बिलासपुर, 9 जून 2020। डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की बैठक आज हंगामेदार रही। अधिकारियों के रवैये पर विधायकों ने जहां असंतोष जताया, वहीं प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू भी बिगड़ पड़े। साहू तो यहां तक बोल गए कि अगर विधायक ही दुखी हैं तो डीएमएफ की बैठक का क्या औचित्य। बैठक में बिलासपुर शहर के विधायक शैलेष पाण्डेय ने सवालों की झड़ी लगा दी। शैलेष ने सुझाव दिया कि डीएमएफ की बैठक में प्रस्ताव पेश करने से पहले अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों से भी चर्चा करनी चाहिए। कलेक्टर सारांश मित्तर ने भी शैलेष के सुझाव पर सहमति व्यक्त करते हुए मामले को किसी तरह संभाला।
कलेक्टर सारांश मित्तर के पदभार संभालने के बाद आज डीएमएफ की पहली बैठक हुई। वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिये प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बैठक की अध्यक्षता की।यद्यपि बैठक में पेश किए गए प्रस्तावों को लेकर प्रभारी मंत्री काम काज के लिए 44 करोड़ रूपए का एलान किया। बैठक शुरू होते ही जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जिले में काम काज को लेकर एक एक कर प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान विधायक शैलेष पाण्डेय ने प्रक्रिया का जमकर विरोध किया। शैलेष पाण्डेय ने कहा बैठक में प्रस्ताव तैयार करने और तौर तरीकों का विरोध किया। शैलेष पाण्डेय ने बताया कि निजाम बदल चुका है। लेकिन अधिकारियों के काम काज करने का तरीका नहीं बदला है। बिना किसी परामर्श और विचार के भारी भरकम प्रस्ताव तैयार कर पेश कर दिया जाता है। और कलेक्टर उस पर मुहर लगा देते हैं। पुरानी प्रक्रिया अब नहीं चलनी चाहिए।
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