमों और किसी खास कैडर की सर्विस में आने की तारीख से तय होती है। पूर्व के शिक्षकों को 2018 की पॉलिसी के तहत 8 साल की सेवा पूरी करने पर ही स्कूल शिक्षा विभाग में में शामिल किया गया था। उनके दावे को पूरा करने के लिए वरिष्ठता में बदलाव नहीं किया जा सकता। सिंगल बेंच ने कहा, ऐसा करने से न सिर्फ 2018 के नियमों का उल्लंघन होगा, बल्कि कैडर में प्रशासनिक और अन्य गड़बड़िया पैदा होंगीद्ध
सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इस अदालत को 23. जुलाई 2020 के पॉलिसी व फैसले में कोई मनमानी, भेदभाव, गैर-कानूनी या बेमतलब की बात नहीं मिली। यह पॉलिसी राज्य सरकार के विवेक का एक सही इस्तेमाल है और याचिकाकर्ता के किसी भी अधिकार का उल्लंघन नहीं करती है। इसलिए,याचिकाकर्ता किसी भी राहत के हकदार नहीं हैं। दो साल की सेवा पूरी होने की तारीख से काल्पनिक संलग्नीकरण, वरिष्ठता का निर्धारण, पे स्केल का री-डिटरमिनेशन, और 2020 पॉलिसी के तहत संलग्न हुए शिक्षकों के साथ बराबरी की मांग करने वाली प्रार्थनाएं पूरी तरह बेबुनियाद है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
