आदिवासी बहुल कोरिया जिला छत्तीसगढ़ के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। यह जिला 25 मई 1998 में अस्तित्व में आया। मध्य प्रदेश से लगी हुई सबसे लंबी सीमा इसी जिले की है। जिले में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। कर्क रेखा इस जिले से होकर गुजरती है। जिले में एक से एक खूबसूरत जलप्रपात हैं और अकुली नाला जलप्रपात को तो जिले का एयरकंडीशनर भी कहा जाता है। एशिया की सबसे बड़ी सुरक्षित भूमिगत खदान यहां 'चरचा' में है। छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख नदी हसदो का उद्गम यहीं से हुआ है। यही नदी कोरबा विद्युत संयत्र को पानी उपलब्ध कराती है। जिले में बहुत से मौर्यकालीन पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां की धरती कोयले, चूना पत्थर और रेड ऑक्साइड से समृद्ध है और यही इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार भी हैं। कोरिया जिले को और करीब से इस लेख के माध्यम से जानिए।
जिले का इतिहास
बताया जाता है कि बलेंद कोरिया के मूल शासक थे।सरगुजा ज़िले के भैयाथान ब्लॉक मे कुदेरगढ़ में स्थित देवी महामाया का मंदिर उनके द्वारा बनाया गया था। बाद में कोल राजा और गोंड ज़मीनदारों ने मिलकर बलेंद शासकों को परास्त कर दिया था। कोरियागढ़ इन्हीं की राजधानी थी। वहीं एक मत यह भी है कि अग्निकुल चौहान राजा के चचेरे भाइयों दलथंबन साही और धारामल साही ने बलेंद शासक को पराजित कर सत्ता ग्रहण की। इनके वंशजों ने लंबे समय तक कोरिया पर शासन किया।
आधुनिक काल की बात करें तो जनवरी 1925 में राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने यहां शासन किया। वे बहुत ईमानदार और सरल थे। उन्होंने हमेशा खुद को राज्य का संरक्षक माना और कोरिया के विकास के लिए बहुत से कार्य किए।भारत के स्वतंत्र होने तक उन्होंने कोरिया पर शासन किया। 15 दिसंबर 1947 को राजा रामानुज प्रतापसिंह देव ने राज्य को मध्य प्रांत और बरार मे विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किया और अंत में 1 जनवरी 1948 को राज्य का मध्य प्रांत और बरार के साथ विलय कर दिया गया। मध्य प्रदेश के गठन पर यह क्षेत्र उसके अंतर्गत आया। नया कोरिया जिला 25 मई 1998 को अस्तित्व में आया, जब इसे सरगुजा जिले से अलग किया गया। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के गठन के बाद, कोरिया जिला इसका हिस्सा बन गया।
जिले की प्रशासनिक जानकारी
कोरिया जिले का क्षेत्रफल 5978 वर्ग किमी है। 2011 की जनगणना के अनुसार कोरिया जिले की आबादी 6,58,917 है। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर है। इसके अंतर्गत 8 तहसील, 5 विकासखंड, 1 नगरनिगम, 3 नगर पालिका परिषद और 638 गांव हैं।
कृषि
गेंहू, अरहर, ज्वार, मक्का, चना, सरसों, तिल, अलसी, गन्ना, कोदो-कुकी, धान आदि का उत्पादन यहां परंपरागत रूप से होता है। इसके अलावा हल्दी, लेमन ग्रास, खस आदि के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
अर्थव्यवस्था
खनिज संसाधन और वन उत्पाद कोरिया जिले की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। जिले में उच्च ग्रेड के कोयले का विशाल भंडार है। मुख्य कोयला बेल्ट हसदो बेसिन में है। प्रमुख भंडार चिरमिरी, बैकुंठपुर, झगराखंड, चरचा,कटकोना,पंडोपारा और सोनहत में हैं। अन्य भंडार अमृतधारा, गुटरा,किलहरी, पत्थरगाँव और दमुज-लब्जी में हैं। यहां एस.ई.सी.एल द्वारा उत्पादन कार्य किया जाता है।
इसके अलावा जिले में चूना पत्थर, आग मिट्टी और लाल ऑक्साइड के छोटे भंडार भी हैं। कोरिया की महिलाएं रेशम धागे के उत्पादन में संलग्न हैं।
जिले के प्रमुख शैक्षणिक संस्थान
काॅलेज
श्रीमती कुंवर बेन पटेल गर्ल्स कॉलेज
शासकीय आई.टी.आई.
