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Mandku Dvip: छत्तीसगढ़ का मदकू द्वीप, जहाँ ऋषि मांडूक्य ने रचा मंडुकोपनिषद, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर द्वीप आपका मन मोह लेगा

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Mandku Dvip: छत्तीसगढ़ का मदकू द्वीप, जहाँ ऋषि मांडूक्य ने रचा मंडुकोपनिषद, प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर द्वीप आपका मन मोह लेगा
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By NPG News

NPG DESK

Chhattisgarh Ka Madku Dweep:; प्रकृति ने छत्तीसगढ़ को अनुपम सौंदर्य से नवाज़ा है। ऐसी ही बेइंतहा खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली से युक्त एक द्वीप है मदकू द्वीप। शिवनाथ नदी के दो भागों में बंटने से बने इस द्वीप की ख्याति इसलिए भी है कि ऋषि मांडूक्य ने इसी स्थल पर विराजित होकर मंडुकोपनिषद की रचना की थी। इसी उपनिषद से लिया गया श्लोक "सत्यमेव जयते" भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है। गहरी नदी से नौका विहार कर द्वीप पर जाना, खुदाई में मिले 10वीं -11वीं सदी के मंदिरों और अन्य कलाकृतियों को देखना या ईसाई मेले का आनंद उठाना, बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।


कहां स्थित है

यह द्वीप राजधानी रायपुर से करीब 80 किमी दूर मुंगेली जिले में स्थित है। शिवनाथ नदी की धारा यहां दो भागों में विभाजित दिखती है। यहाँ खुदाई में 10वीं और 11वीं शताब्दी में निर्मित बहुत से मंदिर मिले हैं जिनमें धूमेश्वर महादेव मंदिर, श्री राम केवट मंदिर, श्री राधा कृष्ण, लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री गणेश और श्री हनुमान को समर्पित ऐतिहासिक मंदिर भी हैं। यहां कुल छह शिव मंदिर और ग्यारह स्पार्तलिंग मंदिर हैं। अध्येताओं के अनुसार रतनपुर के कलचुरी राजा यहां बलि और अन्य अनुष्ठान करते थे।


इन शिलालेखों से मिलती है जानकारी

मदकू द्वीप पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं। तीसरी सदी का एक शिलालेख ब्राम्ही शिलालेख है। और दूसरा शिलालेख शंखलिपि में है। साथ ही प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण शिल्प भी उपलब्ध हैं। सिर विहीन पुरुष की राजप्रतिमा की प्रतिमा भी अद्भुत है। गुप्तकालीन एवं कल्चुरी कालीन प्राचीन मूर्तियाँ भी यहां मिली हैं। कल्चुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य गणेश की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की एक बेहद सुंदर और अनोखी प्रतिमा है।


मदकू द्वीप मेला

हर साल फरवरी महीने में यहां ईसाई मेला लगता है। यह भी एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। मेले के दौरान छत्तीसगढ़ और देश के अन्य हिस्सों के ईसाई यहां कैंपों में रहते हैं और पूजा के लिए मुख्य पंडाल में इकट्ठा होकर प्रार्थना करते हैं।


ऋषि मांडूक्य की वजह से मिला यह नाम

मदकू द्वीप का नाम धार्मिक एवं पवित्र ग्रन्थ मंडुकोपनिषद के रचियता ऋषि माण्डूक्य के नाम से पड़ा। ग्रंथो में उल्लेख मिलता है कि शिवनाथ नदी के यहां से ईशान कोण दिशा में बहने के कारण, ऋषि ने इसी पवित्र जगह पर बैठकर उपनिषद की रचना की। यहां रचना करते हुए ऋषि की एक बेहद सुंदर मूर्ति भी स्थापित की गई है।


कैसे पहुँचे

यहाँ पहुंचने के लिए आप रायपुर एयरपोर्ट आ सकते हैं और फिर कैब लेकर आसानी से मदकू द्वीप पहुंच सकते हैं। या फिर आप बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर उतर कर आगे की यात्रा टैक्सी से कर सकते हैं। सड़क मार्ग से भी यह अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप एनीकेट से होते हुए या नौका विहार कर नदी पार करके मदकू द्वीप पहुंच सकते हैं। जिसका शुल्क प्रति व्यक्ति करीब 100 रुपये है।निश्चय मानिए, इस यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।

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