जशपुर छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी भाग में झारखंड से लगा आखिरी जिला है। जशपुर को साफ सुथरे पर्यावरण वाले जिले के रूप में जाना जाता है। जशपुर के सोगड़ा, नारायणपुर और गम्हारिया में अघोरेश्वर भगवान राम का आश्रम है, जहां देश के कोने कोने से लोग आते हैं।
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च यहां कुनकुरी में स्थित है। जशपुर में चाय के बागान हैं। यहाँ के सेब, नाशपाती, काजू, लीची और स्ट्राॅबेरी की डिमांड अब देश भर में होने लगी है। वहीं टाऊ तो चीन-तिब्बत आदि को निर्यात भी किया जा रहा है। यहाँ की भूमि में बाॅक्साइट का अच्छा भंडारण है। जिले के तपकरा को नागों की अधिकता के कारण 'छत्तीसगढ़ का नागलोक' कहा जाता है। कैलाश गुफा, फूलों की घाटी 'लोरी', बादलखोर अभ्यारण्य आदि भी पर्यटकों खींचते हैं। जशपुर के बारे में विस्तार से इस लेख में पढ़िए।
जशपुर जिले का इतिहास
पहले जशपुर एक रियासत हुआ करती थी।बताया जाता है कि 18 वीं शताब्दी के मध्य तक क्षेत्र पर डोम राजवंश का शासन था। सुजन राय ने आखिरी डोम शासक रायबन को हराया। एक नया राज्य 'जशपुर' उन्हीं के द्वारा स्थापित किया गया था। आज का जशपुर शाही परिवार इसी वंश का है।
दस्तावेज बताते हैं कि आजादी से पूर्व जशपुर राजा ने भोंसले शासन की सर्वोपरिता को स्वीकार किया। भोंसले के शासनकाल के दौरान, 1818 में, कुशल प्रशासन के उद्देश्य से जशपुर को सरगुजा के अंतर्गत लाया गया।
1950 तक जशपुर को छोटानागपुर राज्य में एक रियासत के रूप में शामिल किया गया था, जिसे बंगाल सरकार द्वारा प्रशासित किया जाता था। नवंबर, 1956 को जब मध्य प्रदेश का गठन किया गया, तो जशपुर इसका हिस्सा बन गया। उस समय यह क्षेत्र रायगढ़ जिले के अंतर्गत आता था। मध्य प्रदेश शासन द्वारा 22 मई, 1998 को 16 जिलों के निर्माण का ऐलान किया। इसी कड़ी में जशपुर जिले का गठन 25 मई 1998 को हुआ। कालांतर में छत्तीसगढ़ का गठन होने पर जशपुर इसका हिस्सा बना।
जिले की प्रशासनिक जानकारी
जशपुर जिले का गठन 25 मई 1998 में हुआ। जिले का क्षेत्रफल 5,838 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 8, 51,669 है। इसके अंतर्गत 9 तहसील, 8 विकासखंड और एक नगर निगम परिषद है। जशपुर नगर जिले का मुख्यालय है।
कृषि
जशपुर की बड़ी आबादी कृषि कार्य में संलग्न है।चावल की कई किस्में यहां पैदा होती हैं जिसमें सुगंधित चावल भी शामिल है। यहाँ दालें, मक्का, रामतिल, गेहूं आदि की भी अच्छी पैदावार होती है। जिले को नई पहचान अपनी बागवानी से मिली है। आम, लीची, नाशपाती, काजू, स्ट्रॉबेरी, के साथ यहां टमाटर, मिर्च, हरी सब्जियों की बंपर पैदावार हो रही है।
अर्थव्यवस्था
जशपुर के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 42% वनाच्छादित हैं। जिले के प्रमुख वन उत्पादन हैं – तेंदु पत्ता, चिरौन्जी, शतावर, साल, हर्रा, लाख, मुसली, तेजपत्ता, भूंई नीम, कियोकंद, भूंई आंवला, काली हल्दी, हड़जोड़ ,पुनर्नवा आदि। वनोत्पाद और बागवानी इसकी आर्थिक गतिविधियों का आधार हैं।
जशपुर की नाशपाती, सेब, स्ट्राबेरी, टाऊ देश-दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। 'जशपुर काजू' ब्रांड की अच्छी पूछ-परख है। साथ ही
जशपुर में चाय बागान हैं। यहाँ चाय की प्रोसेसिंग भी होती है। अब भारत भर में जशपुर की चाय पसंद की जाने लगी है।
जशपुर में बाॅक्साइट के भंडार हैं। यहां खुड़िया पहाड़, पंडरापाट और दातूनपानी क्षेत्रों में बाॅक्साइट का भंडारण पाया गया है।
इसके अलावा यहां टाइल्स एवं ब्रिक्स इंडस्ट्री, राइस मिल, पोहा मिल, फ्लैक्स प्रिंटिंग और डिजाइनिंग, क्रशिंग इंडस्ट्रीज, मिर्च प्रोसेसिंग आदि अनेक उद्योग हैं।
जिले के प्रमुख शिक्षण संस्थान
प्रमुख काॅलेज
श्री रामेश्वर गहिरा गुरु संस्कृत महाविद्यालय, जशपुर
शासकीय विजयभूषण सिंहदेव स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, जशपुरनगर
शासकीय राम भजन राय एनईएस पीजी कॉलेज, जशपुर नगर
शासकीय बाला साहब देशपांडे कॉलेज शासकीय पॉलिटेक्निक, जशपुर
लोयोला कॉलेज कुनकुरी
ठाकुर शोभा सिंह सरकार कॉलेज,पत्थलगांव
