गणेश चतुर्थी आज: इस तरह पूजन करने से मिलेगा लाभ, जानें गणपति स्थापना मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व
रायपुर I गणेश चतुर्थी का पर्व आज से शुरू हो रहा है। ये उत्सव पूरे देश में बड़ी ही धूमधाम के साथ 10 दिनों तक मनाया जायेगा। हिंदू धर्म में गजानन, लंबोदर, विघ्नविनाशक आदि के नाम से जाने वाले गणपति बप्पा की पूजा अत्यंत ही शुभ और लाभप्रद मानी गई है। सनातन परंपरा में भगवान श्री गणेश को सुख-सौभाग्य का देवता माना गया है। मान्यता है कि गजानन की विधि-विधान से पूजा करने गणपति अपने भक्त के सभी संकट हर लेते हैं और उसके सभी काम बगैर किसी बाधा के पूरे होते हैं। गणेश उत्सव का पर्व 31 अगस्त से शुरू होकर 9 सितंबर तक चलेगा। पंचांग के अनुसार बुधवार का दिन भगवान गणेश को अर्पित किया गया है। ऐसे में इस बार गणेश चतुर्थी और भी ज्यादा शुभ हो जाती है। भगवान गणेश जी बुधवार के देवता हैं।
जानिए भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए कई विशेष उपाय और पूजा मुहूर्त, तिथि, शुभ समय व महत्व.
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ : 30 अगस्त 2022 दोपहर 03 बजकर 33 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्ति : 31 अगस्त 2022 को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर
गणेश चतुर्थी व्रत करने की तारीख : 31 अगस्त, 2022 को
गणेश पूजा मुहूर्त
सुबह 11 बजकर 24 मिनट से शाम 01 बजकर 54 मिनट तक
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय
सुबह 09 बजकर 38 मिनट से रात 09 बजकर 37 मिनट तक
गणेश चतुर्थी का चौघड़िया मुहूर्त
लाभ - उन्नति: सुबह 06 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 57 मिनट तक
अमृत - सर्वोत्तम: सुबह 07 बजकर 34 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक
चर: सामान्य: सुबह 09 बजकर 10 मिनट से सुबह 10:46 मिनट तक
शुभ: उत्तम: सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक
गणेश चतुर्थी पर बनने वाला शुभ योग
रवि योग- सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सितम्बर 01, 12 बजकर 12 मिनट तक
शुभ योग- प्रात: काल से पूरे दिन
गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू शास्त्र के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती के छोटे पुत्र भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी का महोत्सव भारत में हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है, कि गणेश चतुर्थी की पूजा करने से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं खत्म हो जाती हैं।
इस 5 चीजें से धन लाभ के योग
साबूत हल्द:- भगवान श्रीगणेश को साबूत हल्दी भी विशेष रूप से चढ़ाई जाती है. गणेश पूजा में साबूत हल्दी चढ़ाएं और बाद में इसे अपने धन स्थान पर रखें. इसकी पूजा भी करते रहें. इस उपाय से आपके घर-परिवार में हमेशा खुशियां ही खुशियां रहेंगी और पैसों से जुड़ी हर परेशानी दूर हो सकती है.
चांदी की गणेश प्रतिमा:- धर्म ग्रंथों में चांदी को बहुत ही शुभ धातु माना गया है. ये देवी लक्ष्मी की प्रिय धातु है. इससे निर्मित गणेश प्रतिमा को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है. धन लाभ के लिए इसकी पूजा करना बहुत ही शुभ फलदायक माना जाता है. इस प्रतिमा को भी अपने धन स्थान पर रखना चाहिए और रोज इसकी पूजा करनी चाहिए.
दूर्वा:- ये एक खास प्रकार की घास है जो भगवान श्रीगणेश को अति प्रिय है. इनके बिना श्रीगणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है. गणेश पूजा में इसे जरूर चढ़ाएं और बाद में इसे अपने धन स्थान पर रख दें. इस पर थोड़ी से हल्दी जरूर लगाएं. इससे आपको शुभ फल मिलने लगेंगे और घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी. इसे उपाय से धन लाभ के योग भी बनेंगे.
