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Chhattisgarh Tourism, Shishupal Parvat in Chhattisgarh: पर्वत पर मैदान, बेहद ऊंचा मौसमी घोड़ाधार झरना और पढ़िए एक राजा की रोमांचक दास्तान

Chhattisgarh Tourism, Shishupal Parvat in Chhattisgarh: पर्वत पर मैदान, बेहद ऊंचा मौसमी घोड़ाधार झरना और पढ़िए एक राजा की रोमांचक दास्तान
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By NPG News

Chhattisgarh Tourism, Shishupal Parvat in Chhattisgarh:; राजधानी रायपुर से करीब 157 किमी की दूरी पर और महासमुंद जिले के सरायपाली से करीब 28 किमी की दूरी पर स्थित है शिशुपाल पर्वत। प्राकृतिक सौंदर्य, एडवेंचर और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए सीधी चढ़ाई वाले इस पर्वत की ट्रिप यादगार अनुभव हो सकती है। इस पहाड़ की चोटी पर बड़ा सा मैदान है जो अपने आप में यूनीक है। घोड़ाधार नाम का बेहद ऊंचाई से गिरने वाला एक मौसमी झरना है, जन आस्था का केंद्र प्राचीन शिव मंदिर है, जड़ी-बूटियों का अद्भुत फैलाव है और है एक राजा के आत्मसम्मान की रोचक दास्तान। आइए जानते हैं।

महासमुंद जिले में करीब 10 किमी के विशाल क्षेत्रफल में फैला है शिशुपाल पर्वत। दूर से इसकी चोटी चांदी के मुकुट के समान नजर आती है। सीधी चढ़ाई और कहीं-कहीं टुकड़ों में बंटे पत्थरों पर चढ़ना आसान नहीं है लेकिन यही बातें इस ट्रिप को एडवेंचरस बनाती हैं।

क्या कुछ देखने योग्य है -

पर्वत के ऊपर मैदान

ट्रेकिंग के शौकीन होंगे तो आपने कई पर्वतों पर चढ़ाई की होगी लेकिन शिशुपाल पर्वत पर चढ़ने के बाद जैसा सपाट हिस्सा आपको देखने को मिलेगा, वो आपको हैरान कर देगा।

महल और घोड़ाधार झरना

यहाँ पहाड़ पर राजा शिशुपाल का महल है।जो अब जीर्ण-शीर्ण हालत में है। राजा शिशुपाल के संदर्भ में कहा जाता है कि वे बेहद साहसी और आत्मसम्मानी थे। बताते है कि कब्ज़े की नीयत से जब अंग्रेजी सल्तनत ने महल पर आक्रमण कर राजा को घेर लिया तब शिशुपाल ने अपने घोड़े की आंखों पर पट्टी बांध दी और इस विशाल पर्वत की चोटी से कूद गए। इसलिए इस पर्वत से गिरने वाले झरने को "घोड़ाधार जलप्रपात" कहा जाता है। यह मौसमी झरना है जो बारिश के दिनों में देखा जा सकता है। करीब 1000 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले झरने ने पत्थरों को इस तरह काटा है कि दृश्य बहुत ही आकर्षक बन पड़ा है।

शिव मंदिर

यहाँ एक प्राचीन शिव मंदिर हैं। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के बाहर आज भी मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल मेला लगता है। हज़ारों की संख्या में श्रृद्धालु यहां आते हैं। कहते हैं इस सूर्यमुखी मंदिर में पहले हनुमान सिक्का जड़ा हुआ था। जिसे बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता था। लेकिन अब यह सिक्का यहां से गायब है।

रानी तालाब और राजा कचहरी

बताते हैं कि राजा शिशुपाल की दो रानियां थीं। दोनों के अलग-अलग सरोवर यानि तालाब थे जो अब भी हैं। वहीं राजा की कचहरी के भग्नावशेष भी हैं, जहां राजा प्रजा से मिला करते थे।

सुरंग में था शस्त्रागार

यहाँ एक बहुत लंबी सुरंग है। नदी की रेत ने अब इस सुरंग का मार्ग अवरुद्ध कर दिया है लेकिन स्थानीय निवासी बताते हैं कि सुरंग के भीतर अब भी राजा के अस्त्र-शस्त्र पड़े हुए हैं।

विशाल गुफा

यहाँ पर्वत पर एक बहुत गहरी गुफा है। गुफा इतनी विशाल है कि सैकड़ों लोग एक साथ विश्राम करने के लिए भीतर बैठ सकते हैं।

पंचमुखी हनुमान मंदिर

कुछ सौ मीटर की चढ़ाई करने के बाद आपको एक छोटा सा हनुमान मंदिर मिलेगा। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस पंचमुखी हनुमान मंदिर तक पहुंचकर लोग थोड़ा सुस्ता सकें इसके लिए ग्रामीणों ने बड़ी मेहनत की है। वे जब मंदिर के मेले में जाते हैं तो एक थैले में रेत और एकाध ईंट ले आते हैं। और यहां उसको बिछा देते हैं। इससे पर्वत पर चढ़ने वालों के लिए थकने पर थोड़ा बैठने की जगह बन गई है।

जड़ी-बूटियाँ

इस पर्वत के इर्द-गिर्द बहुत सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ देखी जा सकती हैं। शतावर और अश्वगंधा खासकर यहां बहुत अच्छी मात्रा में हैंं। शिशुपाल पर्वत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने की तैयारियां शुरू हो ही चुकी हैं हालांकि पहले से भी यहां पर्यटक आते रहे हैं। लेकिन आगे सुविधाएं और बेहतर होंगी। यदि आप भी शिशुपाल पर्वत की ट्रिप प्लान करते हैं तो आप छत्तीसगढ़ के महासमुंद रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं। या फिर विवेकानंद हवाई अड्डे, रायपुर तक आने के बाद कैब से आगे का सफ़र कर सकते हैं।

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