गुरूकुल कला वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय, पत्थलगांव आदि
प्रमुख स्कूल
सैंट्रल स्कूल, जशपुर
सरस्वती शिशु मंदिर
गवर्नमेंट ब्वायज़ हायर सेकंडरी स्कूल
MLB गर्ल्स स्कूल
डीपीएस हायर सेकंडरी स्कूल
केंद्रीय विद्यालय
होली क्रॉस इंग्लिश मीडियम स्कूल,
सेंट पाॅल्स इंग्लिश मीडियम स्कूल आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
कैलाश गुफा
कैलाश गुफा भ्रमण के लिए जशपुर की ही नहीं छत्तीसगढ़ की भी एक बहुत खूबसूरत जगह है। यह समरबार संस्कृत महाविद्यालय के पास स्थित है।कैलाश गुफा का निर्माण पहाड़ियों को काटकर बड़ी ही खूबसूरती के साथ किया गया है जिसका श्रेय पूज्य गहिरा गुरु जी महाराज को जाता है। यह उनकी तपोभूमि थी और उन्होंने ही अपने मित्रों के सहयोग से इसे इस तरह बनवाया कि आमजन यहां आ सकें। यहां एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। गुफा द्वार पर चौबीसों घंटे पानी रिसता रहता है जिसकी बौछारों से आपका तन-मन खिल उठता है। महाशिवरात्रि पर यहां विशाल मेला लगता है।
महागिरजाघर कुनकुरी
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा महागिरिजाघर यानि चर्च जशपुर में स्थित है। इसका निर्माण 1962 ई. में आरम्भ हुआ था और श्रद्धालुओं के लिए इसे 27 अक्टूबर 1979 को खोला गया था। इस चर्च में लोहे के सात पवित्र चिन्ह बने हुए हैं। चर्च में सात छतें हैं जो एक ही बीम पर टिकी हुई हैं। चर्च के अनुसार इसका अर्थ यह है कि सभी मानवों को एक ईश्वर ने संभाला हुआ है। इसका अर्द्धगोलाकार स्वरूप ऐसा लगता है जैसे प्रभु यीशू ने इंसानों के लिए बांहें खोल रखी हैं। इस विशाल चर्च में एक साथ 10 हजार लोग प्रार्थना कर सकते हैं। प्रतिवर्ष लाखों लोग यहां प्रार्थना के लिए आते हैं।
रानी दाह जलप्रपात
रानी दाह जलप्रपात शहर का एक मुख्य जलप्रपात और पर्यटन स्थल है। घने जंगल के बीच स्थित इस जलप्रपात में चट्टानों के ऊपर से बहता पानी बहुत ही सुंदर लगता है। यहाँ प्रशासन ने वाॅच टाॅवर बनाए हैं जिन पर से आप जलप्रपात का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। नीचे की तरफ जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। आप यहां पिकनिक का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।
बादलखोल वन्यजीव अभ्यारण
बादलखोल वन्य जीव अभ्यारण जशपुर से 90 किलोमीटर दूर है।यहां पर आपको हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, जंगली भालू, जंगली कुत्ते आदि जंगली जानवर देखने के लिए मिलेंगे। यहां पर मिश्रित वन हैं। सर्वत्र आपको हरियाली और पौधों की विभिन्न प्रजातियां देखने के लिए मिलेंगी।
माता खुड़ियारानी धाम
माता खुड़ियारानी धाम जशपुर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां पर एक गहरी अंधेरी गुफा है। जिसके अंदर माता खुड़ियारानी की मूर्ति के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां अंदर एक झरना भी है। घने जंगल के बीच माता खुड़ियारानी धाम पहुंचना आसान नहीं है। आपको ट्रेकिंग का भी अच्छा खासा अनुभव यहां मिलेगा। दूर दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।
कोटेबिरा एब नदी
जशपुर की कोटेबिरा एब नदी बहुत खूबसूरत है। नज़दीक एक सुंदर पहाड़ी भी है। पर्यटकों को यह आकर बहुत सुकून मिलता है। नदी के पास ही हर वर्ष भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में पर्यटक जशपुर की परंपराओं और संस्कृति की शानदार झलक देख सकते हैं।
कैसे पहुँचे
प्लेन से
जशपुर के निकटतम हवाई अड्डा रांची, झारखंड में स्थित है। जहां देश के प्रमुख शहरों से फ्लाइट आती हैं। यदि आप रायपुर के विवेकानंद हवाई अड्डे पर उतर रहे हैं तो यहां से भी आसानी से सड़क मार्ग से करीब 450 किमी दूर जशपुर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से
जशपुर के निकटतम रेलवे स्टेशन रायगढ़ और रांची हैं। रायगढ़ स्टेशन रेलवे नेटवर्क द्वारा भारत के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है।
सड़क से
राष्ट्रीय राजमार्ग 78 और 43 यहां से गुजरते हैं | अंतर राज्यीय सड़कों का भी अच्छा नेटवर्क है।