गणपति यंत्र:- इसे गणेश यंत्र भी कहते हैं. पूजा-पाठ की दुकान पर ये आसानी से मिल जाता है. गणेश चतुर्थी पर इसे घर लेकर आएं और विधि-विधान से पूजा कर अपने धन स्थान पर स्थापित करें और रोज पूजा करें. इसे यंत्र से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है. देवी लक्ष्मी की कृपा भी इस यंत्र की पूजा से आप पर बनी रहेगी.
पारद गणपति:- पारद एक धातु है. इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस धातु से निर्मित गणेश प्रतिमा गणेश चतुर्थी पर घर लेकर आएं और पहले इसकी विधि-विधान से पूजा करें और बाद में इसे अपने धन स्थान यानी तिजोरी या लॉकर में रख दें. इससे आपके घर में बरकत बनी रहेगी साथ ही बिजनेस से जुड़ी परेशानियां भी दूर होंगी.
गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री
गणेश चतुर्थी के त्योहार में कुछ खास चीजों का इस्तेमाल होता है. इन चीजों के बगैर गणेश चतुर्थी की पूजा अधूरी मानी जाती है. गंगाजल, धूप, दीप, कपूर, मूर्ति स्थापित करने के लिए चौकी, लाल रंग का कपड़ा, दूर्वा, जनेऊ, रोली, कलश, मोदक, फल, सुपारी, लड्डू, मौली, पंचामृत, लाल चंदन, पंचमेवा इत्यादि.
इस तरह करें गणेश जी की स्थापना और पूजा
सबसे पहले स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल की सफाई कर लें. एक चौकी तैयार करें और उसपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा लें. इसके बाद चौकी पर गणपति बप्पा को स्थापित करें. गणपति बप्पा को बैठाते समय
अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च।
श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
इस मंत्र का जाप करें. इसके बाद गणपति बप्पा को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर उन्हें वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं. फिर बप्पा को भोग चढ़ाएं. इसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और बप्पा की आरती करें. ध्यान रखें पूजा के समय गणपति बप्पा को दूर्वा जरूर अर्पित करें. दूर्वा के बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है. आप चाहों ते गणपति बप्पा को दूर्वा की माला बनाकर भी पहना सकते हैं.
इसलिए मनाई जाती गणेश चतुर्थी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती के छोटे बेटे गणेश का जन्म हुआ था। भगवान शिव से गणेश जी को वरदान मिला कि उनकी अराधना के बाद ही किसी अन्य भगवान की पूजा होगी। इसलिए गणेश जी का पूजन सबसे पहले किया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर पूजा में यूं करें लाल सिंदूर का इस्तेमाल
क्यों प्रिय है गणेश जी को सिंदूर:- पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश जी ने बालावस्था में एक सिंदूर नाम के असुर का संहार कर उसका रक्त अपने शरीर पर लगा लिया था. तब से ही कहा जाता है कि गणेश जी को लाल सिंदूर बेहद प्रिय है. मान्यता है कि गणेश जी को स्नान कराने के बाद उन्हें लाल सिंदूर अर्पित करने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है. घर में सुख-समृद्धि वास करती है और हर कार्य में सफलता मिलती है.
सिंदूर चढ़ाने के फायदे:- कहा जाता है कि अगर गणेश जी को लाल सिंदूर अर्पित किया जाए,तो व्यक्ति को शांति और समृद्धि मिलती है. वहीं, सिंदूर अर्पित करने से व्यक्ति का विवाह जल्दी हो जाता है. संतान की प्राप्ति होती है. साथ ही, बुद्धिमान और स्वस्थ संतान की प्राप्ति के लिए भी गणपति को सिंदूर अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि घर से निकलते समय अगर गणेश जी को सिंदूर अर्पित किया जाए, तो शुभ समाचार की प्राप्ति होती है. ज्योतिष अनुसार नौकरी या इंटरव्यू के लिए जाते समय भी गणेश जी को सिंदूर अर्पित करके ही जाना चाहिए.