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ऊर्जागढ़ : उम्मीदों का गढ़

Urjagarh: राज्य स्थापना की रजत जयंती के उत्साह के बीच प्रदेश के विकास को विभिन्न पैमानों पर मापा जा रहा है। छत्तीसगढ़ ने बीते ढ़ाई दशकों में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आधारभूत क्षेत्रों में देश के कई प्रदेशों से हम बहुत बेहतर कर पा रहे हैं यह अहसास उत्साहजनक है।

ऊर्जागढ़ : उम्मीदों का गढ़
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By Gopal Rao

Urjagarh: राज्य स्थापना की रजत जयंती के उत्साह के बीच प्रदेश के विकास को विभिन्न पैमानों पर मापा जा रहा है। छत्तीसगढ़ ने बीते ढ़ाई दशकों में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आधारभूत क्षेत्रों में देश के कई प्रदेशों से हम बहुत बेहतर कर पा रहे हैं यह अहसास उत्साहजनक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और रोजगार जैसे प्रमुख पैमानों में राज्य की उपलब्धियों को मजबूत आधार देती है विद्युत ऊर्जा। प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र का विकास सभी को चमत्कृत और उज्ज्वल भविष्य का विश्वास दिलाता है।

सफर में कई मील के पत्थर

राज्य गठन उपरांत ढाई दशक में ऊर्जा क्षेत्र की प्रगति की यात्रा में कई मील के पत्थर स्थापित हुए हैं। इस दौरान राज्य में 300 प्रतिशत विद्युत उपभोक्ता तो बढ़े ही पर बढ़ती संख्या के साथ गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति करना विशेष उपलब्धि से कम नहीं। महज 25 वर्षों में छ्त्तीसगढ़ में 5 गुना वृद्धि के साथ आज 30,000 मेगावॉट की उत्पादन क्षमता प्राप्त कर ली गई है। विद्युत की अधिकतम मांग 500 प्रतिशत बढ़कर 7000 मेगावॉट के आँकड़े को पार कर आगे निकल चुकी है। 800 प्रतिशत की वृद्धि के साथ लगभग 6 लाख स्थाई कृषि पम्प हों या औद्योगिक उपभोक्ताओं में ढाई गुना बढ़ोतरी के साथ 41 हजार औद्योगिक इकाइयाँ, सभी राज्य के विकास को आधार प्रदान कर रहे हैं। 2211 यूनिट खपत के साथ प्रति व्यक्ति विद्युत खपत के मामले में पूरे देश के पाँच प्रमुख राज्यों में छ्त्तीसगढ़ शामिल है जो गौरव की बात है और साथ ही ये आँकड़े भविष्य की प्रगति और समृद्धि के लिए हमें आश्वस्त भी करते हैं।

विकसित भारत के लक्ष्य के साथ कदमताल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विकसित भारत की संकल्पना में ऊर्जा क्षेत्र की सबसे अहम भूमिका है और ऐसे में अगले तीन दशक की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करना व्यापक कार्ययोजना से ही संभव है। सच तो यह है कि स्थापना के 25 वें वर्ष में जिस लक्ष्य को लेकर हम आगे बढ़ेंगे वो हमारी स्थापना के 50 वें वर्ष को अधिक सुखमय और समृद्ध बनाने का काम करेगा। देश में विद्युत की खपत अगले दस वर्षों तक लगभग 8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और वर्ष 2047 में देश में अधिकतम मांग 750 गीगावॉट तक जा पहुंचेगी। ऐसे में मिशन मोड पर विद्युत ऊर्जा उत्पादन की आवश्यकता होगी जो वर्तमान में 270 गीगावॉट है।

ताप विद्युत उत्पादन की सीमाओं को समझते हुए तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए वर्ष 2070 के लक्ष्य के बीच नवीकरणीय ऊर्जा समेत अन्य विकल्पों पर देशभर में तेजी से काम किया जा रहा है। ऊर्जा उत्पादन की संभावनाओं के बीच देश की निगाह छ्त्तीसगढ़ की ओर टिकी हुई है। वर्तमान में छ्त्तीसगढ़ में विद्युत उत्पादन क्षमता 30 हजार मेगावॉट है। ऊर्जा उत्पादन की नई पारी में ताप के साथ हरित ऊर्जा को महत्व दिया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ ने विद्युत विकास की ऐसी रूपरेखा तैयार की है जिससे ऊर्जा की निरंतरता बनी रहे। राज्य बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा समृद्धि प्राप्त करने की इस दिशा में बढ़ चुका है। इसके तहत इसी वर्ष तीन लाख करोड़ रुपए के निवेश को आमंत्रित करने में पहली सफलता अर्जित की गई । आने वाले एक दशक में प्रदेश में 31 हजार मेगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

