Start Up India Scheme: स्टार्टअप इंडिया योजना का लाभ लेकर शुरू करें अपना बिजनेस, स्टार्टअप इंडिया सीड फंड के बारे में भी जान लें ये खास बातें
देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2016 में स्टार्टअप इंडिया योजना शुरू की थी। इस योजना के माध्यम से स्टार्ट अप के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में पूरी जानकारी। इसके अलावा हम स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के बारे में भी जानेंगे...
रायपुर, एनपीजी न्यूज। देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2016 में स्टार्टअप इंडिया योजना शुरू की थी। इस योजना के माध्यम से स्टार्ट अप के लिए युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्टार्टअप शुरू करने के लिए सरकार टैक्स में छूट, विनियमन छूट और आर्थिक मदद देती है।
स्टार्टअप से देश का आर्थिक विकास होता है और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। स्टार्टअप का अर्थ देश के युवाओं को बैंकों के माध्यम से आर्थिक मदद देना है, जिससे उनकी शुरुआत बेहतर मजबूती के साथ हो।
दिवालिया होने पर 90 दिनों में बंद किया जा सकता है स्टार्टअप
स्टार्टअप इंडिया (Startup India Scheme) भारत सरकार द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार और देश के नवोदित स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल विकसित करने के लिए किए गए उपायों में से एक है। अगर कोई कारोबारी अपने कारोबार में दिवालिया हो जाता है, तो वह स्टार्टअप को 90 दिनों में बंद कर सकता है। ज्यादा जानकारी startupindia.gov.in वेबसाइट से ली जा सकती है।
स्टार्टअप इंडिया के बारे में जानें
- स्टार्टअप इंडिया में नवाचार को बढ़ावा देने और उभरते उद्यमियों को अवसर देने करने के लिए देश में एक मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
- स्टार्टअप इंडिया योजना 16 जनवरी 2016 को शुरू की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 कार्य बिंदुओं की एक कार्ययोजना का अनावरण किया था।
- इसमें देश में स्टार्टअप के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए रोडमैप निर्धारित किया।
- स्टार्टअप इंडिया पहल फ्लैगशिप योजनाओं जैसे- स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (FFS), SISFS और स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (CGSS) को उनके व्यापार चक्र के अलग-अलग लेवल पर सहायता प्रदान करती है।
- स्टार्टअप इंडिया योजना वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत DPIIT द्वारा कार्यान्वित और समन्वित की जा रही है।
आबादी की तुलना में नौकरियां कम, स्टार्टअप से मिलता है रोजगार
बता दें कि देश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में आबादी की तुलना में नौकरियां काफी कम हैं। ऐसे में सरकार बढ़ती युवा जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रही है, ताकि स्टार्टअप्स के लिए एक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सके। इसी के साथ सरकार नवाचार विचारों को भी स्टार्टअप के माध्यम से प्रेरित कर रही है। स्टार्टअप इंडिया युवाओं को रोजगार देने के लिए भी बहुत मददगार साबित हुई है। एक स्टार्टअप के शुरू होने से बहुत से लोगों को रोजगार मिलता है।
स्टार्टअप इंडिया योजना के फायदे
- इस योजना के माध्यम से स्टार्टअप 10 सालों के लिए लोन ले सकता है। इस लोन पर शुरुआती 3 वर्षों तक किसी भी तरह का टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। ये वित्तीय सहायता स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- इसी के साथ स्टार्टअप के लिए श्रम और पर्यावरण नियमों के लिए अनुपालन की अनुमति मिलती है, जो विनियामक छूट के तहत होता है। इससे स्टार्टअप के लिए प्रशासनिक बोझ कम हो जाता है और व्यक्ति बिजनेस से संबंधित गतिविधियों पर ध्यान दे पाता है।
- इसमें IPR रजिस्ट्रेशन की भी सुविधा मिलती है, ताकि स्टार्ट अप योजना की रक्षा की जा सके। जिसके लिए पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन फाइलिंग प्रक्रियाओं की सुविधा दी गई है। इसी के साथ सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है।
- स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के माध्यम से सरकारी खरीद पर छूट मिलती है।
- इसके अलावा स्टार्टअप इंडिया योजना में स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम को भी शामिल किया गया है। जिसके माध्यम से अगर कोई स्टार्टअप सीड खरीदता है, तो उसे 10 लाख रुपए उपलब्ध कराए जाते हैं।
Start up India Yojana के लिए कौन कर सकता है आवेदन, जानें पात्रता शर्तें
- स्टार्टअप इंडिया योजना का लाभ लेने वाला भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- कंपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी/ लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के रूप में रजिस्टर्ड होनी चाहिए। इससे कंपनी को लीगल सिक्योरिटी मिलती है।
- स्टार्टअप कंपनी की शुरुआत 10 वर्ष से अधिक पहले नहीं होनी चाहिए।
- इसके अलावा कंपनी की गतिविधियां नवाचार, विकास और व्यवसायीकरण पर केंद्रित होनी चाहिए।
