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छत्तीसगढ़ में महिलाओं, किसानों के खातों में सीधे पैसे डालने से मजबूत होती अर्थव्यवस्था, समृद्ध होते गांव

छत्तीसगढ़ में महिलाओं, किसानों के खातों में सीधे पैसे डालने से मजबूत होती अर्थव्यवस्था, समृद्ध होते गांव
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By Sandeep Kumar

रायपुर। घर में साफ-सफाई का काम करने वाली दुर्ग की सरिता निर्मलकर को हर महीने महतारी वंदन का एक हजार रुपये मिलता है, इससे वह अपने लिए रोजमर्रा की जरुरतें पूरी करती हैं। राजनांदगांव की रहने वाली आशा सोनकर का सिलाई मशीन खरीदने का सपना महतारी वंदन की किश्तों ने पूरा कर दिया। इसी तरह राजधानी रायपुर की रहने वाली विमला हर माह मिलने वाले महतारी वंदन योजना के हजार रुपये को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांट (एसआईपी) के जरिए बचत कर रही हैं। यह बदलाव गांव से लेकर शहरों में देखने को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिलाओं, किसानों, श्रमिकों के खातों में सीधे राशि आंतरित किए जाने से जहां वे समृद्धि की राह में बढ़ रहे हैं, वहीं गांव की अर्थव्यवस्था भी रफ्तार पकड़ रही है।

राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में साय सरकार द्वारा धान किसानों के लिए शुरू की गई कृषि उन्नति योजना समेत बोनस राशि की अहम भूमिका है। राज्य में धान की खेती से खेत ही नहीं लहलहा रहे हैं, इससे गांव और गली-मोहल्ले की दुकानों में रौनक लौट आई है। साय सरकार ने कृषक उन्नति योजना लागू कर धान पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 3100 रुपये देने के साथ 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी शुरू की। यही नहीं धान पर साय सरकार ने दो साल का बकाया बोनस जारी कर धान आधारित अर्थतंत्र को ऊर्जा देने का काम किया है। तेंदुपत्ता संग्रहण की राशि बढ़ाए जाने से लेकर विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का पैसा सीधे लोगों के हाथ में पहुंचने से एक ओर जहां उनकी क्रय क्षमता बढ़ी है वहीं इससे ग्रामीण अर्थतंत्र में तेजी साफ देखी जा सकती है। इसका सीधा लाभ छोटे और मझोले कारोबारियों को भी हो रहा है, जो कि रोजगार सृजन का भी जरिया बना है। साय सरकार द्वारा आर्थिक तरक्की का एक ऐसा मॉडल अपनाया जा रहा है जिसके केंद्र में गरीब, किसान, आदिवासी, महिलाएं हैं। यदि भूमिहीन परिवारों की बात करें तो दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को दस हजार रुपये की वार्षिक सहायता दी जा रही है। इसके लिए पिछले बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इससे वह राज्य के विकास में अपनी सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं।

आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी

छत्तीसगढ़ में महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पहुंच रही डायरेक्ट टू बेनिफिट (डीबीटी) स्कीम महतारी वंदन योजना की किश्तों से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी के ऐसे अनेक किस्से हैं। महतारी वंदन योजना की बदौलत महिलाओं की राज्य के अर्थतंत्र में भागीदारी बढ़ी है। राज्य में 70 लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा मार्च से लेकर अब तक आठ किश्तों का भूगतान हो चुका है। सरकार बनने के कुछ महीने के भीतर ही जिस तरह हितग्राहियों का चयन और उन तक डीबीटी के जरिए पैसा पहुंचाया गया वह राज्य में गुड गवर्नेंस का एक बेहतरीन मॉडल है। महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों में मौजूदगी बढ़ने का सीधा लाभ प्रॉडक्शन, डिस्ट्रिब्यूशन और कंजप्शन (खपत) में होता है। इससे उत्पादन और वितरण की पूरी श्रृंखला मजबूत होती है। इसी कड़ी में महिलाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने के लिए श्रम विभाग दीदी ईरिक्शा सहायता योजना संचालित कर रहा है। यह योजना महिलाओं को ई रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इससे महिलाओं को जहां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं वहीं ग्रामीण और शहरी परिवहन तंत्र पर्यावरण अनुकूल बन रहा है।

सखियों की भी तरक्की

बैंकिंग सेवाओं के बिना आर्थिक आत्मनिर्भरता की कल्पना नहीं की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बैंक सखी बनकर लोगों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कर रही हैं। सरगुजा जिले के सात जनपदों में ही 87 बैंक सखियां कार्यरत हैं, जो गांव वालों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ रही हैं। कियोस्क के जरिए ग्रामीणों को खाता खोलने, पैसा जमा करने एवं निकासी, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं सुरक्षा बीमा योजनाओं सहित अन्य लाभ पहुंचाए जा रहे हैं।