ऊर्जा के साथ रोजगार भी

राज्य की स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी (सीएसपीजीसीएल) , सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत उत्पादक नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) , टिहरी हाइडल पॉवर डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन( टीएचडीसी), सतलज जल विद्युत निगम लि.(एसजेवीएन) सहित निजी क्षेत्र की अडानी पॉवर लिमिटेड एवं अन्य बड़े निवेशकों ने ताप समेत पन बिजली के क्षेत्र में 17 हजार मेगावॉट विद्युत उत्पादन के लिए समझौता किया है। इस निवेश से प्रदेश के समग्र विकास को आधार मिलेगा। ऊर्जा उत्पादन इकाइयों के आने से औद्योगीकरण की संभावनाएं बढ़ती हैं और प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलते हैं।

परमाणु ,पन और सौर ऊर्जा में बढ़ी संभावना

गैर- जीवाश्म ईंधन के तौर पर सौर ऊर्जा,पन बिजली, पवन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया जा रहा है। इन ऊर्जा स्रोतों में नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं जो अंततः विद्युत मांग की पूर्ति पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना कर सके। प्रदेश में सरायपाली के पास यूरेनियम भंडार मिलने के बाद यहाँ परमाणु ऊर्जा उत्पादन की संभावनाओं पर विचार शुरू हुआ । अब एनटीपीसी के सहयोग से 4200 मेगावॉट विद्युत उत्पादन करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। यह प्रदेश में पहली परमाणु विद्युत उत्पादन इकाई होगी। इसके अलावा पन विद्युत परियोजनाओं को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। पम्प स्टोरेज तकनीक की मदद से 7500 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य है।

सौर ऊर्जा सबसे सुलभ विदयुत विकल्प है। ऐसे में इसे बड़े उत्पादन संयंत्रों तक सीमित न रखकर आम उपभोक्ता को विदयुत उत्पादक बनाने की योजना केन्द्र सरकार ने चलाई है। महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को और अधिक आकर्षक बनाते हुए केन्द्र के साथ राज्य सरकार भी अब वित्तीय मदद पहुँचाकर विद्युत उत्पादन में आम लोगों की भूमिका बढ़ाना चाह रही है।

मजबूत ऊर्जा अधोसंरचना पर बल

आज की बिजली की आवश्यकताओं को समझते हुए उत्पादित बिजली का समुचित पारेषण और वितरण सुनिश्चित करने के लिए पारेषण और वितरण क्षेत्र में भी राज्य सरकार बड़ा निवेश कर रही है। असल में पारेषण प्रणाली की मजबूती के बगैर विद्युत मांग की आपूर्ति का दबाव नहीं थामा जा सकता है। प्रदेश में आज 14 हजार 249 सर्किट किलोमीटर की अतिऊच्चदाब लाईने हैं जिसकी क्षमता 25 हजार 617 एमव्हीए है। अगले कुछ वर्षों में छ्त्तीसगढ़ में 1700 मेगावॉट अंतर राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम नेटवर्क का विकास किया जाना है। इससे हमारे ताप विद्युत की निकासी को सुगम बनाया जा सकेगा।

गौरव का एहसास, दशकों का इतिहास

छ्त्तीसगढ़ में विद्युत ऊर्जा का इतिहास तो एक शताब्दी से कुछ ऊपर का है पर ऊर्जा की सार्वजनिक उपयोगिता, सुलभता और आमजन के जीवन को रोशन करने का इतिहास लगभग सात दशक में फैला है। एक प्रदेश के लिए 25 वर्षों की विकास यात्रा बहुत लंबी नहीं लेकिन उसकी दिशा तय करने में यह शुरूआती कालखण्ड सबसे महत्वपूर्ण है। विद्युत क्षेत्र में 25 वर्षों के इस कालखण्ड में जो विकास हुआ है उसे हम अपने स्वर्ण काल की तैयारी के रूप में दर्ज कर सकते हैं।

विकास शर्मा

प्रबंधक ( जनसंपर्क एवं औद्योगिक संबंध), छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी

Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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