Kotumsar cave, Jagdalpur: प्रकृति का चमत्कार, जहां चूना पत्थर से खुद-ब-खुद बनते हैं नित नए आकार, अंधी मछलियां भी हैं आकर्षण का केन्द्र

NPG DESK
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से बेहद समृद्ध है। प्रकृति प्रेमियों के लिए ऐसा ही एक दुर्लभ दृश्य उपलब्ध है कोटमसर गुफा के भीतर। यह भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है और इसकी तुलना विश्व की सबसे लम्बी गुफा अमेरिका की 'कर्ल्सवार ऑफ़ केव ' से की जाती है। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित इस गुफा की सबसे खास बात है यहां चूना पत्थर से बनी विभिन्न आकृतियां और अंधी मछलियां। आइए इस आश्चर्यजनक प्राकृतिक स्थल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
*कहाँ है कोटमसर गुफा और क्यों खास है
कोटमसर गुफा जगदलपुर से लगभग 29 किमी दूर कांगेर वेली राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। राजधानी रायपुर से यह करीब 275 किलोमीटर की दूरी पर है। यह प्राकृतिक भूमिगत गुफा 60 - 120 फिट गहरी है और इसकी लम्बाई 4500 फिट है।इस गुफा की खोज 1950 के दशक में भूगोल के प्रोफेसर डॉ. शंकर तिवारी ने कुछ स्थानीय आदिवासियों की मदद से की थी ।इस गुफा को पहले गोपनसर ( छिपी हुई गुफा )कहते थे, बाद में कोटमसर गाँव के नजदीक होने से यह कोटमसर गुफा के नाम से प्रसिद्ध हुई।
कोटमसर गुफा अपने आप में रोचक इसलिए है क्योंकि इसके अंदर की बनावट बहुत ही खूबसूरत है। गुफा के अंदर चूना पत्थर से बनी आकृतियां हैं। दरअसल चूना पत्थर, कार्बनडाईऑक्साइड और पानी की रासायनिक क्रिया के कारण उपर से नीचे की ओर कई सारी प्राकृतिक संरचनाएं बन गई है। ये धीरे- धीरे बनती और बढ़ती भी जा रही हैं।गुफा के भीतर सूर्य की रौशनी बिल्कुल भी नहीं पहुंचती है। टाॅर्च की रौशनी से देखने पर आप इनमें हाथी की सूंड, शेर, टाइटेनिक जहाज या जो भी आकृति आप खोज पाएं,उन्हें देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। यहां जो स्तंभ बने हैं, वे भी प्राकृतिक रूप से बने हैं।यही आश्चर्यजनक बनावटें पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
*अंधी मछलियां मिलती हैं केवल यहीं
पूरे भारत में कोटमसर गुफा ही है जिसमें रंग-बिरंगी अंधी मछलियां पाई जाती हैं। इन मछलियों को खोजकर्ता प्रोफेसर शंकर के नाम पर कप्पी ओला शंकराई कहते हैं। इस भूमिगत गुफा में करोड़ों वर्षो से सूर्य की किरणें नहीं पहुंच पाई हैं जिससे यहाँ घनघोर अंधेरा रहता हैं। मछलियों की दृष्टि का बरसों से उपयोग नहीं हुआ है। कहा जाता है कि इसी के कारण यहां की मछलियों की आखों पर एक पतली-सी झिल्ली चढ़ चुकी है, जिससे वे पूरी तरह अंधी हो गई हैं।
* लोगों की धार्मिक आस्था भी जुड़ी है कोटमसर गुफा से
कोटमसर गुफा के साथ ऐतिहासिक और धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई है।शोधकर्ताओं के अनुसार यहां प्रागैतिहासिक काल में आदिमानव निवास करते थे। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान इस गुफा में 12 वर्ष वास किया था। इस गुफा के सबसे निचले हिस्से में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, ऐसी मान्यता है कि इन्हें भगवान् राम ने अपने वनवास काल के समय स्थापित किया था। साथ ही यह भी कहा जाता हैं कि पांडवों ने भी यहां अपना वनवास काटा था।
* कोटमसर गुफा को देखने का समय
अगर आप कोटमसर गुफा देखने का मन बना रहे हैं तो आपको बता दें कि ठंड का मौसम ही इसे देखने का सबसे अच्छा मौसम है। इस गुफा को मानसून के दौरान बंद कर दिया जाता है क्योंकि इस समय गुफा में पानी भरने और अन्य जहरीले जीव जंतु से खतरा रहता है।
साथ ही आपको यह भी बता दें कि गुफा में प्रवेश करने से पहले आपके पास एक अधिक रोशनी वाला टॉर्च होना चाहिए ताकि आप इस गुफा के अंदर की खूबसूरती को निहार सकें क्योंकि गुफा के भीतर घोर अंधकार रहता है। इसके अलावा आपके पास अच्छे जूते होने चाहिए ताकि गुफा के अंदर फिसलन से बच सकें।
*कोटमसर गुफा में लगने वाले शुल्क और नियम
