Make in India scheme: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत बना आत्मनिर्भर, जानें क्या है 'मेक इन इंडिया' योजना, इसके लाभ और उपलब्धियां?
Make in India योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में की थी। इस योजना का मकसद मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। आइए हम आपको बताते हैं योजना के बारे में सभी जरूरी बातें...
रायपुर, एनपीजी डेस्क। मेक इन इंडिया योजना को केंद्र सरकार ने शुरू किया था, जिसका उद्देश्य देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है। ऐसी चीजें जो भारत बाहर से आयात करता है, उन्हें लेकर भी विदेशों पर निर्भरता कम कर उसका प्रोडक्शन देश में ही करना है। साथ ही घरेलू और विदेशी दोनों इन्वेस्टर्स को विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर माहौल उपलब्ध कराना है।
साल 2014 में भारत को विनिर्माण केंद्र (Manufacturing Center) में बदलने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा मेक इन इंडिया स्कीम (Make in India scheme) शुरू की थी। मेक इन इंडिया योजना निवेश, कौशल विकास (Skill Development) और नवाचार (Innovation) को प्रोत्साहित करती है। इसका शुभंकर या लोगो दहाड़ता हुआ शेर है।
देश को मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलना मकसद
जब भारत सरकार ने मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी, तो आत्मनिर्भर भारत एक बड़ा लक्ष्य था। साल 2014 में योजना को शुरू करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस अभियान का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र यानी मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलना है, जिससे घरेलू और विदेशी दोनों ही तरह के निवेशों को बढ़ावा मिले। वह भी न केवल किसी एक खास क्षेत्र में बल्कि हर क्षेत्र में। पिछले 10 सालों में भारत ने 'मेक इन इंडिया' योजना में काफी सफलता पाई है। मेक इन इंडिया कई उद्योगों में फैला हुआ है, जिसमें ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, रक्षा, घरेलू उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा भी शामिल है।
इस योजना का लक्ष्य विदेशी निवेश को आकर्षित करना था। साथ ही औद्योगिकीकरण के साथ ही पहले से मौजूदा उद्योगों का विकास करना भी था। इसके साथ ही मैन्युफैक्चरिंग की बढ़ोतरी को 12 से 14 फीसदी तक हरे साल करने का भी उद्देश्य था। 10 करोड़ अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी करना था। 'मेक इन इंडिया' का एक लक्ष्य निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा देना और एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) को भी बढ़ावा देना था। बता दें कि FDI (Foreign Direct Investment) जो 2014-15 में केवल 45.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, वह 2022 तक 83.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया था।
योजना का लक्ष्य
- विनिर्माण क्षेत्र में 12-14 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि करने का लक्ष्य।
- विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजित करना।
- ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समुचित कौशल का निर्माण।
- घरेलू मूल्य संवर्द्धन और विनिर्माण में तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना।
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करना।
- भारतीय विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना।
मेक इन इंडिया योजना की उपलब्धि और लाभ
- भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है।
- सबसे उत्पादक देशों में से एक।
- अन्य देशों के मुकाबले यहां जनशक्ति पर कम लागत आती है।
- यहां के व्यावसायिक घराने उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से भरोसेमंद तरीकों से और व्यावसायिक रूप से काम करते हैं।
- घरेलू मार्केट में उपभोक्तावाद।
- देश में तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमताएं मौजूद हैं और उनके पीछे वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों का हाथ है।
- विदेशी निवेशकों के लिए बाजार खुला हुआ है, जो अच्छी तरह से विनियमित है।
मेक इन इंडिया का उद्देश्य
- ये योजना भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और विनिर्माण और सेवाओं (Manufacturing and Services) में समर्पित निवेश के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।
- भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर 2014 को शुरू की गई थी।
- योजना के कारण भारत अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ते हुए विदेशी निवेश के मामले में उभरकर दुनिया के सामने आया।
- मेक इन इंडिया के तहत केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार ने भी विभिन्न कार्य योजनाओं को शुरू करने में सहयोग किया है।
- मेक इन इंडिया स्कीम निवेश को बढ़ावा देती है, नवाचार को बढ़ावा देती है, बौद्धिक संपदा की रक्षा करती है।
- योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करती है।
- इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किए गए या उनकी पहचान करके नीतियों की रूपरेखा तैयार की गई है।
- इस योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर को 12-14% प्रति वर्ष तक बढ़ाना है।
- यह योजना 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र से 25% सकल घरेलू उत्पाद के 15-16% के वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद से योगदान का भी लक्ष्य रखती है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत शुरू की गई कुछ प्रमुख योजनाएं
स्किल इंडिया मिशन- स्किल इंडिया मिशन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में भारत की आबादी को कौशल प्रदान करना है। कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर में विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों को लागू करके इस प्रतिशत को बढ़ाना है।
स्टार्टअप इंडिया- इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्टार्टअप के विकास का समर्थन करने, उनके माध्यम से रोजगार पैदा करने और आर्थिक विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) विकसित करना है। स्टार्टअप इंडिया के तहत उद्यमियों के लिए कई छूटें दी गई हैं। स्टार्टअप इंडिया की 19 सूत्रीय कार्ययोजना है, जिनमें से कुछ हैं- स्व-प्रमाणन अनुपालन, स्टार्टअप इंडिया हब के माध्यम से संपर्क का एकल बिंदु, पंजीकरण, अनुपालन दाखिल करने और जानकारी प्राप्त करने के संबंध में मोबाइल ऐप और पोर्टल के साथ प्रक्रियाओं को सरल बनाना, कानूनी सहायता, फास्ट ट्रैकिंग और पेटेंट पंजीकरण शुल्क में 80% की कमी, सार्वजनिक खरीद के नियमों में ढील, आसान और तेज निकासी
डिजिटल इंडिया- डिजिटल इंडिया लोगों को ऑनलाइन कई सेवाओं का लाभ उठाकर भारत को पूरी तरह से डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने पर केंद्रित है। यह लोगों को सस्ती दरों पर इंटरनेट की परेशानी से मुक्त उपयोग करने की सुविधा भी देता है।
डिजिटल इंडिया के तहत ये सुविधाएं हैं-
भारत इंटरफेस फॉर मनी (Bharat Interface for Money-BHIM)- यह यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (Unified Payment Interface-UPI) ढांचे के माध्यम से जल्दी, आसानी से और सरलता से भुगतान करता है। यह देश भर के विभिन्न बैंकों को इंटरनेट के बिना मोबाइल फोन नंबरों का उपयोग करके तत्काल भुगतान और धन संग्रह स्वीकार करने की अनुमति देता है।
Mygov.in- यह लोगों को सरकार की प्रशासन रणनीति पर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति देता है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना- इस योजना का उद्देश्य विभिन्न बैंकिंग सेवाओं जैसे बचत और जमा खातों, क्रेडिट, बीमा, पेंशन को सभी के लिए आसानी से सुलभ बनाना है। लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच वित्तीय समावेशन अंतर को समाप्त करना है।
ये रुपे योजना के तहत 1 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी देती है। इस योजना के तहत लाभार्थियों को एक ओवरड्राफ्ट सुविधा भी मिलती है।
स्मार्ट सिटीज- स्मार्ट सिटीज आर्थिक विकास को गति देने के लिए भारतीय शहरों में बदलाव लाने के लिए शुरू की गई योजना है। इसके माध्यम से स्थानीय आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। सरकार का लक्ष्य देश भर में 100 स्मार्ट सिटी बनाना है। इसे 25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। इसमें पानी, बिजली की आपूर्ति, स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कुशल शहरी गतिशीलता और सार्वजनिक परिवहन, किफायती आवास, मजबूत आईटी कनेक्टिविटी और डिजिटलीकरण शामिल हैं।
अमृत- अमृत का पूरा नाम कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन है। ये देश भर में बुनियादी सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण की योजना है।
स्वच्छ भारत मिशन- यह योजना देश बुनियादी स्वच्छता के लिए है। कार्यक्रम के तहत करोड़ों शौचालयों का निर्माण कराया गया और देश को खुले से शौच में मुक्त बनाया गया।
सागरमाला- सागरमाला बंदरगाह से संबंधित योजना है। इसका उद्देश्य देश में बंदरगाहों के विकास और बंदरगाह से संबंधित विकास को बढ़ावा देकर देश के रसद क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ाना है।
'मेक इन इंडिया' के तहत इन सेक्टर्स पर किया जाता है फोकस
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
- एयरोस्पेस और रक्षा
- ऑटोमोटिव और ऑटो कंपोनेंट्स
- फार्मास्युटिकल्स और मेडिकल डिवाइस
- बायो टेक्नोलॉजी
- कैपिटेल गुड्स
- वस्त्र और परिधान
- केमिकल और पेट्रो केमिकल
- इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम)
- चमड़ा और जूते
- खाद्य प्रसंस्करण
- रत्न और आभूषण
- शिपिंग
- रेलवे
- निर्माण
- नई और नवीकरणीय ऊर्जा
- सूचना प्रौद्योगिकी
- पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सर्विस
- मेडिकल वैल्यू ट्रैवल
- परिवहन और लॉजिस्टिक सर्विस
- अकाउंटिग और फाइनेंस सर्विस
- ऑडियो विजुअल सर्विसलीगल सर्विस
- संचार सेवाएं
- निर्माण और संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं
- एनवायरनमेंट सर्विस
- फाइनेंशियल सर्विस
- एजुकेशन सर्विस