Begin typing your search above and press return to search.

Sarguja District in chhattisgarh: सरगुजा जिले को जानिए: सरगुजा जिले का इतिहास और सामान्य परिचय पढ़िए

Sarguja District in chhattisgarh

Sarguja District in chhattisgarh: सरगुजा जिले को जानिए: सरगुजा जिले का इतिहास और सामान्य परिचय पढ़िए
X
By NPG News

NPG NEWS

Sarguja District in chhattisgarh:; छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित सरगुजा क्षेत्रफल में सूबे का सबसे बड़ा जिला है। जिले का बंटवारा होने से पहले यह गुजरात के भुज के बाद देश का दूसरा बड़ा जिला था। सरगुजा जिले का मुख्यालय अम्बिकापुर है। इस जिले से कई इतिहास जुड़े हुए हैं तो छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाने वाला मैनपाट भी इसी सरगुजा जिले में है। सरगुजा के रामगिरि पर्वत पर महाकवि कालीदास नें अपना सुप्रसिद्ध महाकाव्य 'मेघदूतम 'रचा। कहते हैं कि भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण जी वनवास काल के दौरान यहां रुके। विश्व की प्राचीनतम शैल नाट्यशाला भी यहीं स्थित है। राज्य में सबसे अधिक बाक्साइट का उत्पादन और भण्डारण जिले के मैनपाट में होता है। चाय बागान भी मैनपाट में है। सरगुजा के बारे में बहुत से तथ्यों से आप इस लेख में अवगत होंगे।

सरगुजा जिले का इतिहास

विभिन्न पुरातात्विक, पौराणिक. साहित्यिक प्रमाणों से जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार जिले का इतिहास ईसा पूर्व तक जाता है। कहते हैं यहां उन्हीं महर्षि जमदग्नि का आश्रम था जिन्होंने श्री राम को भगवान शंकर द्वारा दिया गया बाण ''प्रास्थलिक'' दिया था। जिसका उपयोग बाद में राम ने रावण के विनाश के लिए किया था। आगे चलकर यहां नन्द वंश, मौर्य वंश, राजपूत आदि राजाओं ने शासन किया। मौर्य और गुप्त सम्राटों के शिलालेख यहां मिले हैं।

आधुनिक दौर की बात करें तो इस जिले की स्थापना 1 जनवरी 1948 में हुई। मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1 नवम्बर 1956 को यह मध्यप्रदेश में शामिल किया गया। इसके बाद 1998 में सरगुजा जिले का विभाजन किया गया और कोरिया जिला अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन पर सरगुजा इसका हिस्सा बना। 2012 में इस जिले का एक बार फिर विभाजन हुआ और दो नए जिले सूरजपुर और बलरामपुर बनाए गए।

जिले की प्रशासनिक जानकारी

सरगुजा क्षेत्रफल के लिहाज से छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जिला है। इसका क्षेत्रफल 5732 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 23,61,329 है। इसके अंतर्गत 7तहसील, 7 विकासखण्ड, 439 ग्राम पंचायत और 1 नगर निगम है। जिले का मुख्यालय अंबिकापुर है।

उद्योग

सरगुजा के प्रमुख उद्योगों में सरगुजा वुड प्रोडक्ट, लाख लकड़ी की सबसे बड़ी कंपनी है। यहाँ शक्कर व खांडसारी उद्योग भी हैं। मैनपाट में चाय बागान हैं। कत्था कारखाना अंबिकापुर में है। इसके अलावा हर्रा का कारखाना, रेशम उद्योग आदि अनेक उद्योग हैं। जिले की भूमि में बाॅक्साइट और कोयला प्रचुर मात्रा में है।

कृषि

अरहर उत्पादन में सरगुजा अग्रणी है। इसके अलावा यहां धान, गेहूं, ज्वार, मक्का, सरसों, तिल, अलसी, गन्ना, कोदो-कुटकी,साग- सब्ज़ी आदि की भी अच्छी पैदावार होती है।

