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Prime Minister Van Dhan Yojana: जानिए क्या है केंद्र सरकार की वन धन योजना, इसका लाभ लेकर कैसे आदिवासी बदल सकते हैं अपनी तकदीर ?

प्रधानमंत्री वन धन योजना 14 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास करना है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे इस योजना का उद्देश्य, पात्रता और खास बातें..

Prime Minister Van Dhan Yojana: जानिए क्या है केंद्र सरकार की वन धन योजना, इसका लाभ लेकर कैसे आदिवासी बदल सकते हैं अपनी तकदीर ?
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By Pragya Prasad

रायपुर, एनपीजी डेस्क। प्रधानमंत्री वन धन योजना 14 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास करना है। वन धन योजना का उद्देश्य आदिवासियों के लिए आजीविका के साधन पैदा करना और उन्हें उद्यमियों में बदलना है। इसके अलावा वनाच्छादित जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों (VDVK) के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना है।

वन धन विकास केंद्र की भी स्थापना

इस योजना के तहत केंद्र सरकार देश के जनजातीय क्षेत्रों में 50 हजार ‘वन धन विकास केंद्र’ स्थापित कर रही है, ताकि वनोपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके।


वनवासी अपनी आजीविका के लिए भी जंगल पर निर्भर

भारत में इसके भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 21.67 फीसदी वन कवर क्षेत्र (इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019) है और 100 मिलियन वनवासी भोजन, आश्रय, दवाओं और नकद आय के लिए लघु वनोपज पर निर्भर हैं। हालांकि शहरों का लगातार हो रहे विस्तार के कारण जंगलों की कटाई भारी पैमाने पर हो रही है। जंगलों के कटने के साथ ही वनवासियों के लिए भी मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि उनका पूरा जीवन इन्हीं जंगलों पर आश्रित है।

14 अप्रैल 2018 को शुरू की गई थी प्रधानमंत्री वन धन योजना

वनवासी अपनी आजीविका के लिए भी वनोपजों पर ही निर्भर हैं। आदिवासियों या वनवासियों की इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना या वन धन योजना शुरू की थी।


प्रधानमंत्री वन धन योजना/पीएम वन धन विकास योजना (PMVDY) जनजातीय मामलों के मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (TRIFED) द्वारा आदिवासी वस्तुओं की उत्पादकता में सुधार के माध्यम से आदिवासी राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

प्रधानमंत्री वन धन योजना की खास बातें

  • योजना 14 अप्रैल 2018 को शुरू की गई थी।
  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय और TRIFED ने वन धन योजना को लागू करने में सहयोग किया।
  • इसका उद्देश्य जनजातीय वस्तुओं के मूल्य को जोड़कर जनजातीय आय में वृद्धि करना है।
  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा केंद्रीय नोडल विभाग के रूप में और ट्राइफेड द्वारा राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • जिला कलेक्टरों के साथ एमएफपी के लिए राज्य नोडल एजेंसी से जमीनी स्तर पर योजना के क्रियान्वयन में भूमिका निभाने की उम्मीद की जाती है।
  • स्थानीय रूप से क्लस्टर में वन धन एसएचजी के प्रतिनिधियों से बनी एक प्रबंध समिति केंद्र चलाने का प्रस्ताव है।

लघु वनोपज से जुड़ी हैं जनजातीय आजीविका

  • प्राकृतिक वनों में रहने वाले आदिवासियों के लिए लघु वनोपज (एमएफपी) आजीविका का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  • करीब 100 मिलियन वनवासी भोजन, आश्रय, दवा और मौद्रिक आय के लिए लघु वनोपज पर निर्भर हैं।
  • शिकारी और भूमिहीनों के लिए लघु वनोपज बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं।
  • MFP आदिवासियों को उनके वार्षिक राजस्व का 20-40 फीसदी देते हैं और ये वह जगह है, जहां वे अपना अधिकतर समय बिताते हैं।
  • अधिकांश वनोपजों को महिलाएं इकट्ठा करती हैं, उपयोग करती हैं और इसकी बिक्री करती हैं, इसलिए इसके जरिए वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होती हैं।
  • MFP यानी Minor Forest Produce (लघु वनोपज) के जरिए हर साल देश में 10 मिलियन कार्यदिवस पैदा होता है।
  • इससे आदिवासियों को रोजगार मिलता है।

