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छत्तीसगढ़ सरकार की मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना से संवरने लगे स्कूल, अब तक 1914 शालाओं का हुआ कायाकल्प

छत्तीसगढ़ सरकार की मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना से संवरने लगे स्कूल, अब तक 1914 शालाओं का हुआ कायाकल्प
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By Sandeep Kumar Kadukar

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के अंतर्गत अब जिले के स्कूल संवरने लगे हैं। जिले में योजना अंतर्गत शाला भवन मरम्मत नवीनीकरण एवं जीर्णाेद्धार कार्य के साथ अतिरिक्त कक्ष निर्माण कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप स्कूलों के कायाकल्प होने से अब बच्चों को पढ़ाई हेतु बेहतर परिवेश मिलेगा, जिससे बच्चों में पढ़ाई हेतु एक नई उमंग पैदा होगी।

मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना में अब तक प्रदेश में 1914 स्कूल भवनों का कायाकल्प किया जा चुका है। योजना के तहत स्कूलों में छतों को सुधार, टाईल्स, दीवारों में रंग-रोगन, शौचालयों की रिपेयरिंग के साथ ही स्कूल की साज-सज्जा भी की जा रही है। जिले में स्कूलों के रंगाई का कार्य गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से किया जा रहा है, इससे स्कूल भवन देखने में काफी आकर्षक नजर आ रहे हैं। जिन स्कूलों में कार्य पूरा हो गया है, वे बिल्कुल नए स्वरूप में नजर आ रहे हैं। इससे अब उन स्कूल के बच्चों को बेहतर परिवेश में सुविधाएं प्राप्त होंगी। स्कूल भवन पहले जर्जर हालत में था, बारिश के दिनों में यहॉ के छत से पानी टपकता था, अब छत के मरम्मत होने से पूरी तरह ठीक हो गया है, इससे बच्चे भी सुरक्षित रहेंगे और पढ़ाई करने में उनका मन भी अच्छे से लगेगा। मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना से बच्चों को अब बेहतर स्कूल भवन मिलेगा और वे अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे।

योजना के तहत जिलों से पोर्टल में 29162 शालाओं की प्रविष्टि हुई है। जिसकी लागत 2133.60 करोड़ रूपये है। वर्तमान में कार्य प्रारंभ करने हेतु 477.06 करोड़ रूपये प्रथम किश्त जिलों को जारी की जा चुकी है। अब तक 1914 कार्य वर्तमान में पूर्ण हो चुके है और 14 हजार से अधिक कार्य प्रगति पर है।

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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