प्रमुख पर्यटन स्थल

सेदम जल प्रपात

अम्बिकापुर से 45 कि.मी की दूरी पर सेदम गांव में पहाड़ियों के बीच एक सुन्दर झरना है जिसे सेदम जलप्रपात कहा जाता है। इसे राम झरना के नाम से भी जाना जाता है। झरने का पानी नीचे जल कुंड में गिरता है।यहां पर एक शिव मंदिर भी है। शिवरात्रि पर सेदम गांव में मेला लगता है। चौतरफा हरियाली से घिरे इस पहाड़ी झरने को देखने पर्यटक वर्ष भर आते हैं।

मैनपाट

अपनी कंपकंपी पैदा करने वाली सर्दी और हल्की बर्फबारी, पौधों पर बर्फ बन जम चुकी ओस और धने कोहरे वाली सुबहें मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला बनाती हैं। यहां देखने के लिए एक से एक प्वाइंट हैं जैसे टाइगर प्वाइंट, जलजली, जलपरी प्वाइंट, उल्टा पानी आदि। मैनपाट को छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहा जाता है।

रामगढ़

अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग पर स्थित रामगढ़ या रामगिरि पर्वत प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल है। साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि यह वही स्थल है, जहां पर वनवास काटते समय भगवान राम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ ठहरे थे।माना जाता है कि महाकवि कालिदास ने अपना महाकाव्य 'मेघदूतम' भी यहीं रचा। पहाड़ी के निचले हिस्से में सीता बेंगरा और जोगीमारा गुफाएं हैं। भारत में संभवत: यह अकेला स्थान है, जहाँ बादलों की पूजा करने का रिवाज है।

सीता बेंगरा गुफा

सीताबेंगरा गुफ़ा रामगढ़ पर्वत के निचले हिस्से में है। तीन कक्षों वाली यह गुफ़ा देश की सबसे पुरानी नाट्यशाला है।इस नाट्यशाला का निर्माण ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना गया है। गुफा तक पहुंचने के लिए पत्थरों को तराशकर सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। गुफा का प्रवेश द्वार गोल है और दीवारें सीधी हैं।इसमें कलाकारों के लिए मंच नीचे है जबकि दर्शक दीर्घा ऊँचाई पर है। माना जाता है कि प्राचीन काल में ऐसे गुफ़ा केन्द्रों का मनोरंजन के लिए प्रयोग होता था।

जोगीमारा गुफा

जोगीमारा गुफा सीता बेंगरा गुफा से छोटी है। इन गुफ़ा की भित्तियों पर विभिन्न चित्र अंकित हैं। ये शैलकृत गुफ़ाएँ हैं, जिनमें 300 ई.पू. के कुछ रंगीन भित्तिचित्र भी हैं। यह छत्तीसगढ़ की अजन्ता गुफा के रूप में विख्यात है। यहां पर दूसरी और तीसरी शताब्दी के ब्राह्मी लिपि के अभिलेख भी है।

कैलाश गुफा

अंबिकापुर से करीब 60 किमी दूर हरे-भरे जंगल के बीच पहाड़ी चट्टानों को तराशकर बनाई गई कैलाश गुफा प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक जनों के लिए एक अति मनोरम स्थल है। इस पवित्र गुफा का निर्माण पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी ने करवाया था। यहां उन्होंने वर्षों तपस्या की थी।महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष यहां विशाल मेला लगता है और सावन माह में दूर-दूर से कांवड़िए पैदल चलकर गुफा में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं।

लक्ष्मणगढ़

अम्बिकापुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्मणगढ स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इसका नाम वनवास काल में श्री लक्ष्मण जी के ठहरने के कारण पड़ा । यहां शिवलिंग, कमल पुष्प,प्रस्तर खंडों पर कृष्ण जन्म से जुड़ी अनेक कलाकृतियां हैं जो दर्शनीय हैं।

तमोर पिंगला अभयारण्य

अम्बिकापुर-वाराणसी राजमार्ग पर 72 कि. मी. की दूरी पर तमोर पिंगला अभयारण्य है। 1978 में स्थापित यह अभ्यारंय 608.52 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्रफल में फैला है। इसमें मुख्यत: शेर, तेन्दुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, गौर, भालू, सोनकुत्ता, बंदर, सियार, नेवला, लोमडी, तीतर, बटेर, चमगादड़ आदि मिलते हैं।

