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Narayanpur district: नारायणपुर जिले को जानिए: नारायणपुर जिले का इतिहास और सामान्य परिचय

Narayanpur district: नारायणपुर जिले को जानिए: नारायणपुर जिले का इतिहास और सामान्य परिचय
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By NPG News

Narayanpur district: नारायणपुर जिले का गठन 11 मई 2007 को हुआ। पहले यह बस्तर जिले का हिस्सा हुआ करता था।यह जिला छत्तीसगढ़ के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह प्रदेश का सबसे अधिक वर्षा वाला और सबसे कम जनघनत्व और तहसीलों ( मात्र 2) वाला जिला है। यहाँ प्रदेश का सर्वोत्तम सागौन खुरसेल घाटी में पाया जाता है, इसलिए इस घाटी को 'सागौन बगीचा' के नाम से पुकारा जाता है। यहां की 70 प्रतिशत आबादी जनजातीय है। नारायणपुर क्षेत्र के जनजातीय समुदाय अपनी अद्वितीय और विशिष्ट संस्कृति व विरासत के लिए जाने जाते हैं।यहां के गोंड आदिवासियों की 'घोटुल व्यवस्था' विश्व प्रसिद्ध है। टाइगर किड ' चेंदरू मंडावी' नारायणपुर के जंगलों में ही बाघों के साथ पला-बढ़ा, जिसपर बाद में फिल्म भी बनी। यहां जाटलूर नदी मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास है। 'छोटे डोंगर' में प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र लौह अयस्क से भी समृद्ध है। नारायणपुर का मड़ई मेला भी अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। माड़िन, गुदरा, निबरा, कोटरी यहां की प्रमुख नदियाँ हैं। नारायणपुर के बारे में विस्तार से इस लेख में जानिए।


जिले का इतिहास

इस क्षेत्र का रामायण में 'दंडकारण्य' के रूप में उल्लेख मिलता है। वहीं महाभारत काल में यह कोसाल साम्राज्य का हिस्सा था। बस्तर की रियासत की स्थापना 1324 ई. के आसपास उस समय मानी जाती है जब अंतिम काकातिय राजा, प्रताप रुद्र देव के भाई 'अन्नाम देव' ने वारंगल को छोड़ दिया और माँ दंतेश्वरी के निर्देश पर बस्तर में अपना राज्य स्थापित किया। 'दंतेश्वरी माता' आज भी बस्तर क्षेत्र की सर्वाधिक पूजनीय देवी हैं। प्रसिद्ध दांतेश्वरी मंदिर क्षेत्र की पहचान है। क्रमशः यहां अनेक राजाओं ने राज किया।


आधुनिक दौर की बात करें तो 1936 में बस्तर राज्य के 20 वें और आखिरी शासक प्रवीर चंद्र भंज देव 1936 में सिंहासनारूढ़ हुए। महाराजा प्रवीर चंद्र भंज देव आदिवासियों के बीच बेहद लोकप्रिय थे।बस्तर में एक आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व करने के दौरान 25 मार्च 1966 को पुलिस कार्रवाई में उनकी मृत्यु हो गई।


जिले की प्रशासनिक जानकारी

नारायणपुर जिले का क्षेत्रफल 6,640 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार की यहाँ की जनसँख्या 1, 39,820 है। जिले का मुख्यालय नारायणपुर है। इसके अंतर्गत 2 तहसील, 2 विकासखंड, 1 नगरपालिका, 104 ग्राम पंचायत और 413 गांव हैं।


कृषि

धान, मक्का, उड़द, कुल्थी,कोदो-कुटकी, अरहर,चना जिले की प्रमुख फसलें हैं।


अर्थव्यवस्था

नारायणपुर जिले के छोटे डोंगर में लौह अयस्क का भंडारण है। जिले के आदिवासी ढोकरा और बेल मेटल हैंडीक्राफ्ट तैयार करने में माहिर हैं, जिसकी देश-विदेश में मांग है। इनमें सजावटी वस्तुएं, भगवान की मूर्तियाँ, जानवरों की सुंदर आकृतियां आदि शामिल हैं। स्व सहायता समूहों की महिलाएं बेसन के लड्डू, चावल के लड्डू, इमली का आचार, इमली कैंडी जैसी चीज़ें विक्रय के लिए तैयार करती हैं।


प्रमुख शिक्षण संस्थान

प्रमुख काॅलेज

शासकीय स्वामी आत्मानंद महाविद्यालय

शासकीय पॉलिटेक्निक काॅलेज

कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन नारायणपुर


प्रमुख स्कूल

जवाहर नवोदय विद्यालय

स्वामी आत्मानंद स्कूल

एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल

डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल

गर्ल्स हायर सेकंडरी स्कूल

विश्वदीप्ति हाई स्कूल

गुरुकुल पब्लिक हाई स्कूल आदि

जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल


हांदवाड़ा जलप्रपात, नारायणपुर

हान्दवाडा जल प्रपात नारायणपुर का सबसे खूबसूरत प्राकृतिक जल प्रपात और पर्यटन स्थल है जहाँ करीब 150 फीट से भी अधिक ऊचाई से पानी नीचे गिरता है फिर पत्थरों के बीच बहता हुआ सुंदर झरने का निर्माण करता है। यहाँ का शांत वातावरण,पानी की कलकल ध्वनि और मनोहर दृश्य मन को मोह लेता है।


रामकृष्ण आश्रम

रामकृष्ण आश्रम नारायणपुर का एक प्रमुख स्थल है। यह आश्रम 1985 में स्थापित किया गया था। आश्रम अबूझमाड़ के आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए कार्य करता है। यहां पर स्कूल, अस्पताल और भी बहुत सारी सुविधाएं हैं, जिनका लाभ आदिवासी लोग उठा सकते हैं। यहां पर चिल्ड्रन पार्क भी है।


खुरसेल घाटी और जलप्रपात

उत्तम किस्म के सागौन वृक्षों को अपने भीतर समेटे, हरियाली से परिपूर्ण खुरसेल घाटी बेहद खूबसूरत नज़र आती है। इसकी पहचान सागौन बगीचा के रूप में भी की जाती है। यहाँ गुड़ाबेड़ा गांव के समीप 'खुरसेल जलप्रपात' भी दर्शनीय है। जहां पानी 400 फीट की ऊंचाई से गिरता हुआ नीचे आकर अनेक जलकुंडों का निर्माण करता है।


पहाड़ी मंदिर

यह मंदिर नारायणपुर मुख्य जिले से करीब एक से डेढ़ किलोमीटर दूर है। ऊंची पहाड़ी पर बने हुए इस मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। पहाड़ी मंदिर में दुर्गा माता के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के भी दर्शन किए जा सकते हैं।


कैसे पहुँचे

प्लेन से- जगदलपुर एयरपोर्ट नारायणपुर से लगभग 123 कि.मी. की दूरी पर है।वहीं स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर नारायणपुर से लगभग 226 कि.मी. की दूरी पर है।


ट्रेन से – जगदलपुर रेलवे स्टेशन निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन है।


सड़क मार्ग से

जिले में यातायात का प्रमुख साधन सडक मार्ग है । NH 49 जिले से होकर गुजरता है।


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