महतारी वंदन योजना

70 लाख से अधिक महिलाओं को आर्थिक सहायता

हर महीने एक-एक हजार रुपए, जो सालाना 12 हजार रुपए खाते में आंतरित किए जा रहे

10 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी योजना

पात्रता

1 जनवरी 2024 को 21 वर्ष वाली विवाहित महिला, के अलावा विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिलाओं को भी दिया जा रहा योजना का लाभ

आगे यह होगा

- 500 रुपए में गैस सिलेंडर प्रदान करने की प्रतिबद्धता

पोषण अभियान

• सुपोषण मिशन: बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर को सुधारने के लिए मिशन चलाया गया।

• पोषण ट्रैकिंग सिस्टम: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर लाभार्थियों की निगरानी की गई।

o 2023 के दौरान कुपोषण दर में 15% की कमी दर्ज हुई।

o 1,50,000 बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार उपलब्ध कराया गया।

महिला सशक्तिकरण में पहलें:

महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं लागू की गईं:

• सखी वन स्टॉप सेंटर:

o संकट में फंसी महिलाओं को सहायता प्रदान की गई।

o अब तक 50,000 महिलाओं को सेवाएं प्रदान की गईं।

• स्वरोजगार और कौशल विकास:

o महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 25,000 महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया।

• महिला सुरक्षा:

o महिलाओं को उनके अधिकारों और कानूनी सहायता की जानकारी देने के लिए 500 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

4. बाल संरक्षण और शिक्षा:

बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने विभिन्न कदम उठाए:

• आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से:

o प्रारंभिक शिक्षा और पोषण आहार की सुविधा।

o लगभग 1,00,000 बच्चों को सेवाएं प्रदान की गईं।

• बाल तस्करी और शोषण पर रोकथाम:

o बाल तस्करी के खिलाफ कठोर कार्रवाई।

• बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान:

o बालिकाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।

5. डिजिटल और तकनीकी सुधार:

• ई-गवर्नेंस:

o योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया गया।

• मोबाइल एप्स:

o योजनाओं की मॉनिटरिंग और लाभार्थियों की पहचान के लिए तकनीकी समाधान।

दिव्यांग सशक्तिकरण:

o दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष रोजगार मेले और कौशल विकास केंद्रों की स्थापना।

o सहायक उपकरण जैसे व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, और कृत्रिम अंग प्रदान किए गए।

2. शिक्षा और छात्रवृत्ति:

o दिव्यांग छात्रों को शिक्षित करने के लिए छात्रवृत्ति योजनाएँ चलाई गईं।

o स्कूलों में विशेष शिक्षकों और संसाधनों की व्यवस्था की गई।

वृद्धजनों के लिए पहलें

1. वृद्धावस्था पेंशन योजना:

o आर्थिक रूप से कमजोर वृद्धजनों को मासिक पेंशन का लाभ।

o यह योजना लाभार्थियों तक सीधा बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।

2. ओल्ड एज होम्स:

o अकेले रहने वाले वृद्धजनों के लिए आश्रय गृह बनाए गए।

o इन आश्रय गृहों में चिकित्सा सुविधाओं और मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था।

महिलाओं और बाल कल्याण के लिए योजनाएँ

1. विधवा और परित्यक्ता सहायता:

o विधवाओं और परित्यक्त महिलाओं को वित्तीय सहायता और स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण।

o स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम।

2. बाल कल्याण:

o बाल तस्करी और बाल श्रम की रोकथाम के लिए सख्त निगरानी।

o अनाथ बच्चों के लिए सरकारी आश्रय गृह और शिक्षा व्यवस्था।

नशामुक्ति अभियान

1. जागरूकता कार्यक्रम:

o शराब, तंबाकू, और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान।

o युवाओं को नशामुक्ति केंद्रों से जोड़ने और रोजगार के अवसर प्रदान करने की पहल।

2. नशामुक्ति केंद्र:

o राज्यभर में कई नशामुक्ति केंद्रों की स्थापना, जहाँ मानसिक और शारीरिक उपचार के साथ पुनर्वास सेवाएँ दी जाती हैं।

सामाजिक समावेश के लिए प्रयास

1. आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए योजनाएँ:

o जरूरतमंद परिवारों को अनुदान और स्वरोजगार योजनाएँ।

o बीपीएल परिवारों को विशेष आर्थिक लाभ।

2. पारदर्शिता और डिजिटल सुधार:

o योजनाओं की जानकारी और आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से सरल बनाया गया।

o सभी योजनाओं की निगरानी के लिए ई-गवर्नेंस प्रणाली अपनाई गई।

सामाजिक जागरूकता:

o महिलाओं, वृद्धजनों, और दिव्यांगजनों की समस्याओं पर समाज में जागरूकता बढ़ाई गई।

o सरकारी योजनाओं को समुदाय के हर हिस्से तक पहुँचाने के लिए अभियान।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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