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छत्तीसगढ़ में मां सीता की रसोई: छत्तीसगढ़ सरकार सीतागढ़ी-हरचौका को संवार रही, दुनिया देखेगी अब सीता की रसोई

छत्तीसगढ़ में मां सीता की रसोई: छत्तीसगढ़ सरकार सीतागढ़ी-हरचौका को संवार रही, दुनिया देखेगी अब सीता की रसोई
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By yogeshwari varma

रायपुर 24 जून 2023। भगवान राम के ननिहाल कौशल्या की भूमि चंद्रखुरी के बाद अब माता सीता की रसोई को पूरी दुनिया जान सकेगी। रामायण काल से सम्बन्ध होने के कारण प्रसिद्ध सीतामढ़ी-हरचौका रायपुर से 360 किलोमीटर, मध्यप्रदेश के अनूपपुर रेलवे स्टेशन से 89 किलोमीटर दूर है। सबसे करीबी शहर कोरिया जिले का जनकपुर है, जो 27 किलोमीटर है। सीतामढ़ी-हरचौका प्राचीन काल से ही धार्मिक महत्त्व का स्थान रहा है। यह जगह रामायण काल के समय से भगवान राम से जुड़ा होने के कारण प्रसिद्ध है। भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी हरचौका को उनका पहला पडा़व माना जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना राम वन गमन परिपथ विकास के तहत पहले चरण में सीतामढ़ी को पर्यटन तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।

पर्यटन सुविधाओं का विस्तार

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भगवान राम के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ प्रवास में सम्मिलित उन सारे स्थानों को जोड़कर एक श्री राम वन गमन पथ का निर्माण कराया जा रहा है। इस जगह को पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है और सरकार ने यहां पर मंदिर निर्माण कराने के लिए काम शुरू कर दिया है तथा यहां रोड, शौचालय, यात्री प्रतीकक्षालय की सुविधा के लिए निर्माण कराये जा रहे हैं।

सीतामढ़ी हरचौका की गुफा में 17 कक्ष

मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं। इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है। वहां एक शिलाखंड है, जिसे लोग भगवान राम का पद-चिह्न मानते हैं। मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काटकर 17 कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं। इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है। भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी घाघरा पहुंचे थे। यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है। इसके बीच में शिवलिंग स्थापित है। आगे की यात्रा में वे घाघरा से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे।

राम-लक्ष्मण की गुफाएं भी संवरेंगी

आगे की यात्रा में वे घाघरा से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे. यह अम्बिकापुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित है. इसे रामगिरि भी कहा जाता है. महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में इसी स्थान के दृश्यों का अंकन हुआ है। वनवास के दौरान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन बिताये थे। इसीलिए वहां स्थित गुफाएं लोक में उन्हीं के नाम से जानी जाती हैं। राम के तापस्वी वेश के कारण एक का नाम जोगीमारा, दूसरे का सीता बेंगरा और एक अन्य का नाम लक्ष्मण गुफा पड़ गया।

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दूसरे चरण के बाद इनका होगा विकास

कोरिया - सीतामढ़ी घाघरा, कोटाडोल, सीमामढ़ी छतौड़ा (सिद्ध बाबा आश्रम), देवसील, रामगढ़ (सोनहट), अमृतधारा

सरगुजा - देवगढ़, महेशपुर, बंदरकोट (अंबिकापुर से दरिमा मार्ग), मैनपाट, मंगरेलगढ़, पम्पापुर

जशपुर-किलकिला (बिलद्वार गुफा), सारासोर, रकसगण्डा,

जांजगीर चांपा-चंद्रपुर, खरौद, जांजगीर

बिलासपुर-मल्हार

बलौदाबाजार भाटापारा - धमनी, पलारी, नारायणपुर (कसडोल)

महासमुंद-सिरपुर

रायपुर-आरंग, चंपारण्य

गरियाबंद-फिंगेश्वर

धमतरी - मधुबन (राकाडीह), अतरमरा (अतरपुर), सीतानदी

कांकेर-कांकेर (कंक ऋषि आश्रम)

कोंडागांव - गढ़धनोरा (केशकाल), जटायुशीला (फरसगांव)

नारायणपुर - नारायणपुर (रक्सा डोंगरी), छोटे डोंगर

दंतेवाड़ा - बारसूर, दंतेवाड़ा, गीदम

बस्तर- चित्रकोट, नारायणपाल, तीरथगढ़

सुकमा - रामाराम, इंजरम, कोंटा

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राम-वन-गमन परिपथ के काम में लाएं तेजी: मुख्य सचिव

मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने राम-वन-गमन परिपथ के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय महानदी भवन में पर्यटन विभाग के अधिकारियों की बैठक में राम-वन-गमन परिपथ के कार्यों की विस्तार से समीक्षा करते हुए उन्होंने राज्य के उन जिलो में जहां राम-वन-गमन परिपथ के कार्य किए जा रहे हैं, उन सभी जिलों के कलेक्टरों को इन कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता से पूर्ण कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग, पर्यटन मंडल, वन विभाग सहित अन्य विभागों से समन्वय कर कार्यों को जल्द पूर्ण कराया जाए। मुख्य सचिव ने बैठक में राम-वन-गमन परिपथ के कार्यों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति और पर्यटन स्थलों के विकास और निर्धारित स्थलों पर लगायी जाने वाली मूर्तियों के संबंध में पर्यटन विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने परिपथ के मुख्य मार्ग और उप मार्गों पर निर्धारित दूरी पर वेलकम गेट और साइनेंस बोर्ड लगाने के निर्देश दिए। बैठक में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अधिकारियों ने सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंद्रखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) में राम-वन-गमन परिपथ के तहत किए जा रहे कार्यों की जानकारी पॉवरप्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से दी। बैठक में पर्यटन विभाग के सचिव अन्बलगन पी., पर्यटन मंडल के एमडी अनिल साहू सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।

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