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Dhamatari District - धमतरी जिले को जानिए:; बांधों का जिला कहा जाने वाला धमतरी महानदी के किनारे उपजाऊ भूमि पर बसा हुआ है। जिले के पूर्व में सतपुड़ा रेंज स्थित है , इसे सिहावा पहाड़ के रूप में जाना जाता है। इसी पर्वत से महानदी का उद्गम होता है जिसे छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा और छत्तीसगढ़ की गंगा भी कहा जाता है। इसी नदी ने छत्तीसगढ़ को "धान का कटोरा" बनाया है। धमतरी के "नगरी दुबराज" को जीआई टैग भी मिला है। यह अपनी मनमोहक खुशबू के कारण देश भर में पसंद किया जाता है। गंगरैल डैम जिसे मिनी गोवा भी कहा जाता है, धमतरी का मुख्य आकर्षण है। एशिया का पहला सायफन बांध माड़मसिल्ली भी 1914 में यहीं बनाया गया था। यही नहीं महात्मा गांधी धमतरी के कंडेल नहर सत्याग्रह में शामिल होने के लिए पहली बार छत्तीसगढ़ आए थे। इस लेख में आप धमतरी के बारे में ऐसी बहुत सी बातें जानेंगे।
धमतरी का इतिहास
धमतरी जिले का नाम "धम्म(धर्म) + "तराई" से मिलकर बना है जिसका हिंदी तात्पर्य "पवित्र सरोवर" है। प्राचीनकाल से यह नगर महत्त्वपूर्ण रहा है, मंदिरों और तालाबों के अवशेषों से यह प्रमाणित होता है।यहाँ के मंदिर क्षेत्रीय शिल्पकला को प्रदर्शित करते हैं। 1881 में यहाँ नगरपालिका का गठन हुआ था। यह जिला आधिकारिक तौर पर 6 जुलाई 1998 को रायपुर जिले से विभाजित होकर बना है। धमतरी छत्तीसगढ़ के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित है।
धमतरी की प्रशासनिक जानकारी
धमतरी का क्षेत्रफल 4,081.83 वर्ग किलोमीटर है।जिले की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 7,99,781 है। धमतरी, जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। धमतरी में 5 तहसील, 4 विकासखंड, 1 नगरनिगम, 5 नगर पंचायत और 643 गांव हैं।
उद्योग
धमतरी में 250 से ज्यादा राइस मिल मौजूद हैं। इसके अलावा बीड़ी उद्योग, दाल मिल,मैदा मिल, मोटा कपड़ा बुनाई उद्योग, लकड़ी चीरने का उद्योग, हर्रा निकालने के कारखाने हैं। यहाँ धान कूटने, आटा पीसने और लाख बनाने के अनेक कारखानें हैं।नगरी के दुबराज चावल की देश भर में मांग है। 2021 में इसे जीआई टैग भी मिल गया है। यह वनोपज का एक महत्वपूर्ण व्यापार केंद्र है।
कृषि
धमतरी में मुख्य रूप से धान की खेती होती है। इसके अलावा गेहूं, बाजरा, कोदो,मक्का, तिलहन में सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, दलहन में अरहर, मूंग, उड़द मुख्य फसलें हैं।
धमतरी के पर्यटन स्थल गंगरैल डैम
धमतरी जिले में स्थित यह बांध पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। इसे रविशंकर जलाशय के नाम से जाना जाता है। महानदी पर बनाया गया यह बांध करीब 1830 मीटर लंबा व 100 फीट ऊंचा है। इस बांध के पानी से लगभग 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। यह भिलाई स्टील प्लांट और राजधानी रायपुर को भी पानी उपलब्ध कराता है। यहाँ पर आर्टिफिशियल बीच डेवलप किया गया है जहां टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए एक से एक व्यवस्थाएं की गई हैं। यहां हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन के साथ वॉटर स्पोर्ट्स की सुविधा विकसित की गई है। यह बांध पूरे वर्ष भर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है, जिससे इसके आस-पास के क्षेत्रों में धान की पैदावार अधिक मात्रा में होती है।
