Gaurella-pendra-marwahi jila : गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले को जानिए: जिले का इतिहास और सामान्य परिचय

NPG DESK
जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।ज़िले का गठन बिलासपुर ज़िले का विभाजन कर किया गया। यह जिला 10 फरवरी 2020 को अस्तित्व में आया। प्रतिवर्ष जिला स्थापना की खुशी में यहां 'अरपा महोत्सव' मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के प्रथम समाचार पत्र 'छत्तीसगढ़ मित्र' का प्रकाशन पेंड्रा से ही माधव राव सप्रे जी के संपादन में प्रारंभ किया गया। यहाँ गौरेला में 'राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र' कहलाने वाली बैगा जनजाति बहुतायत में हैं। इसी कारण इसे पहले 'विशेष अनुसूचित जनजाति क्षेत्र' का दर्जा मिला। कहते हैं कि यहां के 'कबीर चबूतरा' पर कबीर और गुरुनानक जी के बीच लंबी चर्चा हुई थी। झोझा जलप्रपात, धनपुर और जलेश्वर महादेव मंदिर जैसे ख्यातिलब्ध पर्यटन स्थल इसी जिले के अंतर्गत आते हैं।जिले के बारे में और जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।
जिले का इतिहास
15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के गठन की घोषणा की और 10 फरवरी 2020 को यह नया जिला अस्तित्व में आया।
ज़रा और पीछे जाएं तो ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार रतनपुर के कल्चुरी नरेश ने दो भाइयों हिंदुसिंह और छिंदुसिंह की ईमानदारी से प्रसन्न होकर यह क्षेत्र उन्हें ईनाम स्वरूप दिया था। लंबे समय तक यह इनके नियंत्रण में रहा। बाद में यह क्षेत्र मराठों के नियंत्रण में भी आया। पेण्ड्रा क्षेत्र के बारे में बताया जाता है कि यह गढ़ एक समय पर पिंडारियों की गतिविधियों का केंद्र था। वे आसपास के क्षेत्रों पर आक्रमण और लूटपाट करते थे। उन्हीं के कारण इस क्षेत्र को पहले पिण्डारा और फिर पेण्ड्रा नाम मिला।
प्रशासनिक जानकारी
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले का क्षेत्रफल 2307.39 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या लगभग 3, 36, 420 है। इसके अंतर्गत 3 तहसील,3 ब्लॉक और 223 गांव शामिल हैं। जिले में 2 नगर पंचायत और 166 ग्राम पंचायत हैं।
फसलें
गेहूं, चना, धान, मक्का, ज्वार, मूंगफली
और सीताफल हैं। मिलेट मिशन योजना के अंतर्गत कोदो-कुटकी, रागी जैसी फसलों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सब्ज़ियों और भाजियों की भी अच्छी पैदावार यहां होती है।
अर्थव्यवस्था
कृषि, बागवानी और वनोपज इस जिले की अर्थव्यवस्था का आधार हैं। मरवाही क्षेत्र में अत्याधिक मात्रा में सीताफल का उत्पादन होता है। सीताफल के पल्प और बीजों का विक्रय किया जाता है। यहाँ सीताफल, जामुन, आम एवं महुआ फूल आइसक्रीम बनाई जाती है। इसके अलावा इनसे कैंडी, लड्डू जैसी चीज़े बनाई जाती हैं। साल और सागौन वृक्ष इस क्षेत्र में बहुतायत में हैं।
पशु प्रजनन क्षेत्र, पेण्ड्रा में और बकरी प्रजनन क्षेत्र पकरिया में स्थित है। क्षेत्र चूना पत्थर से भी समृद्ध है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
प्रमुख काॅलेज
भंवर सिंह पोर्ते कॉलेज मरवाही
आयुश कॉलेज ऑफ एजुकेशन ,पेण्ड्रारोड गवर्नमेंट पंडित माधव राव सप्रे कॉलेज गवर्नमेंट फिज़िकल कॉलेज पेण्ड्रा
डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर (DIET), पेण्ड्रा आदि
प्रमुख स्कूल
गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल
