Chattisgarh : गोमूत्र से बदली गांवों की तकदीर
गौठानों में 1 लाख 26 हजार 858 लीटर गोमूत्र की खरीदी
Chhattisgarh रायपुर 22 फरवरी 2023। छत्तीसगढ़ सरकार पशुपालक किसानों के लिए गोधन न्याय योजना चलाती है। इसके तहत गौमूत्र भी खरीदा जा रहा है. जिससे किसानों की आय के साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य के किसानों को और मजबूत बनाने के लिए 'गोधन न्याय योजना' चलाई जाती है। इसके तहत गोबर के साथ ही गोमूत्र भी खरीदा जाता है। इस योजना से प्रदेश सरकार पशुपालक किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है। इसके साथ ही इस योजना से किसानों को पशुपालन करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने गौपालकों, पशुपालकों, महिला समूहों तथा गौठान समितियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गोधन न्याय योजना से लाभान्वित पशुपालकों में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और गोबर खरीदी में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने एक कार्यक्रम में शिवाजी की मूर्ति का अनावरण किया, वह मूर्ति प्राकृतिक पेंट द्वारा पोताई की गई थी, यह अच्छी बात है कि गोबर से बनाए पेंट का आमजनता द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
ब्रम्हास्त्र और जीवामृत की बिक्री से 28.96 लाख की आय
गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर खरीदी के साथ-साथ 4 रूपए लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौठानों में अब तक 5 लाख 37 हजार 936 रूपए में एक लाख 34 हजार 484 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है, जिससे महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 51,343 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 21,554 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत का उत्पादन सह विक्रय किया जा रहा है। इससे राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। राज्य के किसानों द्वारा अब तक 44,457 लीटर जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और 18,513 लीटर वृद्धिवर्धन जीवामृत खरीदी की गई है। जिससे उत्पादक समूहों को अब तक कुल 28 लाख 96 हजार 845 रूपए की आय हुई है।
अब तक 412.19 करोड़ रूपए का भुगतान
मुख्यमंत्री बघेल ने 20 फरवरी को वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना अंतर्गत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 8 करोड़ 63 लाख रूपए की राशि ऑनलाईन जारी की। इस योजना के हितग्राहियों को अब तक 412.19 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही इस योजना के शुरू होने से अब तक कुल 105 लाख 63 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है इसके एवज में गोबर विक्रेताओं को आज 4.76 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद 211 करोड़ 25 लाख रूपए की राशि प्रदान कर दी गई है।
91 प्रतिशत गौठानों का निर्माण पूरा
99 गौठानों में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। अभी तक 01 लाख 33 हजार 484 लीटर गौमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। इसका मूल्य 05 लाख 37 हजार 936 रूपए है। गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र कीट नियंत्रक और जीवामृत वृद्धि वर्धक के निर्माण तथा विक्रय से अब तक 28 लाख 96 हजार 845 रूपए की आय हो चुकी है। राज्य में कुल 10 हजार 732 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 09 हजार 720 निर्मित होकर संचालित हो रहे हैं, इसका मतलब यह है कि स्वीकृत गौठानों में से 91 प्रतिशत गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। 07 प्रतिशत गौठानों का निर्माण तेजी से चल रहा है। गोधन न्याय योजना पूरी सफलता के साथ आगे बढ़ रही है। इससे अनेकों हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर से पेंट बनाने के लिए 21 जिलों में 45 इकाई स्वीकृत हुई हैं, इनमें से 13 इकाईयां प्रारंभ हो चुकी हैं। शेष 32 यूनिट का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। अभी तक 30 हजार 218 लीटर पेंट का उत्पादन हो चुका है। इनमें से 14 हजार 358 लीटर पेंट का विक्रय हो चुका है। इससे 29 लाख 16 हजार 300 रूपए की आय प्राप्त हुई है।
50 फीसदी से ज्यादा गौठान स्वावलंबी
गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी में स्वावलंबी गौठान बराबर की भागीदारी निभाने लगे हैं। बीते कुछ समय से गोबर खरीदी के एवज में भुगतान की जा रही राशि में स्वावलंबी गौठानों की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत तक रहने लगी है। आज की स्थिति में 50 फीसदी से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर एवं गौमूत्र की खरीदी के साथ-साथ गौठान के अन्य व्यय की राशि अपनी पूंजी से कर रहे हैं।
गौठानों में 18.41 लाख क्विंटल धान पैरा एकत्र
राज्य के कृषि मंत्रालय के मुताबिक, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर राज्य के किसानों द्वारा अपने गांवों के गौठानों को पैरादान किए जाने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। राज्य के किसान भाई पैरा को खेतों में जलाने के बजाय उसे गौमाता के चारे के प्रबंध के लिए गौठान समितियों को दे रहे हैं। ऐसे किसान भाई जिनके पास पैरा परिवहन के लिए ट्रैक्टर या अन्य साधन उपलब्ध हैं, वह स्वयं धान कटाई के बाद पैरा गौठानों में पहुंचाकर इस कार्य में अपनी सहभागिता निभा रहे हैं। गौठान समितियों द्वारा भी किसानों से दान में मिले पैरा का एकत्रीकरण कराकर गौठानों में लाया जा रहा है। गौठानों में अब तक 18 लाख 58 हजार क्विंटल पैरा गौमाता के चारे के लिए उपलब्ध है।