31 मार्च 2021 तक 33,360 वन धन विकास केंद्रों को मिली थी मंजूरी

31 मार्च 2021 तक ट्राईफैड के द्वारा 18 महीने से भी कम समय में 2,224 वीडीवीकेसी (वन धन विकास केंद्र क्लस्टर) के प्रत्येक समूह में शामिल 300 वन निवासियों के साथ 33,360 वन धन विकास केंद्रों को मंजूरी दे दी गई थी। ट्राईफैड ने बताया कि एक विशिष्ट वन धन विकास केंद्र में 20 जनजातीय सदस्य शामिल हैं, ऐसे 15 वन धन विकास केंद्रों मिलकर 1 वन धन विकास केंद्र समूह बनाते हैं। ये केंद्र 23 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों के वन धन विकास केंद्रों को व्यापक आर्थिक लाभ, आजीविका और बाजार से जोड़ने के साथ-साथ जनजातीय वन सभाओं को उद्यमशीलता के अवसर देते हैं। पूर्वोत्तर इस मामले में नेतृत्व कर रहा है, जहां 80 फीसदी वन धन विकास केंद्र स्थापित हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां इस योजना का शानदार रिजल्ट मिला है।

वन धन योजना के तहत तैयार किए गए प्रोडक्ट्स

आंवला, अनानास, जंगली सेब, अदरक, अंजीर, इमली जैसे फलों की कैंडी, जैम, जूस, स्क्वैश (अनानास, आंवला, जंगली सेब, बेर, बर्मी अंगूर) मसालों (दालचीनी, हल्दी, अदरक), अचार (बैंबू शूट, किंग चिली मिर्च) और संसाधित गिलोय को वन धन विकास केंद्रों में पैक किया गया है और इन्हें ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के माध्यम से TribesIndia.com पर और बाजार में बेचा जा रहा है।

वन धन विकास योजना (PMVDY) की विशेषता

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालयों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के बीच जनजातीय आय बढ़ाने के लिए एक सहयोग है।
  • जनजातियों के लिए प्रौद्योगिकी पर कार्यक्रम- यह IIT, IIM, TISS और अन्य संस्थानों के साथ साझेदारी में TRIFED द्वारा संचालित एक 27-राज्य उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम है।
  • ट्राइफेड ने अब उपलब्ध एमएफपी के उपयोग को अधिकतम करने के लिए गैर-इमारती वन उपज (NTFP) पर रिसर्च शुरू कर दिया है।
  • कुल 1205 वन धन विकास केंद्र बनाए गए हैं।
  • प्रत्येक वन धन केंद्र में 15 स्वयं सहायता समूह (SSG) और 300 लाभार्थी हैं।
  • लाभान्वित होने वालों की कुल संख्या 3.7 लाख है।
  • वन धन योजना 18075 स्वयं सहायता समूहों से संबद्ध है।
  • यह पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम है।

ट्राइफेड के बारे में जानें

  • ट्राइफेड जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार के तहत काम करता है।
  • जनजातीय उत्पादक आधार को विकसित करने के लिए राज्यों, जिलों और गांवों में खरीद स्तर पर नए लोगों और सामानों की पहचान करने के लिए ट्राइफेड जनजातीय कारीगर मेलों (टीएएम) का आयोजन करता है।
  • स्वदेशी व्यक्तियों को विशेषज्ञता, उपकरण और डेटा देना है, ताकि वे अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से संचालन कर सकें।
  • ट्राइफेड आदिवासी आजीविका पहल के साथ मिलकर कौशल विकास और सूक्ष्म उद्यमिता कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है।
  • यह लघु वनोपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और TRIFOOD योजनाओं (MFP) में भी योगदान देता है।

ट्राइफूड योजना

  • यह अगस्त 2020 में शुरू किया गया था, एमएफपी मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करता है।
  • ट्राइफूड पार्क क्षेत्र में आदिवासियों द्वारा इकट्ठा भोजन के साथ-साथ लघु वनोपज से बने भोजन तैयार किया जाता है।

Pragya Prasad

पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव। दूरदर्शन मध्यप्रदेश, ईटीवी न्यूज चैनल, जी 24 घंटे छत्तीसगढ़, आईबीसी 24, न्यूज 24/लल्लूराम डॉट कॉम, ईटीवी भारत, दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद अब नया सफर NPG के साथ।

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