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर जाने के लिए आपको एक जिप्सी लेनी होगी, जिसके लिए आपको 1800 रुपये देने होंगे। इसके अलावा गाइड चार्ज 300 रुपये है। गाइड आपको कांगेर घाटी नेशनल पार्क की सैर जानकारियों के साथ कराएगा। गुफा के अंदर प्रवेश करने के लिए शुल्क अलग है।
साथ ही आप वीडियो और फोटो शूट करने के लिए कैमरा ले जा रहे हों तो उसका भी अलग से शुल्क लिया जाता है।
यहाँ जाने के लिए परमिट लगता है। यह परमिट कांगेर घाटी राष्ट्रिय उद्यान में ही बन जायेगा।
* कैसे पहुँचे
वायु मार्ग द्वारा : कांगेर घाटी नेशनल पार्क पहुंचने का सबसे बेहतरीन रास्ता है कि आप रायपुर एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट लें और यहां से कांगेर घाटी नेशनल पार्क तक के लिए कैब करें। रायपुर एयरपोर्ट से इसकी दूरी करीब 300किमी है।
रेल मार्ग द्वारा : कांगेर घाटी नेशनल पार्क के लिए कोई सीधी ट्रेन उपलब्ध नहीं है। हालांकि, आप इसके नज़दीक स्थित जगदलपुर तक ट्रेन ले सकते हैं। नेशनल पार्क और जगदलपुर की दूरी 30 किमी है।
सड़क मार्ग द्वारा : सड़क मार्ग द्वारा कांगेर नेशनल पार्क आसानी से पहुंच सकते हैं।क्योंकि जगदलपुर कई बड़े शहरो से जुड़ा हुआ है आप वाहनों की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं। एक बार नेशनल पार्क पहुंचने के बाद आप गुफा भी देख सकते हैं और यहां जगलों में ट्रैक भी कर सकते हैं।
* कहाँ ठहरें
जगदलपुर में पीडब्लूडी एवं वन विभाग के सरकारी गेस्ट हाउस है | इसके अलावा पीडब्ल्यूडी का सर्किट हाउस भी है। पर्यटन विभाग का दण्डामी माडिया रिसोर्ट है। बहुत से सुविधासम्पन्न निजी होटल भी बजट के अनुसार चयन के लिए उपलब्ध हैं।
* कोटमसर गुफा के आसपास देखने योग्य जगहें
कांगेर घाटी नेशनल पार्क और आसपास देखने के लिए बहुत ही खूबसूरत नज़ारे उपलब्ध हैं। आप एक बार यहां आएंगे तो आपका वापस जाने का दिल ही नहीं करेगा। आपको इतना आनंद और सुकून यहां मिलेगा। कुछ खास जगहें,जो आपको ज़रूर देखना चाहिए-
-तीरथगढ़ जलप्रपात – तीरथगढ़ वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर कांगेर नेशनल पार्क में है। कांगेर नदी की सहायक नदी मुनगा और बहार नदी इस खूबसूरत झरने का निर्माण करती है। इसकी ऊंचाई लगभग 300 फीट है और यह छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यह जलप्रपात पहाड़ी की सीढ़ी नुमा प्राकृतिक संरचनाओं पर गिरता है इस कारण पानी दूधिया दिखाई देता हैं जो देखने में बहुत ही मनमोहक होता है।
-चित्रकोट जलप्रपात –इसे भारत का नियाग्रा फॉल्स कहा जाता है। भारत का सबसे चौड़ा यह जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है। जिसकी चौड़ाई 985 फीट और ऊंचाई 90 फीट है।इस जलप्रपात की विशेषता यह है कि वर्षा के दिनों में यह रक्त लालिमा लिए हुए होता है, तो गर्मियों की चाँदनी रात में यह बिल्कुल सफ़ेद दिखाई देता है।ऊँचाई से गिरते हुए खूबसूरत दृश्य का निर्माण करता है जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से इसकी ओर खींचे चले आते हैं। इस झरने का सुंदरतम और थोड़ा डराने वाला रूप मानसून में देखने को मिलता है जब इंद्रावती नदी लबालब भरी होती है।
-चित्रधारा जलप्रपात : यह जलप्रपात मौसमी जलप्रपात है जो केवल बरसात की मौसम में अपनी ख़ूबसूरती से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह बस्तर क्षेत्र के सबसे खूबसूरत झरनों में से एक है। यह जगदलपुर से केवल 19 किलोमीटर की दूरी पर है।
-कैलाश गुफा-कैलाश गुफा इस क्षेत्र की सबसे पुरानी गुफा है। यहाँ भी चूना पत्थर से बनी संरचनाएं हैं। मानसून के दौरान, कैलाश गुफा बंद हो जाती है और हर साल 16 अक्टूबर से 15 जून तक फिर से खोल दी जाती है।
इसके साथ ही क्योंजरधर और भैंसाधर मगरमच्छ पार्क के लिए लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
आप कोटमसर गुफा देखने का प्रोग्राम बनाएं तो 2-3 दिन जगदलपुर में ठहरने के हिसाब से जाएं। क्योंकि यहां आसपास इतनी सुंदर लोकेशन हैं कि आपको अधिक समय की जरूरत महसूस अवश्य होगी। प्रकृति प्रेमियों के लिए ये टूर अविस्मरणीय रहने वाला है।