Begin typing your search above and press return to search.

'राम काज' को आतुर सरकार: राम वन गमन पर्यटन में चयनित स्थल...

राम काज को आतुर सरकार: राम वन गमन पर्यटन में चयनित स्थल...
X
By yogeshwari varma

रायपुर 22 जून 2023। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को बचाने, उसे आगे बढ़ाने की दिशा में बीते तीन सालों में जो काम हुआ है, वह अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर नवीन राज्य बनने के 18 सालों तक कभी नहीं हुआ। खासतौर से छत्तीसगढ़ी लोक-संस्कृति-परंपरा को लेकर भूपेश सरकार बेहद ही संजीदा रही है। बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की कला- संस्कृति, खान-पान, रीति-रिवाज-परंपरा को न सिर्फ पुनर्जीवित कर रहे हैं, बल्कि उसे एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान देने में भी जुटे हैं। छत्तीसगढ़ लोक संस्कृतिक से जुड़े आयोजन अब मुख्यमंत्री निवास में होते हैं, जो कि कभी नहीं होते थे। लोक पर्व की आज गरिमा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है. छत्तीसगढ़ी अस्मिता के भाव आज छत्तीसगढ़ियों में जाग उठा है। इस भाव को जगाने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विशेष योगदान है। उन्होंने राज्य के लोक-पर्व, तीज-त्योहारों में सार्वजनिक अवकाश न सिर्फ घोषित किया, बल्कि उसे महोत्सव के रूप में प्रदेशभर में आयोजित भी किया। इसी दिशा में भूपेश सरकार ने रामायण मानस मंडली प्रतियोगिता आयोजित की। छत्तीसगढ़ जहां के कण-कण में भगवान राम विराजित हैं। जहां के पग-पग में रामायणकाल के चिन्ह मिलते हैं। ऐसे प्रदेश में रामायण मानस मंडली और रायगढ़ में भव्य राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन निश्चित सराहनीय है।

2019 में रखी गई 'राम वन गमन पर्यटन परिपथ' की आधारशिला

छत्तीसगढ़ का प्रभु श्री राम से गहरा संबंध है। पवित्र रामायण का एक बड़ा भाग प्रभु श्री राम के वनवास से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि अपने वनवास के 10 साल श्री राम ने दण्डकारण्य यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताए थे। यही नहीं, प्रभु श्री राम की माता, कौशल्या देवी का जन्म भी छत्तीसगढ़ में हुआ था। ऐसे में प्राचीन रामायण और धरोहर की दृष्टि से छत्तीसगढ़ बेहद अहम हो जाता है। इसी के चलते वर्तमान सरकार ने 2019 में 'राम वन गमन पर्यटन परिपथ' की आधारशिला रखी थी । राम वन गमन पर्यटन परिपथ वह मार्ग है जिसमें 14 साल के लिए वनवास जाने के दौरान प्रभु राम ने अपना रास्ता तय किया था। राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना को विकसित कर छत्तीसगढ़ में पर्यटन परिपथ के माध्यम से श्री राम व माता कौशल्या से जुड़ी यादों को सहेजने का कार्य किया जा रहा है। वहीं इसकी अगली कड़ी के रूप में सांस्कृतिक नगरी रायगढ़ में 'राष्ट्रीय रामायण महोत्सव' आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने रामायण और मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को प्रभावी रूप से जन-जन तक पहुंचाने का किया।

137 करोड़ 45 लाख रूपए का कॉन्सेप्ट प्लान

लोक निर्माण और पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू के मुताबिक राम वन गमन पथ की निर्माण के लिए कार्य-योजना तैयार की गई है। इस पथ की कुल लम्बाई 2260 किलोमीटर है। इसमें से 748 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसमें मरम्मत की जरूरत नहीं है। कार्य योजना में 706 किलोमीटर राज्य मार्ग और 395 किलोमीटर मुख्य जिला मार्ग में सें 121 किलोमीटर एडीबी परियोजना के अंतर्गत बनाया जाएगा। इसी तरह 123 किलोमीटर ग्रामीण मार्ग छत्तीसगढ़ सड़क विकास निमग के अंतर्गत, 243 किलोमीटर सड़क प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत और 45 किलोमीटर सड़क वन विभाग द्वारा बनाना प्रस्तावित है। छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित करने के लिए प्रदेश के 9 स्थलों का चयन करते हुए 137 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत का एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया है। इन स्थलों को केन्द्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटकों की सुविधा के लिए विश्वस्तरीय अधोसंरचनाएं विकसित करने का प्रावधान है।

