मुंगेली जिला छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। यह बिलासपुर-पंडरिया मार्ग पर बसा हुआ है। इसे तहसील का दर्जा 1860 में मिला था । मुंगेली ज़िला बिलासपुर ज़िले से अलग होकर 1 जनवरी 2012 में अस्तित्व में आया । जिले में डोलोमाइट और चूना पत्थर की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता है। मुंगेली जिले में कई धार्मिक एवं पर्यटन स्थल मौजूद हैं। अचानकमार टाइगर रिजर्व, मदकू द्वीप, राजीव गांधी जलाशय आदि पर्यटकों को खूब आकर्षित करते हैं। मुंगेली के विकास में क्षेत्र के दानवीरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जिले का इतिहास
मुंगेली को तहसील का दर्जा 1860 में मिला था । यह क्षेत्र की सबसे बड़ी तहसीलों में से एक हुआ करता था। करीब 142 वर्ष बाद मुंगेली तहसील से जिला बन सका।
प्रशासनिक जानकारी
जिले का कुल क्षेत्रफल 1,63,942 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार मुंगेली जिले की आबादी 7,01,707 है। ज़िले का मुख्यालय मुंगेली है। जिले के अंतर्गत 4 तहसील, 3 विकासखंड और 711 गांव हैं। इसके अलावा 1 नगरपालिका, 350 ग्राम पंचायत है।
कृषि
मुंगेली जिले की प्रमुख फसलें धान,सोयाबीन और दलहन हैं। इनके अलावा गेंहू, चना, अलसी, मूंगफली, कोदो कुटकी, कुलथी, मकई, ज्वार, मिर्च, गन्ना आदि की भी अच्छी पैदावार यहां होती है।
अर्थव्यवस्था
कृषि, पशुपालन, बागवानी, पारंपरिक और कुटीर उद्योग तथा वन उत्पाद संग्रहण जिले की मुख्य आर्थिक गतिविधियां हैं।
मुंगेली जिला में चूना पत्थर का निक्षेप लोरमी के गोबरीपाठ में है। इसका उपयोग सीमेंट ,उर्वरक ,रसायन केलिए किया जाता है। डोलोमाइट भी यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। मुंगेली आसपास के इलाकों के लिए अनाज की प्रमुख मंडी है।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
प्रमुख काॅलेज
डॉ.जे.पी.मिश्र शासकीय विज्ञान महाविद्यालय मुंगेली
ममतामयी मिनीमाता महाविद्यालय लोरमी राजीव गाँधी शासकीय कला/वाणिज्य महाविद्यालय लोरमी
शासकीय एस.एन.जी महाविद्यालय मुंगेली
शासकीय नवीन महाविद्यालय, सेतगंगा शासकीय वीरांगना अवती बाई लोधी महाविद्यालय पथरिया
सुखनंदन महाविद्यालय मुंगेली
सोनकर कालेज मुंगेली आदि
प्रमुख स्कूल
डेल्ही स्कूल ऑफ एजुकेशन
म्यूनिसिपल हायर सेकण्ड्री स्कूल
सेंट. जेविएर्स हायर सेकण्ड्री स्कूल
विवेकानंद विद्या पीठ
गवर्नमेंट गर्ल्स हायर सेकण्ड्री स्कूल शासकीय हाईस्कूल
शासकीय हायर सेकण्ड्री स्कूल आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
अचानकमार टाइगर रिजर्व
अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व के रूप में होती है। यह टाइगर रिजर्व मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में हुई थी और 2009 में इसे टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया। यह 553.286 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, सियार, चार सींग वाले मृग, चिंकारा आदि जीव और 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। यहां मुख्य रूप से साल, बांस और सागौन के साथ अन्य वनस्पतियां समाहित हैं।
मदकू द्वीप
मदकू द्वीप को यह नाम धार्मिक एवं पवित्र ग्रन्थ मंडुकोपनिषद के रचियता ऋषि माण्डूक्य के नाम की वजह से मिला। शिवनाथ नदी के दो भागों में बंटने से बने इसी द्वीप पर विराजित होकर ऋषि मांडूक्य ने मंडुकोपनिषद की रचना की थी। इसी उपनिषद से लिया गया श्लोक "सत्यमेव जयते" भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है। गहरी नदी से नौका विहार कर द्वीप पर जाना, खुदाई में मिले 10वीं -11वीं सदी के मंदिरों और अन्य कलाकृतियों को देखना या ईसाई मेले का आनंद उठाना, बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
सेतगंगा
यह वस्तुतः एक पवित्र कुंड है 'श्वेतगंगा'। बताया जाता है कि इस कुंड का जल गंगा की तरह शीतल, स्वच्छ और निर्मल था। इसे तपस्वी- साधुओं ने माँ गंगा के नाम पर श्वेतगंगा कहा।जिसका अपभ्रंश होते-होते इसे सेतगंगा कहा जाने लगा। सेतगंगा कुंड के कारण सेतगंगा गांव को धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक ग्राम होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ गुरु घासीदासजी के मंदिर में प्रतिवर्ष जयंती समारोह मनाया जाता है।
खुड़िया बांध (राजीव गांधी जलाशय)
राजीव गांधी जलाशय या खुड़िया बांध छत्तीसगढ़ जिले का सबसे पुराना बांध है। अंग्रेजी शासन काल में तीन पहाड़ियों को जोड़कर यहां बांध बनाने की प्रक्रिया 1927 मे शुरू हुई ,जो तीन साल बाद 1930 मे पूरी हुई। खुड़िया ग्राम में स्थित होने के कारण यह बांध खुड़िया बांध के नाम से पुकारा जाने लगा। बाद में इसका नाम राजीव गांधी जलाशय कर दिया गया।यह बांध अचानकमार वन्य जीव अभयारण्य के बफर जोन के एरिया में स्थित है। यह बांध चारों तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों और जंगल से घिरा हुआ है। मुंगेली के कृषक कृषि के लिए मुख्यतः राजीव गांधी जलाशय पर ही आश्रित है।
शिव घाट
विकासखंड लोरमी में स्थित शिव घाट मुंगेली का एक धार्मिक स्थल है। घाट मनियारी नदी के किनारे है। यहाँ करीब 300 साल पुराना शिव मंदिर है। जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। यहां संक्रांति के समय मेला भी लगता है।मनियारी नदी के किनारे बहुत सुकून मिलता है। यहां लोग घाट पर आकर नदी में स्नान करते हैं और पिकनिक का मजा भी लेते हैं।
कैसे पहुंचें
प्लेन से
मुंगेली से निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर (135 किमी) है।
ट्रेन से
मुंगेली से निकटतम रेलवे स्टेशन बिलासपुर है जो मुंगेली जिले से 50 किमी दूर है और राजधानी रायपुर का स्टेशन मुंगेली जिले से 125 कि.मी. दूर है।
सड़क मार्ग से
राष्ट्रीय राजमार्ग 130 ए मुंगेली जिले से होकर गुजरता है। यह बिलासपुर जिले को मुंगेली से जोड़ता है।