शासकीय विवेकानन्द पी.जी. कॉलेज
शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज
शासकीय डाइट
शासकीय कृषि महाविद्यालय
शासकीय आर.पी. सिंह देव पी.जी. कॉलेज
मार्गदर्शन इंस्टीटयूट कॉलेज ऑफ नर्सिंग
के.बी. पटेल नर्सिंग कॉलेज
आर.एन.एस बी.एड. कॉलेज आदि
स्कूल
जवाहर नवोदय विद्यालय
स्वामी आत्मानंद गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल
शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल
द गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल
एकेडमिक हाइट्स पब्लिक स्कूल आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान
यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा और खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यान है। यह कोरिया जिले के बैकुंठपुर सोनहत मार्ग पर 5 किमी की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना सन् 2001 में की गई थी।इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 1440.705 वर्ग कि.मी. है।पहले यह संजय राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश का हिस्सा था। इस राष्ट्रीय उद्यान से हसदो, गोपद एवं अरपा नदी बहती है। अरपा नदी का उद्गम इस राष्ट्रीय उद्यान के अंदर ही है।
यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, सियार, सांभर, बाइसन,बार्किंग हिरण, साही, धारीदार हाइना आदि वन्य जीव और विभिन्न आकर्षक पक्षी मिलते हैं जिनमें हुडेड ओरियल, रैकेट पूंछ ड्रोंगो, भारतीय रूफुस-तड़पाइ, लेसर एडजुटेंट, लाल सिर वाला गिद्ध, सारोंस गिद्ध, भारतीय सफेद पूंछ वाला गिद्ध, मिस्र का गिद्ध आदि शामिल हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान के अंदर 35 राजस्व ग्राम हैं जिनमें मुख्यतः चेरवा, पांडो, गोड़, खैरवार आदि जनजातियॉं निवास करती हैं।
अमृतधारा जलप्रपात
अमृतधारा जलप्रपात हसदो नदी पर स्थित है। इस झरने की ऊँचाई 90 फीट है। चहुंओर हरियाली से भरे सुरम्य वातावरण के बीच इस सुन्दर झरने के करीब पिकनिक मनाने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। पर्यटन विभाग की ओर से जलप्रताप के आसपास पर्यटकों के लिए काफी सुविधाएं विकसित की गई। जलप्रपात के पास ही प्राचीन शिव मंदिर हैं जहाँ हर वर्ष कोरिया जिला प्रशासन द्वारा अमृतधारा महोत्सव आयोजित किया जाता है।
रामदहा जलप्रपात
यह जलप्रपात बनास नदी पर बना हुआ है। बैकुंठपुर से 110 किमी दूर, भरतपुर गांव के करीब यह झरना है। इसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट और चौड़ाई लगभग 50 से 60 फीट है। घने जंगलों से घिरे इस जलप्रपात में ऊंची-ऊंची चट्टानों से धड़धड़ाते हुए जब पानी नीचे गिरता है, तब उसे देखकर पर्यटकों का मन एकदम प्रसन्न हो जाता है। यहाँ रेत का किनारा भी है। लोग झरने में नहाने का मज़ा लेते हैं।
चिरमिरी
महानदी की सहायक नदी हसदो के तट पर बसे चिरमिरी को ऊपरवाले ने प्राकृतिक सौंदर्य से जी भर कर नवाज़ा है।भरतपुर जिले में आने वाला चिरमिरी एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। ट्रेकिंग के लिए ये कोरिया जिले की सबसे अच्छी जगह है। जहां आपको एडवेंचर का अहसास होगा और सुकून भी मिलेगा। यहां जगन्नाथ मंदिर भी देखने योग्य है। ये मंदिर पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर जैसा ही दिखता है।
गौराघाट वाॅटरफाॅल
गौराघाट वॉटरफॉल हसदो नदी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह वॉटरफॉल काफी ऊंचा है और करीब 60 फीट की ऊंचाई से यहां पानी गिरता है। पिकनिक या फिर वीकेंड पर छुट्टियां बिताने के लिए यह जगह बहुत सुंदर है। मानसून के मौसम में यह बेहद खूबसूरत दिखता है।
आवागमन
प्लेन से
विवेकानंद हवाई अड्डा रायपुर, निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा है।
सड़क मार्ग
यह कटनी-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 43 पर स्थित है। आसपास के शहरों से भी सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी अच्छी है।
ट्रेन से
बैकुंठपुर रेल्वे स्टेशन प्रमुख रेलवे स्टेशन है। निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन अनुपपुर में है। अनूपपुर जिला बैकुंठपुर से 125 किमी दूर है जिसकी देश के मुख्य शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है।