अलग खबर: छत्तीसगढ़ की सरकारी शिक्षिका ने स्कूल में बनाया अनोखा खिलौना संग्रहालय, पुराने खेल के साथ बच्चे पढ़ रहे नया पाठ
यहां पर आप लकड़ी, मिट्टी, कागज़, गत्ते व घर के अनुपयोगी वस्तुओं से बने खिलौनों को देख सकते है। ये खिलौने न सिर्फ खेलने के लिए बल्कि बच्चों को उनके पुस्तक के पाठ को समझने में सहायता करते है। खास बात ये भी है कि सभी खिलौने शिक्षिका व बच्चों ने मिलकर अलग-अलग समय पर शाला में ही कार्यशाला लगाकर तैयार किया है।
सिमगा। प्रदेश में बहुत सारे पुरा महत्त्व के संग्रहालय स्थापित हैं, जो जन सामान्य को पौराणिक व ऐतेहासिक जानकारी देते हैं लेकिन शासकीय प्राथमिक शाला पौसरी की एक शिक्षिका भारती वर्मा ने अपने शाला में एक अनोखे संग्रहालय की स्थापना की है, जिसे नाम दिया है खेल खिलौना संग्रहालय। जहां पर विभिन्न प्रकार के खेल खिलौनों की जानकारी सहज ही उपलब्ध है। यहां पर आप लकड़ी, मिट्टी, कागज़, गत्ते व घर के अनुपयोगी वस्तुओं से बने खिलौनों को देख सकते है। ये खिलौने न सिर्फ खेलने के लिए बल्कि बच्चों को उनके पुस्तक के पाठ को समझने में सहायता करते है। खास बात ये भी है कि सभी खिलौने शिक्षिका व बच्चों ने मिलकर अलग-अलग समय पर शाला में ही कार्यशाला लगाकर तैयार किया है। संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व स्थानीय खेलो व खिलौनों को संग्रहित व संरक्षित करने का एक नवाचारी पहल किया है।
समुदाय के सहयोग से स्थापित
शिक्षिका भारती वर्मा ने बताया कि मन में विचार आया कि क्यों न छत्तीसगढ़ के सभी पारम्परिक व स्थानीय खेल खिलौनों को एक छत के नीचे एकत्र कर बच्चों को उनसे अवगत कराया जाय ताकि बच्चें उन्हें जान सके और खेलों के महत्व को समझ सके। शाला की प्रधान पाठक पुष्पलता नायक के प्रेरणा से स्थानीय पर्व छेरछेरा के तर्ज पर मै घर-घर जाकर पुराने खिलौनों को इकठ्ठा करने का काम करने लगी। प्राप्त खिलौने कुछ उपयोगी व कुछ अनुपयोगी थे। पुराने बुजुर्गो से स्थानीय व प्रचलित खेलों की जानकारी भी एकत्र की, जो आज के बच्चे नहीं खेलते है या अब मोबाइल के युग में प्रचलन में नहीं है। संग्रहालय के भौतिक निर्माण में ग्राम के चंद्रशेखर साहू व ठगेश बारले ने आर्थिक सहयोग भी किया। इस तरह से मेरा एक छोटा सा प्रयास आकार ले पाया। सीमित संसाधन में अधिकतम खेल खिलौनों को सहेजने का प्रयास है। ताकि अन्य शाला के शिक्षक भी इससे प्रेरित होकर बेहतर कर सके।
नई राष्ट्रीय शिक्षा के अनुरूप
नई राष्ट्रीय शिक्षा 2020 में खेल आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया है ताकि बच्चे खेल खेल में आनंदमयी तरीके से पाठ की अवधारणाओं को सीख व समझ सके। खिलौने न सिर्फ बच्चों का मनोरंजन करते है बल्कि बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामजिक व सामुदायिक भावना का भी विकास करते है। NCERT के निर्देशों अनुरूप शाला में जादुई पिटारा का निर्माण भी किया गया है, जिसे कक्षा 1 व 2 के बच्चों को सिखाने के लिए उपयोग किया जाता है। जादुई पिटारा का सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुआ है।
खेल खिलौना संग्रहालय क्यों
हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 5 से 6 वर्षों के बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति का शुभारम्भ किया है, जिसका नाम छत्तीसगढ़ बालवाडी योजना रखा गया है। इसमें जितने भी आंगनबाड़ी केंद्र शाला परिसर में है उसे बालवाडी के रूप में परिवर्तित किया जा रहा। इसमें से एक शाला हमारा भी है। इस योजना का शुभारंभ 'जाबो बालवाड़ी बढ़ाबो शिक्षा के गाड़ी' थीम के साथ किया गया है। जिनमें खेल-खेल में बच्चों के सिखने एवं समझने की क्षमता में विकास किया जाएगा। माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्थानीय खेलों को बढ़ावा देने व संरक्षित करने के लिए छत्तीसगढ़ ओलम्पिक का आयोजन गाँव गाँव में कराया है। जिसमे सभी आयु वर्ग के बच्चे, जवान, बुजुर्ग स्त्री पुरुष भाग ले सकते है। शासकीय शालाओं में खेल गढ़िया के तहत खेल सामाग्रियां प्रदाय की जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देशों व आकांक्षाओं को हमारा खेल खिलौना संग्रहालय पूरा करने का प्रयास कर है। इसी उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए हमने हमारे शाला के बच्चों को खेल खिलौने के महत्त्व से परिचित कराने के लिए शाला स्तर पर उन्हें प्रदर्शित,संरक्षित व शैक्षिक उपयोग करने के लिए एक संग्रहालय स्थापित करने का प्रयास किया है और उसे खेल खिलौना संग्रहालय का नाम दिया है।
पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष त्रिवेदी ने किया खेल खिलौना संग्रहालय का शुभारम्भ
इस अनोखे नवाचारी खेल खिलौना संग्रहालय का शुभारम्भ छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने किया। इस अवसर पर भाटापारा के छाया विधायक सुनील माहेश्वरी, जिला कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष देवेंद्र वर्मा ग्राम पंचायत की सरपंच उमेश्वरी बारले, शाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष धनीराम साहू , चंद्रशेखर साहू, ठगन बारले, एबीईओ डी.एस.ठाकुर, बीआरसी एस.के.पाटकर, संकुल प्राचार्य ज्ञानेंद्र सार्वा प्रधान पाठक पुष्पलता नायक, विकासखंड के संकुल समन्वयक , अन्य शालाओं के शिक्षक सहित ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
शिक्षिका भारती वर्मा कहना है कि शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए नई शिक्षा नीति को लागु किया गया है। जिसमें प्राथमिक स्तर पर बच्चों को आनंदमयी व रोचक शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है। जिसके अंतर्गत खिलौना आधारित गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा प्रदान किया जाना है। हमारे शाला में विकासखंड का प्रथम जादुई पिटारा भी निर्मित किया गया है। जिसके माध्यम से कक्षा 1 व 2 के बच्चों को खेल खेल से पाठ्यक्रम के अवधारनाओ को खिखाया जाता है । खेल खिलौने हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग रहा है। बच्चे बूढ़े छोटे बड़े स्त्री पुरुष सभी अपने अपने स्तर पर प्रतिदिन कुछ न कुछ खेल या खिलौने खेलते है। खेल खिलौने न सिर्फ हमारा मनोरंजन करते है बल्कि बहुत कुछ सीखाने के साथ साथ हमारे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व सामुदायिक विकास भी करते है।