Raigarh District: रायगढ जिला छत्तीसगढ के पूर्वी भाग में स्थित है। इसका उत्तरी हिस्सा जंगलों से भरा पर्वतीय इलाका है तो दक्षिणी हिस्सा मैदानी है। यहां सिंघनपुर,ओगना,करमागढ़ की पहाड़ी और कबरा पहाड़ आदि मेंं प्रागैतिहासिक मानवों द्वारा की गई चित्रकारी देखी जा सकती है। इनकी वजह से इसका उपनाम ही शैलाश्रयों का घर पड़ गया है। एशिया की सबसे बड़ी स्पंज आयरन कंपनी 'जिंदल स्टील' रायगढ़ में स्थित है। मोनेट इस्पात भी यहीं है। और भी छोटी-बड़ी अनेक स्टील कंपनियां यहां हैं। वस्तुतः रायगढ़ इस्पात का बहुत बड़ा बाज़ार बन चुका है।
यहाँ का कोसा और ढोकरा शिल्प विश्व भर में प्रसिद्ध है। सांस्कृतिक रूप से भी यह जिला अत्यधिक समृद्ध है। इसे छत्तीसगढ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। रायगढ़ के महाराज चक्रधर सिंह ने कला और संस्कृति को बहुत प्रोत्साहन दिया। उन्हीं के सम्मान में प्रतिवर्ष चक्रधर समारोह आयोजित किया जाता है। रायगढ़ अपने शास्त्रीय संगीत और कत्थक विधा के 'रायगढ़ घराना' के लिए विख्यात है। जिला कोयला,बाक्साइट,कोयला,चूनापत्थर ,डोलोमाइट,फ्लोराइट,क्वार्टजाइट, क्ले से समृद्ध है। यहां सोना भी पाया जाता है। बिरहोर यहां की प्रमुख जनजाति है। इसके अलावा कोरबा, उराव,गोंड,कंवर आदि जनजातियां भी यहां निवास करती हैं।
इतिहास
महाराज मदन सिंह को रायगढ़ का संस्थापक माना जाता है, जो महाराष्ट्र से आये थे। बताया जाता है कि पहले रायगढ़ संबलपुर जिले का एक भाग था और मदन सिंह उसके सांमत थे। कालांतर में उन्होंंने यहां अपना स्वतंतर राज्य स्थापित किया। महाराजा मदन सिंह ने महानदी के किनारे एक किला यानि गढ़ बनवाया जिसका नाम 'राय' था। इसी गढ़ के नाम पर इसे 'रायगढ़' नाम मिला। महराजा चक्रधर सिंह स्वतंत्र रायगढ़ के अंतिम राजा थे। स्वतंत भारत में सम्मिलित होने वाली पहली कुछ रियासतों में रायगढ़ भी शामिल था। पहले यह मध्य प्रदेश का हिस्सा बना और बाद में छत्तीसगढ़ के गठन के बार इसमें शामिल हो गया।
प्रशासनिक जानकारी
रायगढ़ बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आता है। जिले का निर्माण 1 जनवरी 1948 को हुआ था। इसका क्षेषफल 6527. 74 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 14,93, 984 है। जिले का मुख्यालय रायगढ़ है। जिले के अंतर्गत 9 तहसील, 9 विकासखंड,1 नगर निगम,2 नगर पालिका परिषद,1445 गांव हैं।
फसलें
गेहूं,मूंग, धान, मेस्टा,सनई,बाजरा, उड़द, मूंगफली, तिल और गन्ना यहां की मुख्य फसलें हैं।
अर्थव्यवस्था
एशिया की सबसे बड़ी स्पंज आयरन कंपनी 'जिंदल स्टील' रायगढ़ में स्थित है। प्रदेश की एकमात्र जूट मिल 'मोहन जूट मिल' देश को स्वतंत्रता मिलने से पूर्व ही यहां स्थापित की जा चुकी थी। इसके अलावा मोनेट इस्पात, पेपर ट्यूब, गम टेप कंपनी, केलकर प्रोडक्ट्स, एनटीपीसी का संयत्र भी यहां है।ढोकरा शिल्प रायगढ़ की विश्व प्रशंसित कला है। रायगढ़ के कोसा वस्त्र देश ही नहीं बल्कि देश से बाहर भी छत्तीसगढ़ को पहचान दिलाते हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण ग्रामीणों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
स्कूल
ओपी जिंदल स्कूल
कृष्णा पब्लिक स्कूल
महर्षि विद्या मंदिर
सेंट. जेविएर्स इंग्लिश स्कूल
केंद्रीय विद्यालय
मोनेट डीएवी पब्लिक स्कूल
किरोड़ीमल नटवर हाई स्कूल
रॉयल नेशनल स्कूल
साधु राम विद्या मंदिर
दिल्ली पब्लिक स्कूल
कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल
लायंस पब्लिक स्कूल
सरदार वल्लभभाई पटेल हायर सेकेंडरी स्कूल आदि
रायगढ़ में उच्च शिक्षा
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय
माँ मंगला कॉलेज ऑफ आईटी एंड मैनेजमेंट
रायगढ़ सिटी कॉलेज
किरोड़ीमल गवर्नमेंट आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज
स्वर्गीय श्री लखीराम अग्रवाल मेमोरियल राजकीय मेडिकल कॉलेज
किरोडीमल पॉलिटेक्निक कॉलेज आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
सिंघनपुर
यह गुफा रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह छत्तीसगढ़ में प्राप्त प्राचीनतम शैलचित्र युक्त शैलाश्रयों में से एक है। यहाँ अंकित चित्रों में सीढ़ीनुमा पुरुष, मत्स्यांगना, शिकार दृश्य, पंक्तिबद्ध नर्तक टोली एवं अन्य मानवाकृतियाँ सम्मिलित हैं। इन चित्रों की तिथि लगभग ईसापूर्व 30 हज़ार वर्ष निर्धारित की गई है। इनकी खोज एंडरसन द्वारा 1910 के आसपास की गई थी।
राम झरना
शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर खरसिया ब्लॉक में राम झरना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।घने जंगल के भीतर एक प्राकृतिक जलस्रोत है जो लगातार बह रहा है और लगभग डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।लोगों का मानना है कि यहाँ के कुंड का पानी पीने से आंतरिक और बाहरी शारीरिक रोगों से राहत मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार अपने वनवास काल के दौरान दूर-दूर तक भटकने के बावजूद भी श्री राम को जब पानी नहीं मिला तब उन्होंने बाण से धरती में छेद कर दिया और प्यास से व्याकुल सीता माता के लिए पानी उपलब्ध कराया। वह जलस्रोत ही राम झरना कहलाता है। पिकनिक के लिए यह एक बेहतरीन जगह है।
गौरीशंकर मंदिर
गौरीशंकर मंदिर रायगढ़ का ख्यातिलब्ध मंदिर है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान शिव और पार्वती की पूजा होती है, लेकिन झूला उत्सव भगवान श्रीकृष्ण का होता है। इस मंदिर का निर्माण एक दानवीर सेठ किरोड़ीमल ने करवाया था। सन 1946 में इस मंदिर को बनवाने के लिए हरियाणा से कारीगर बुलवाए गए थे। मंदिर का निर्माण दो साल में पूरा हुआ। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सन 1948 में गौरीशंकर मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
रायगढ़ का किला
यह छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने किलों में से एक है। रायगढ़ का नामकरण इसी किले के आधार पर हुआ है।
* चक्रधर समारोह ने दी है रायगढ़ को खास पहचान
'चक्रधर समारोह' रायगढ़ की पहचान बन चुका है। राजा चक्रधर सिंह ने यहां 1924 से 1947 तक शासन किया। वे एक बेहतरीन तबला वादक और गायक भी थे। उनका जन्म गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। उनके पिता ने उनके जन्म की खुशी में गणेश चतुर्थी के दिन शहर में उत्सव मनाना शुरू किया था। राजा चक्रधर संगीत, नृत्य, गायन, लेखन आदि अनेक विधाओं मैं निपुण थे। वे स्वयं इस कार्यक्रम में तबला भी बजाते थे। चक्रधर जी के देहावसान के बाद उनकी याद में "चक्रधर समारोह" के नाम से यहां वर्ष 1985 से दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत की गई । जिसने देशभर में ख्याति अर्जित की। इस समारोह में हर साल स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकार भाग लेते हैं और भारतीय संगीत विरासत को बनाए रखने के लिए अपना योगदान देते हैं।
कैसे पहुँचे
प्लेन से
रायगढ़ एयरबेस सबसे पास का एयरबेस है। सबसे निकटतम हवाई अड्डा है बिलासपुर हवाई अड्डा। जिसकी दूरी लगभग 135 किलोमीटर है Iजिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के स्वामित्व वाला एक निजी हवाई अड्डा भी है।
ट्रेन से
रायगढ़ रेलवे स्टेशन बिलासपुर रेल मंडल के अंतर्गत आता है । यह मुंबई-हावड़ा मार्ग पर स्थित है। कई एक्सप्रेस और कुछ सुपरफास्ट ट्रेनें यहां रुकती हैं।दूसरा निकटतम बेहतर विकल्प बिलासपुर रेलवे स्टेशन है जो रायगढ़ से 140 किमी दूर है।
सड़क से
राष्ट्रीय राजमार्ग 153 यहां से गुजरता है। राज्य के भीतर इसकी सड़कों से बहुत अच्छी कनेक्टिविटी है।