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Life Facts Thought: खराब समय में धैर्य और सुखमय जीवन के लिए क्‍या है जरूरी, जानते हैं चाणक्य के अनुसार ये सत्य...

Life Facts Thought: खराब समय में धैर्य और सुखमय जीवन के लिए क्‍या है जरूरी, जानते हैं चाणक्य के अनुसार ये सत्य...
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By NPG News

Life Facts Thought - नीति शास्त्र के ज्ञाता आचार्य चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विख्‍यात हुए,उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से सभी लोग प्रभावित थे। उन्‍होंने नीति शास्त्र के माध्‍यम से अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर जीवन की परिस्थितियों का सामना करने और सुख-दुख में विचलित न होने के लिए कई महत्‍वपूर्ण बातों की ओर ध्‍यान दिलाया है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार एक फूल में सुगंध है, तिल में तेल है, लकड़ी में अग्नि है, दूध में घी है इसी प्रकार अगर आप ठीक से देखें तो हर व्यक्ति में परमात्मा है।

चाणक्य नीति बताती है कि विपरीत परिस्थितियों का कैसे सामना किया जाए और सुखमय जीवन के लिए क्‍या है जरूरी। आचार्य चाणक्य द्वारा वर्णित नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। आप भी जानिए ये खास बातें-

कुसंगति से बदनामी

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार हाथी से हजार गज की दूरी रखें। घोड़े से सौ गज की। इसी तरह सींग वाले जानवर से दस गज की दूरी जरूरी है, लेकिन दुष्ट जहां हो उस जगह से ही निकल जाएं। किसी दुष्ट स्त्री या पुरुष की मदद करने पर भी हमें कोई यश नहीं मिलता है। बल्कि घर-परिवार और समाज में अपमानित होना पड़ सकता है। जो लोग अधर्म कर रहे हैं, उनकी संगत में रहने पर हमारा मन भी मलिन हो सकता है। इसीलिए ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए।

ऐसे लोगों के बहुत से रिश्तेदार होते हैं

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार वह व्यक्ति जिसके पास धन है, उसके पास मित्र और सम्बन्धी भी बहुत रहते हैं। वही इस दुनिया में टिक पाता है और उसी को इस दुनिया में सम्‍मान मिलता है।

चाणक्‍य नीति कहती है कि एक शक्तिशाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करें। दुष्ट व्‍यक्ति का प्रतिकार करें और जिनकी शक्ति आपकी शक्ति के बराबर है, उनसे समझौता विनम्रता से या कठोरता से करें।

दुष्टों से दूर रहें तो अच्छा रहेगा

चाणक्‍य के अनुसार दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं। जैसे मोर मेघ गर्जना से खुश होते हैं, इसी तरह साधु दूसरों की सम्पन्नता देखकर खुश होते हैं, लेकिन दुष्ट लोग दूसरों की विपदा देखकर प्रसन्‍न होते हैं।

हमेशा दुखी रहने की प्रवृति परेशान कर सकती है

चाणक्‍य नीति के अनुसार जिस प्रकार एक फूल में सुगंध है, तिल में तेल है, लकड़ी में अग्नि है, दूध में घी है, गन्ने में गुड़ है, इसी प्रकार अगर आप ठीक से देखें तो हर व्यक्ति में परमात्मा है।

जो व्यक्ति हमेशा दुखी और असंतुष्ट रहता है, उसकी संगत भी हमारी परेशानियां बढ़ा सकती है। ऐसे लोगों का जीवन चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो जाए ये हमेशा दुखी रहते हैं। ये लोग दूसरों के सुख से जलन रखते हैं और दूसरों को कोसते रहते हैं। ऐसे लोगों से भी हमें दूरी बनाकर रहना चाहिए।

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