स्टार्टअप इंडिया योजना के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स
- आधार कार्ड
- कंपनी पेटेंट
- ट्रेडमार्क
- डिजाइन
- कंपनी रजिस्ट्रेशन फाइल
- मोबाइल नंबर
स्टार्टअप इंडिया योजना के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस
- स्टार्टअप इंडिया योजना के लिए आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा।
- इसके लिए सबसे पहले आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- इस वेबसाइट के होम पेज पर आपको रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन फॉर्म का ऑप्शन मिलेगा।
- इस ऑप्शन पर क्लिक करते ही पंजीकरण आवेदन फॉर्म ओपन हो जाएगा।
- इस फॉर्म में पूछी गई जानकारी को ध्यान से भर दें।
- जरूरी दस्तावेजों को भी ऑनलाइन अपलोड कर दें।
- इसमें यह ध्यान रखें कि पंजीकरण प्रमाण पत्र और बोर्ड रेजोल्यूशन दस्तावेज को अपलोड करना अनिवार्य है।
- इसके बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर नाममात्र पंजीकरण शुल्क को जमा कर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को पूरा करें।
योजना की खास बातें
- स्टार्टअप कारोबारियों के मुनाफे पर व्यवसाय शुरू होने के पहले 3 साल तक इनकम टैक्स में छूट होगी।
- ऐसे उद्यमों में वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों द्वारा किए गए निवेश के बाद अपनी संपत्ति बेचने पर 20% की दर से लगने वाले पूंजीगत लाभ टैक्स से भी छूट होगी। यह छूट सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त उद्यम पूंजीकोषों के निवेश पर भी उपलब्ध होगी।
- नए उद्यमों के लिए एक उदार पेटेंट व्यवस्था भी लाई जाएगी। पेटेंट पंजीकरण में इन उद्यमों को पंजीकरण शुल्क में 80% छूट दी जाएगी।
- दुनियाभर में स्टार्टअप की तीसरी बड़ी संख्या भारत में है। सरकार इन उद्यमों को सरकारी खरीद ठेके लेने के मामले में भी मानदंड में कई तरह की छूट देगी।
- स्टार्ट अप उद्यमों को सरकारी ठेकों में अनुभव और कारोबार सीमा के मामले में छूट दी जाएगी।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
- 6 श्रम और 3 पर्यावरण कानूनों के अनुपालन के स्व-प्रमाणन की अनुमति है। अगले 3 साल तक इस संबंध में कोई निरीक्षण नहीं किया जाएगा।
- टैक्स छूट- बाजार मूल्य से अधिक मूल्य के इन्क्यूबेटरों द्वारा किए गए निवेश पर टैक्स छूट। एंजल निवेशकों द्वारा किए गए निवेश पर भी छूट मिलेगी। पहले 3 वर्षों के लिए या एक सीमा तक कर छूट।
- सिंगल विंडो क्लीयरेंस- पात्र संस्थाएं स्टार्टअप इंडिया मोबाइल ऐप के डेटा का उपयोग करके एक फॉर्म के माध्यम से खुद को पंजीकृत कर सकती हैं। स्टार्टअप इंडिया मोबाइल एप्लीकेशन पेटेंट संरक्षण के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस भी देती है।
- सार्वजनिक खरीद के लिए आसान मानदंड- सार्वजनिक खरीद के लिए स्टार्टअप्स और अनुभवी उद्यमियों के लिए एक समान अवसर प्रदान करती है।
- इनक्यूबेटर सेटअप- इस योजना में एक इनक्यूबेटर मॉड्यूल भी शामिल है, जो सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) का समर्थन करता है।
- नेटवर्किंग ऑप्शन- स्टार्टअप्स को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य स्टार्टअप हितधारकों के साथ मिलने का अवसर दिया जाता है।
- सरकारी निविदाएं- स्टार्टअप्स को सरकारी निविदाएं प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, स्टार्टअप्स के साथ बिना किसी पूर्व अनुभव के निविदाएं दी जाती हैं।
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के बारे में भी जानें
- इस योजना की घोषणा 16 जनवरी 2021 को स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट में की गई थी।
- DPIIT द्वारा एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (EAC) का गठन किया गया है, जो स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के क्रियान्वयन और निगरानी के लिये जिम्मेदार होगा।
- पात्रता
- DPIIT (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐसा स्टार्टअप जो आवेदन के समय से 2 वर्ष से अधिक पहले शामिल नहीं किया गया हो।
- स्टार्टअप ने केंद्रीय या राज्य सरकार की किसी दूसरी योजना के तहत 10 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक सहायता नहीं ली हो।
- सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, गतिशीलता, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल और गैस, वस्त्र जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान देने करने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी।
- खास बातें
- समिति द्वारा चयनित पात्र इनक्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा।
- चयनित इनक्यूबेटर स्टार्टअप विचार या सिद्धांत के प्रमाण या प्रोटोटाइप विकास या उत्पाद परीक्षणों के सत्यापन के लिए 20 लाख रुपए तक का अनुदान ले सकेंगे।
- परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण से जुड़ी प्रतिभूतियों के माध्यम से व्यवसायों को बाजार में प्रवेश, व्यावसायीकरण या स्केलिंग के लिये 50 लाख रुपए तक की सहायता दी जाएगी।