Begin typing your search above and press return to search.

GO dhan nyay yojana: स्वावलम्बी गोठान ने बदली निलजा गांव की जीवनदशा, महिलाओं में जागा आत्मविश्वास, हुई गौरवान्वित

निलजा गोठान ऐसा है जहां के बनाए वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि इनकी बड़ी मांग होती है इतनी की महिला समूह आपूर्ति नहीं कर पाता। इस गोठान के कारण महिलाएं अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मगौरव का अनुभव कर रहीं है।

GO dhan nyay yojana: स्वावलम्बी गोठान ने बदली निलजा गांव की जीवनदशा, महिलाओं में जागा आत्मविश्वास, हुई गौरवान्वित
X
By Sanjeet Kumar

रायपुर। जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने गोठान आरंभ किए तो लोगों को लगा था कि खुले मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने और फसल सुरक्षा के लिए सरकार की यह बहुत अच्छी पहल है। एक-दो साल के भीतर यह पहल उनके जीवन और अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव लाएगी, ऐसा सोचना भी मुश्किल था। राजधानी रायपुर के ही पास के एक निलजा गौठान को लें, यहां भी पशुधन रखने गोठान की शुरूआत हुई लेकिन अब यह आजीविकामूलक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। जो लोग दूसरे के खेतों में काम करने मजबूर थे अब खुद का उद्यम कर रहे हैं। निलजा में ही 70 परिवार ऐसे हैं जो गोठान से सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। इन घरों के सपने परिवार के मुखिया के साथ ही गृहिणी भी पूरी कर रही हैं क्योंकि अब आर्थिक शक्ति उनके हाथों में भी आई है।


निलजा गोठान ऐसा है जहां के बनाए वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि इनकी बड़ी मांग होती है इतनी की महिला समूह आपूर्ति नहीं कर पाता। इस गोठान के कारण महिलाएं अपने पैरों पर खड़े होकर आत्मगौरव का अनुभव कर रहीं है। यहां के ग्रामीण कह रहे हैं धन्यवाद मुख्यमंत्री जी।

ग्राम निलजा की कहानी उस समय शुरू होती है जब राज्य सरकार ने नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना शुरू की। इस योजना के तहत निलजा में गौठान बनाए गए। साथ ही कुछ समय में ही आजीविका मूलक गतिविधियां भी शुरू की गई। वर्ष 2020 में गोधन योजना के तहत गोबर खरीदी शुरू की गई। एक साल तीन महीने के भीतर गोठान स्वावलंबी हो गया। सारे खर्च स्वयं उठाने लगा।


समूह के अध्यक्ष घनश्याम वर्मा बताते है कि अब तक सात लाख 65 हजार गोबर की खरीदी हो चुकी है। गोठान द्वारा अब तक 2 हजार 185 किलो वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा चुका हैं। गोठान समिति को अब तक करीब 21 लाख रूपए की आय हो चुकी है। साथ ही 2383 लीटर गोमूत्र की खरीदी की है जिससे 1200 लीटर ब्रम्हास्त्र बनाया जा चुका है। गोठान से जुड़कर महिलाओं आज अपने पैरो पर खड़ी है और आत्मविश्वास से भरी हुई है।

महिला समूह की अध्यक्ष शकुन वर्मा कहती है कि उनके समूह ने अब तक साढ़े सात लाख रूपए आय अर्जित की है। वे पहले दूसरे के खेतों में काम करती थीं अब खुद का काम कर रही है। उनके समूह में 11 सदस्य है जिन्हें प्रतिदिन औसतन प्रतिदिन करीब 150 से 200 रूपए की आय हो रही है। शकुन कहती हे कि उनके पति ट्रैक्टर चलाने का कार्य करते है। वह स्वयं दूसरे के खेतों में काम करने जाती थी। काम की अनिश्चितता रहती थी कभी अच्छा काम मिलता था तो कभी काम ही नहीं मिलता था। गोठान से जुड़ने के बाद अब नियमित आय का साधन मिल गया है। स्वयं का काम करने से आत्मविश्चास तो आया, साथ ही आत्मसम्मान भी जागा है। जो कमाई हुई, उससे उन्होने घर में टाईल्स लगवाया और बच्चों के लिए सायकल खरीदी, घर चलाने में भी मदद करती है। वर्मा मुख्यमंत्री को धन्यवाद देती है और कहती है कि उनके समूह की महिलाओं ने सोचा भी नहीं था कि गौठान से जुड़कर कोई रोजगार मिल सकता है और इससे कोई आत्मनिर्भर हो सकता है। राधाबाई वर्मा कहती हैं कि वे तीन साल से समूह से जुड़ी है। अब खुद का काम कर रही है। अच्छा लग रहा है। अपने पैरों पर खड़ी हैं। इस कमाई से उन्होंने पायल लिया है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story