सेमरसोत अभयारण्य

1978 में स्थापित सेमरसोत अभयारण्य सरगुजा जिलें के पूर्वी वनमंडल में स्थित है।अभयारण्य में सेंदुर, सेमरसोत, चेतना, तथा सासू नदियों का जल प्रवाहित होता है। इसका क्षेत्रफल 430.361 वर्ग कि. मी. है। जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 58 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित इस अभ्यारण्य में शेर, तेन्दुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, बार्किग डियर, चौसिंहा, चिंकारा, कोटरी, जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, भालू, मोर, बंदर, भेडियां आदि पाये जाते हैं।कर्क रेखा इस क्षेत्र से होकर गुजरती है। अभयारण्य में पाए जाने वाले वनों में साल वन, मिश्रित पर्णपाती वन आदि हैं।

पारदेश्वर शिव मंदिर

पारदेश्वर शिव मंदिर प्रतापपुर के बनखेता में बांकी नदी के तट पर छत्तीसगढ़ का एकमात्र पारद शिवलिंग स्थापित है। पारदेश्वर शिव मंदिर में 151 किलो पारा धातु से निर्मित पारद- शिवलिंग की स्थापना 21 अक्टूबर 1996 को की गयी। पारदेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिव-पार्वती, कार्तिकेय, नंदी, गणेश सभी की मूर्तियां पारा धातु से ही निर्मित हैं।

तकिया

अम्बिकापुर नगर के उतर-पूर्व छोर पर तकिया ग्राम स्थित है। इसी ग्राम में बाबा मुराद शाह, बाबा मुहम्मद शाह और उनके निकट छोटी मजार उनके तोते की है। हर साल मई-जून महीने में यहां उर्स का आयोजन होता है। सभी सम्प्रदायों के लोग मज़ार पर चादर चढाने आते हैं।

ठिनठिनी पत्थर

अम्बिकापुर नगर के दरिमा हवाई अड्डा के पास बड़े – बड़े पत्थरों का समूह है। इन पत्थरों पर यदि छोटे पत्थर से प्रहार किया जाए तो धातु जैसी ठिन-ठिन की आवाजें आती है इसलिए इन पत्थरों को यहां के

लोकल लोगों ने ठिनठिनी पखना (पत्थर) नाम दिया है।

जिले के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान

सरगुजा में संत गाहिरा गुरु विश्वविद्यालय है।

प्रमुख काॅलेज ये हैं-

राजमोहिनी देवी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर शासकीय डिग्री कॉलेज

शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अंबिकापुर,

गवर्नमेंट पी. जी. कॉलेज

गवर्नमेंट साइंस कॉलेज अंबिकापुर

राजीव गांधी गवर्नमेंट पी. जी. कॉलेज

कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज़, अंबिकापुर

श्री साई बाबा आदर्श महाविद्यालय

होली क्रॉस वुमन्स कॉलेज अंबिकापुर

केआर तकनीकी कॉलेज

गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक काॅलेज, अंबिकापुर आदि

जिले के प्रमुख स्कूल -

गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल

गवर्नमेंट मल्टी पर्पज़ स्कूल

सैनिक स्कूल, अंबिकापुर

जवाहर नवोदय विद्यालय

सैंट जेविएर्स हायर सेकंडरी स्कूल

अंबिका मिशन स्कूल

प्रयास आवासीय विद्यालय

स्वामी आत्मानंद गवर्नमेंट स्कूल

केंद्रीय विद्यालय

न्यू दिल्ली पब्लिक स्कूल

अडानी विद्या मंदिर

महर्षि विद्या मंदिर आदि

अस्पताल

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र

विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

होली क्रॉस हॉस्पिटल अंबिकापुर

किलकारी हॉस्पिटल अंबिकापुर

महावीर हॉस्पिटल

डिस्ट्रिक्ट आयुर्वेद हॉस्पिटल अंबिकापुर

डॉ. फिरदोसी हॉस्पिटल

अरिहंत अस्पताल

जीवन ज्योति हॉस्पिटल आदि

कैसे पहुँचें

हवाईजहाज से

राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ से आप दरिमा एयरपोर्ट अंबिकापुर जा सकते हैं।

ट्रेन से

अम्बिकापुर शहर के मुख्य मार्ग से रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 5 किमी है। यह स्टेशन अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग 130 अंबिकापुर से होकर गुजरता है। अंतरराज्यीय सड़कें भी अच्छी हैं।

Next Story