श्रृंगी ऋषि आश्रम, सिहावा पर्वत
धमतरी से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर सिहावा पर्वत स्थित है। सिहावा की पहाड़ियों पर त्रेतायुग के प्रसिद्ध श्रृंगी ऋषि का आश्रम है।यहां आश्रम के समीप, पवित्र जल कुंड है, जहां से महानदी का उद्गम हुआ है। कहते हैं कि महर्षि श्रृंगी ने अपने प्रिय शिष्य महानंद के नाम पर पर इस नदी को महानदी नाम दिया ।श्रृंगी ऋषि आश्रम तांत्रिक पूजा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
कुंभज ऋषि आश्रम
कुंभज ऋषि आश्रम धमतरी में स्थित एक धार्मिक स्थल है। यहां पर आपको कुंभज ऋषि की गुफा देखने के लिए मिलती है। कहते हैं कि अपने वनवास काल में श्री राम यहां पर ठहरे थे। यहां आपको विभिन्न देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी।
बिलाई माता मंदिर यह माँ विंध्यवासिनी देवी का मंदिर है।
पौराणिक कथा के अनुसार, मां विंध्यवासिनी की मूर्ति जमीन से निकली है जो धीरे-धीरे अभी भी उठ रही है। बताते हैं कि एक समय पर राजा मांडलिक का घोड़ा यहां आकर ठिठक गया था और आगे बढ़ने को तैयार नहीं था। सैनिकों ने खोजबीन में पाया कि यहां पर एक पत्थर के इर्द-गिर्द जंगली बिल्लियां बैठी हैं। इसके बाद राजा ने उस स्थान पर चबूतरे का निर्माण कराकर देवी की स्थापना करा दी। स्थानीय लोग इसी कारण इस मंदिर को बिलाई माता मंदिर के नाम से पुकारने लगे।
सीता नदी अभ्यारण्य
सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य मध्य भारत में सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण वन्य जीवन अभयारण्यों में से एक है। अभयारण्य के बीच से निकलती सीतानदी के नाम पर इसका नाम सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य रखा गया है। आप साल, टीक, बांस, महुआ, बेर और तेंदु वृक्षों के झुण्ड इस अभ्यारण्य में देख सकते हैं। यहां बाघ, तेंदुआ, सियार, उड़ने वाली गिलहरियाँ, जंगली बिल्लियाँ, ब्लैकबक्स, बाइसन, स्लोथ भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, कोबरा और अजगर आदि देखे जा सकते हैं।
जबर्रा- ईको टूरिज्म
जबर्रा ईको टूरिज्म हाईकिंग, ट्रेकिंग आदि के लिए एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। जबर्रा गाँव औषधीय पौधों के अलावा अपनी बेहतरीन प्राकृतिक छटा के लिए प्रसिद्ध है।
रुद्री डैम
रुद्री डैम एक ऐतिहासिक डैम है जिसे अंग्रेजों ने बनवाया था। यह डैम छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी सिंचाई परियोजना में से एक है।
माड़मसिल्ली डैम
एशिया का पहला सायफन बांध माड़मसिल्ली 1914 में धमतरी में ही बनाया गया था। यह महानदी की एक सहायक नदी 'सिलयारी' पर स्थित है।इसे वास्तुशिल्प का एक चमत्कार माना जाता है।
कर्णेश्वर महादेव मंदिर
सिहावा के उत्तर पूर्व में कर्णेश्वर में 5 प्राचीन मंदिर है। कर्णेश्वर का विशाल शिव मंदिर सोमवंशी राजा कर्णदेव ने बनवाया था। यहां एक जलकुंड से निकलने वाली जलधारा के विषय में कहा जाता है कि उसके पानी से कुष्ठ रोग खत्म हो जाता है।
धमतरी में हुए प्रमुख सत्याग्रह कंडेल नहर सत्याग्रह
इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए गांधी जी छत्तीसगढ़ आए थे। अंग्रेज सरकार द्वारा नहर से पानी चोरी के झूठे आरोप और सिंचाई टैक्स का किसानों ने विरोध किया था। दिसंबर 1920 में हुए इस सत्याग्रह के बाद अंग्रेजों को टैक्स वापस लेना पड़ा था।सुन्दरलाल शर्मा, नारायण राव मेघावाले,बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव इसके नेत्रृत्वकर्ता थे।