राम वन गमन पर्यटन में चयनित स्थल

1 सीतामढ़ी-हरचौका, जिला कोरिया

2 रामगढ़, जिला सरगुजा

3 शिवरीनारायण, जिला जांजगीर-चांपा

4 तुरतुरिया, जिला बलौदाबाजार

5 चंदखुरी, जिला रायपुर

6 राजिम, जिला गरियाबंद

7 सिहावा-सप्तऋषि आश्रम जिला धमतरी

8 जगदलपुर, जिला बस्तर

9 रामाराम, जिला सुकमा

528 किलोमीटर सड़क के दोनों ओर रोपे जा रहे डेढ़ लाख से ज्यादा पौधे

छत्तीसगढ़ में पूरे राम वन गमन पथ पर वृक्षारोपण से ऐसा वातावरण निर्मित किया जा रहा है, जो अपनी हरीतिमा से लोगों को सहज ही आकर्षित करने लगेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य शासन की इस महत्वपूर्ण परियोजना पर वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में पथ के दोनों ओर नाना प्रकार के फूलों और फलों के डेढ़ लाख से अधिक पौधे का रोपण किया गया है। इस मार्ग पर पर्यटकों को विभिन्न तरह के वनौषधियों के भी दर्शन होंगे।

छत्तीसगढ़ में राम के वनवास काल से संबंधित 75 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें नये पर्यटन सर्किट के रुप में आपस में जोड़ा जा रहा है। उत्तर छत्तीसगढ़ में स्थित कोरिया जिले से लेकर दक्षिण के सुकमा जिले तक 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण तथा विकास किया जा रहा है। ये सभी स्थान पहले ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। वृक्षारोपण के जरिए अब इन्हें और भी हरा-भरा किया जा रहा है। सभी चयनित पर्यटन-तीर्थों पर सुगंधित फूलों वाली सुंदर वाटिकाएं भी तैयार की जाएंगी। राम वन गमन के 528 किलोमीटर मार्ग के दोनों किनारों पर डेढ़ लाख से अधिक पौधे का रोपण वन विभाग द्वारा चालू वर्ष के दौरान किया गया है। इस पूरे मार्ग पर पीपल, बरगद, आम, हर्रा, बेहड़ा, जामुन, अर्जुन, खम्हार, आंवला, शिशु, करंज, नीम आदि के पौधों का रोपण शामिल हैं। राम वन गमन पथ के माध्यम से दुनियाभर के सामने जैव विविधता का दर्शन भी होगा।

रामायण मंडली के कलाकारों को मिला सम्मान

छत्तीसगढ़ में यह परंपरा वाचिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी लोक गायन में रामायण मंडली में हस्तांरित होती रही है। छत्तीसगढ़ के इसी रामायणी लोक-परंपरा को अब भव्य रूप देने में सरकार सामने आई है। बता दें कि संस्कृति विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ की रामायण मंडलियों के कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन और कलादलों को प्रोत्साहित करने के लिए ’रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना 2021’ प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक रामायण मंडलियों की प्रतियोगिता का आयोजन प्रारंभ हो गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर 10 से 15 मार्च तक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। ब्लॉक स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। संस्कृति विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 20619 ग्राम की 11 हजार 664 ग्राम पंचायतों के लगभग सभी ग्रामों में रामायण मंडलियां एवं शहरी क्षेत्रों में नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम के प्रत्येक वार्डों में रामायण मंडलियं सक्रिय हैं। संस्कृति विभाग के चिन्हारी पोर्टल में 5811 रामायण मंडली पंजीकृत हैं। राज्य सरकार की पहली बार आयोजित हुई प्रतियोगिता को लेकर प्रदेश के मानस परिवारों में उत्साह का माहौल है। गांव-गांव में राम नाम के भाव की गूंज है। इस आयोजन से न सिर्फ राममय वातावरण का संचार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति-परंपरा का प्रचार हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आने वाले दिनों में इसका व्यापक असर राज्य में दिखाई देगा।

7000 रामायण मंडलियों को विशेष प्रोत्साहन

रामायण मंडली प्रोत्साहन के अंतर्गत चिन्हारी पोर्टल में पंजीकृत रामायण मंडलियों को विशेष प्रोत्साहन के तहत वर्ष में एक बार 5000 रूपए की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। आगामी दो वर्ष ये मंडलियां प्रोत्साहन राशि के लिए अपात्र होगी। इस योजना में लगभग 7000 मंडलियों को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान रखा गया है। प्रतियोगिता के आयोजन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच, सचिव की अध्यक्षता में, ब्लॉक स्तर के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में और जिला स्तर की प्रतियोगिता के आयोजन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल का गठन किया गया है। इन समितियों में एक सदस्य लोक कला से संबंधित हैं।

गांव-गांव में नवधा रामायण

छत्तीसगढ़ में राम नाम की गूंज सदियों से है। गांव-गांव में नवधा रामायण की प्राचीन परंपरा है। कई गांवों में आज भी दिसम्बर-जनवरी के महीने में नवधा रामायण का आयोजन किया जाता है। सालों से चली आ रही इस परंपरा को सप्ताहिक रामायण, सवनाही रामायण, नवधा रामायाण कहा जाता है। राज्य सरकार अब इसी परंपरा को और आगे बढ़ाने में जुट गई है। इसका फायदा गांव के मानस मंडलियों को सीधे तौर पर होगा। सरकार की ओर बकाया इसे योजना के तौर पर शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ राजपत्र में दिनांक 01 अक्टूबर 2021 को रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना 2021 का प्रकाशन किया गया है।

Next Story