नर्मदा स्कूल ऑफ सेकंडरी एजुकेशन
माँ कल्यानिका पब्लिक स्कूल
केरला इंग्लिश मीडियम स्कूल
डीएवी स्कूल, पेण्ड्रा
जीनियस स्कूल गौरेला
गंगा देवी पब्लिक स्कूल
लिटिल एंजेल पब्लिक स्कूल
विज़्डम वे स्कूल आदि
जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल
जलेश्वर धाम
गौरेला अमरकंटक के रास्ते में लगभग 25 किमी दूरी पर जलेश्वरधाम स्थित है । यहाँ भगवान शिव का 12वीं सदी में बना कलचुरी कालीन मंदिर आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है ।विशेष बात यह है कि छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित जलेश्वर धाम में मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित अमरकंटक के नर्मदा उद्गम से जल लाकर भक्तजन भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। करीब आठ किलोमीटर पैदल चलकर नर्मदा का जल लेकर सावन मास और महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस स्थान पर प्राकृतिक कुण्ड भी है।
झोझा जलप्रपात
गौरेला के अंतिम छोर पर बस्तीबगरा ग्राम पंचायत के पास लगभग 45 किमी दूरी पर झोझा जल प्रपात आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है । यहाँ लगभग 100 फिट की ऊचाईं से पानी झरने की शक्ल मैं गिरता है। धीरे-धीरे इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल रही है और पर्यटक इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
धनपुर
पेण्ड्रा- सिवनी मार्ग में लगभग 23 किमी दूरी पर स्थित है धनपुर।यहाँ माँ दुर्गा का प्राचीन मंदिर है। यहाँ प्रस्तर मूर्तियां और पत्थर पर निर्मित कलाकृतियां दर्शनीय हैं।मान्यता है कि पाण्डव अज्ञातवास के दौरान यहां रूके थे और उन्होंने इस स्थान पर 365 तालाब भी खोदे थे। यहां पत्थर से पत्थर बजाने पर घंटी की आवाज आती है। पत्थर की मूर्तियों में मुख्य रूप से बेनीबाई की प्रतिमा उल्लेखनीय है।
लक्ष्मणधारा
गौरेला विकास खण्ड के खोडरी ग्राम पंचायत के निकट लगभग 18 किमी दूरी पर लक्ष्मण धारा आकर्षण का केन्द्र है । लोग यहां पिकनिक मानने के लिये आते है इस धारा में वर्ष भर पानी रहता है ।
सोनकुंड
सोन कुंड गौरेला विकासखंड में स्थित है।यहां पर आकर आप सोनभद्र नदी का उद्गम स्थल देख सकते हैं। इस स्थान पर धुम्मेश्वर महादेव का अत्यंत पुराना शिवलिंग स्थापित है।यहाँ मां काली का मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, नर्मदा जी का मंदिर एवं शनिदेव मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिये आकर्षण का केन्द्र हैं। इस स्थान पर गुरू पूर्णिमा एवं शरद पूर्णिमा के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
कैसे पहुंचें
प्लेन से
जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही के लिए निकटतम हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर है। जो यहां से लगभग 220 किमी दूर है ।
ट्रेन से
पेण्ड्रारोड निकटतम स्टेशन है।
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही राज्य के अन्य प्रमुख शहरों, अमृतसर, भोपाल, दिल्ली, हरिद्वार, इंदौर, जयपुर, विशाखापट्टनम और ओडिसा से जुड़ा हुआ है। निकटतम बड़ा जंक्शन बिलासपुर जंक्शन है।
सड़क मार्ग से
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में बस स्टैंड हैं।
आप आसानी से अन्य प्रमुख शहरों से गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही के लिए नियमित बसें पा सकते हैं।