सिहावा नगरी जंगल सत्याग्रह
जनवरी 1922 में सिहावा-नगरी जंगल सत्याग्रह की घोषणा की गई। इसके सूत्रधार श्यामलाल सोम थे। नगरी-सिहावा जंगल सत्याग्रह दरअसल देश का पहला जंगल सत्याग्रह था, जिसका सूत्रपात स्वयं आदिवासियों ने किया था। यह सत्याग्रह वन कानून, बेगारी और अल्प मजदूरी के खिलाफ चलाया गया था। बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, सुन्दरलाल शर्मा नारायण राव मेघावाले इसके नेत्रृत्वकर्ता थे।
गट्टासिल्ली जंगल सत्याग्रह
धमतरी के गट्टासिल्ली क्षेत्र के जंगल में मवेशी चराने के कारण अंग्रेजों द्वारा मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस में बंद किया गया था , तब जुलाई 1930 में मवेशियों को छुड़ाने के लिए यह सत्याग्रह किया गया, इसके नेतृत्वकर्ता पं. सुन्दरलाल शर्मा नारायण राव मेघावाले, नत्थू जी जगताप तथा बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव थे ।
रुद्री-नवागांव जंगल सत्याग्रह
यहाँ के जंगलों को आरक्षित कर स्थानीय जनता के प्रवेश को निषेध कर दिया गया था। तब अगस्त 1930 में इसके विरोध में सत्याग्रह किया गया था। इस सत्याग्रह के नेतृत्वकर्ता बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव थे। पं. सुन्दरलाल शर्मा, नारायण राव मेघावाले तथा नत्थू जी जगताप सहयोगी थे ।
धमतरी के प्रमुख शिक्षा संस्थान स्कूल-
नवोदय विद्यालय
नूतन स्कूल
केन्द्रीय विद्यालय
मेनोनाइट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
माँ विंध्यवासिनी स्कूल
डॉ शोभाराम देवांगन स्कूल
नत्थुजी जगताप उच्चतर माध्यमिक स्कूल
सरस्वती शिशु मंदिर
डीपीएस, द्रोणाचार्य, सेंट मैरी इंग्लिश मीडियम स्कूल, विज़्डम एकेडमी, महानदी एकेडमी आदि प्रमुख प्राइवेट स्कूल हैं।
काॅलेज -
भोपाल राव पॉलिटेक्निक महाविद्यालय
बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव शासकीय महाविद्यालय
कॉम्प टेक महाविद्यालय
वन्देमातरम महाविद्यालय
सन्त गुरुघासीदास शासकीय महाविद्यालय
महर्षि वेदव्यास शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
धमतरी के प्रमुख अस्पताल
जिले में 200 से ज्यादा सरकारी अस्पताल हैं। इनमें 169 उपस्वास्थ्य केंद्र, 26 प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र, चारों ब्लॉक में 4 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।साथ ही जिले का सबसे बड़ा अस्पताल जिला अस्पताल धमतरी है। इसके अलावा धमतरी क्रिश्चियन अस्पताल, गुप्ता अस्पताल समेत अनेक निजी अस्पताल हैं। अमेरिका मेनोनाइट मिशन द्वारा यहाँ एक 'कुष्ठ केंद्र' चलाया जाता है।
कैसे पहुँचे
हवाई मार्ग - धमतरी जाने के लिए आपको रायपुर के विवेकानंद हवाई अड्डे पर उतरना होगा। यहां से बस या कैब से धमतरी पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से
राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 30 और रायपुर, भिलाई आदि जैसे कई अन्य राज्य राजमार्गों के एक अच्छी तरह से जुड़ा रोड़ नेटवर्क हैं। धमतरी के लिये नियमित बस सेवाएं हैं।
ट्रेन से
धमतरी रेलवे द्वारा रायपुर से जुड़ा हुआ है। धमतरी रेलवे स्टेशन मुख्य रेलवे जंक्शन है जो धमतरी शहर को रेलवे द्वारा शेष भारत में जोड़ता है।